WHO प्रमुख के सामने बेहद बड़ी चुनौती है कोरोना वायरस संकट
Coronavirus: कोरोना वायरस ने जब चीन में दस्तक दी उसके ठीक बाद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस ने बीजिंग का दौरा किया था. टेड्रोस ने इसे एक बड़ी चुनौती के रूप में लिया है.

Coronavirus: कोरोना वायरस दुनिया में बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. हर दिन एक देश से दूसरे देश की सीमा में वायरस के पहुंचने और मौत के बढ़ते आंकड़ों ने चिंता की लकीरें खींच दी है. सबसे बड़ी चुनौती जेनेवा स्थित वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के सामने भी है. जहां हर रोज कोरोना वायरस से मौत और संक्रमण की संख्या के बारे में रूबरू कराया जाता है.
डब्ल्यूएचओ के पहले अफ्रीकन प्रमुख टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस ने करीब ढाई साल पहले जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख के रूप में कुर्सी संभाली थी तो उन्होंने संस्थान में बड़े बदलाव के साथ-साथ मलेरिया, खसरा, निमोनिया और एचआईवी/एड्स से होने वाले मौत को चुनौती के रूप में लिया था और इसके लिए उन्होंने कई बड़े कदम भी उठाए. लेकिन इस दौरान पहले इबोला ने और फिर कोरोना वायरस ने संकट की स्थिति पैदा की. इबोला और कोरोना वायरस दोनों को ही WHO ने वैश्विक इमरजेंसी घोषित किया है.
WHO प्रमुख के बारे में जानें अधानोम साल 2012 से 2016 तक इथियोपिया के विदेश मंत्री रहे. इससे पहले 2005 से 2012 तक वह स्वास्थ्य मंत्री रहे थे. अधानोम एड्स के खिलाफ लड़ाई के लिए ग्लोबल फंड के बोर्ड के प्रमुख रहे. टेड्रोस का जन्म 1965 में अस्मारा में हुआ. जो 1991 में इथियोपिया से आजादी के बाद इरिट्रिया की राजधानी बना. उनके छोटे भाई की चार साल की उम्र में मौत ने टेड्रोस पर काफी प्रभाव डाला.

बाद में एक छात्र और डॉक्टर के रूप में टेड्रोस को संदेह हुआ कि उनके भाई की मौत खसरा से हुई है. उन्होंने एक दफे टाइम मैग्जीन से बातचीत में कहा था कि किसी बीमारी का इलाज न हो ये तो स्वीकार किया जा सकता है लेकिन किसी की मौत इसलिए हो जाए कि उसका जन्म ऐसी जगह में हुआ है जहां इलाज की पहुंच नहीं है, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के चीफ चुने जाने के बाद उन्होंने कहा था कि दुनिया के हर एक कोने तक सुविधाएं पहुंचे और मैं तब तक आराम से नहीं बैठूंगा जबतक कि मैं यह काम पूरा नहीं कर लूं.
पढ़ाई के बाद टीपीएलएफ के सदस्य बने डॉ टेड्रोस पढ़ाई के बाद डॉ टेड्रोस टाइग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) के सदस्य बने, जो 1991 में इथियोपिया के मार्क्सवादी तानाशाह मेंगिस्टु हैले मरियम को उखाड़ फेंकने की फिराक में था. 2005 में जब टेड्रोस मंत्री बने तो टीपीएलएफ के कॉमरेड से अलग छवि रखी और लोगों की पहुंच उन तक और आसान हो गई. उनकी वाहवाही होने लगी. नाइजीरिया के बाद अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य इथियोपिया में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार और स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच में सुधार के लिए उनकी प्रशंसा की गई. लेकिन उनके मंत्रालय पर देश में संदिग्ध हैजा के मामलों के निपटारे के लिए सवाल उठे.
वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से निपटने में डब्ल्यूएचओ की सफलता संगठन के 194 सदस्य देशों के सहयोग पर निर्भर करती है. कांगो में इबोला ने जब भीषण रूप धारण किया तो टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस ने कई बार कांगों का दौरा किया और खुद नेताओं से बात की. यही नहीं जब पिछले साल जब कोरोना वायरस ने चीन में दस्तक दी तो खुद टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस ने बीजिंग का दौरा किया. लेकिन क्या वास्तव में उनका दौरा कामयाब रहा?
बीजिंग की अपनी यात्रा के बाद, डॉ टेड्रोस ने कहा कि चीन ने "कोरोना वायरस पर नियंत्रण के लिए एक नया मानक" निर्धारित किया. कुछ दिनों बाद उन्होंने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में विश्व नेताओं से मुलाकात के दौरान कहा कि चीन ने इसपर नियंत्रण के लिए दुनिया से और समय मांगा है. उनका यह बयान ऐसे समय में आया जब चीन ने कोरोना वायरस के बारे में आगाह करने वाले स्वास्थ्य कर्मी को गिरफ्तार कर लिया था. टेड्रोस पर सवाल उठे कि उन्होंने कोरोना वायरस को हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने में देरी की.
कोरोना वायरस दुनिया के कई देशों में धीरे-धीरे फैल रहा है. टेड्रोस हर दिन कोरोना वायरस से लड़ने को लेकर देशों को सलाह देते हैं और इस दिशा में काम भी कर रहे हैं, लेकिन प्रत्येक प्रेस कॉन्फ्रेंस का अंत हमेशा एक जैसा ही होता है; डेस्क पर कागजों का जमावड़ा, एक मुस्कुराहट, और "कल मिलते हैं".
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