मुंबई: लॉकडाउन के दौरान बदली दुकानों की तस्वीर, जहां पहले मिलता था पान, अब बिकती है सब्जी
मुंबई में ऐसी कई दुकानें देखने को मिल जाएंगी जहां पहले कोचिंग सेंटर या किताबों की स्टेशनरी हुआ करती थी लेकिन अब रोजी-रोटी चलाने के लिए वहां सब्जी, राशन और घरेलू सामान बिक रहा है.

मुंबई: कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन के कारण कई लोगों का रोजगार छिन गया है तो कई लोगों ने अपने काम-धंधे को बदल दिया है. एबीपी न्यूज ने ऐसी ही दुकानों की पड़ताल की है जिन्होंने लॉकडाउन के कारण अपने मुल व्यवसाय को बदल कर दूसरे व्यवसाय को अपना लिया है.
एबीपी न्यूज की टीम मुंबई के मीरा रोड पर ऐसी दुकान पर पहुंची जहां पहले किताबें और स्टेशनरी मिलती थी उसी के बगल में उत्तम ट्यूटोरियल नामक कोचिंग सेंटर चलाया जाता था. वहीं लॉकडाउन के कारण दुकान और कोचिंग सेंटर की तस्वीर बदल गई है. अब यहां पर राशन की दुकान खुल चुकी है.

एबीपी न्यूज की टीम ने जब इस कोचिंग सेंटर और किताब की दुकान में राशन की दुकान चलाने वाली महिला से हमारी बात की तो उन्होंने बताया, ''3 महीने के लॉकडाउन ने उनके रोजगार की कमर तोड़ दी है. स्कूल बंद है किताब स्टेशनरी लेने वाला कोई नहीं है. लॉकडाउन में कोचिंग सेंटर बंद हैं. यानी रोजगार पूरी तरह से बंद हो चुका है ऐसे में पेट पालने और दुकान का किराया भरने के लिए राशन की दुकान खोली है जिससे कि रोजी रोटी और घर का खर्च चल रहा है.''
इसी किताब की दुकान के बगल में एबीपी न्यूज की टीम की मुलाकात उत्तर प्रदेश के बनारस के निवासी सतीश कुमार तिवारी से हुई. सतीश कुमार तिवारी मीरा रोड में पान मंदिर नाम की दुकान चलाते थे. पान खाने वालों की यहां पर काफी भीड़ हुआ करती थी, लेकिन अब यह पान की दुकान उजड़ चुकी है. पेट पालने के लिए सतीश तिवारी ने पान की दुकान की जगह अब सब्जी की दुकान लगा दी है. पान की दुकान में अब प्याज, आलू और लहसुन जैसी चीजें मिल रही हैं.
सतीश तिवारी अपना दर्द बयां करते हुए कहते हैं, ''लॉकडाउन ने पूरे रोजगार को चौपट कर दिया है. जमा जमाया उनका धंधा खत्म हो चुका है. रोजी रोटी चलती रहे और घर का पेट भरता रहे इसके लिए अपनी पान की दुकान की जगह पर सब्जी लगानी शुरू कर दी है.'' इनकी सरकार से गुहार है कि सरकार दुकान के बिजली बिल माफ कर दे. इसके साथ ही वह चाहते हैं कि 3 महीने से व्यापार पूरी तरह से बंद होने के कारण उनका टैक्स भी माफ कर दिया जाए.
लॉकडाउन के दौरान थोड़ी छूट मिलने के बाद मुंबई में ऐसी तमाम तस्वीरें देखने को मिल जाएंगी जिसमें दुकानों पर जो सामान पहले मिलता था अब वह बेकार होने की कगार पर पहुंच चुका है. इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए लोग अब इन किराए की दुकानों में वही सामान रखना और बेचना चाह रहे हैं जिनके ग्राहक हैं और जिनकी लोगों को अभी जरूरत है. जिससे उनकी भी रोजी रोटी चलती रहे और वह किराए की दुकानों का किराया भर सकें.
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