Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान चांद पर छोड़ेगा अशोक स्तंभ और ISRO के निशान, जानें कैसे करेगा ये काम?
इसरो के मुताबिक, चांद लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के ढाई घंटे बाद रोवर प्रज्ञान बाहर आ गया. जैसे-जैसे वह अपनी यात्रा पर आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे चांद पर अशोक स्तंभ और इसरो के निशान छपते जाएंगे.

Chandrayaan 3 Landing on Moon: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान (Rover Prgyan) भी लैंडर विक्रम (Lander Vikram) से बाहर आ गया. लैंडिंग के करीब 2.30 घंटे बाद प्रज्ञान बाहर आया. धूल के पूरी तरह से खत्म होने के बाद प्रज्ञान को इसरो ने विक्रम से बाहर निकाला. अपनी यात्रा के दौरान प्रज्ञान चांद पर अशोक स्तंभ और इसरो के निशान उकेरेगा.
लैंडर विक्रम की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अगला काम उसकी गोद में बैठे रोवर प्रज्ञान को बाहर निकालना था. अब असली मिशन शुरू होगा और विक्रम एवं प्रज्ञान मिलकर चांद के दक्षिणी ध्रुव का हालचाल बताएंगे. इसरो के मुताबिक, रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम से बाहर आ गया है और अब वह चांद पर अपनी यात्रा शुरू करेगा.
द हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रोवर चांद की सतह पर अशोक स्तंभ और इसरो के निशान छोड़ेगा. प्रज्ञान अब 14 दिन तक चांद पर रहकर स्टडी करेगा और डेटा कलेक्ट करके लैंडर विक्रम को भेजेगा. यहां से सभी जानकारियां धरती पर बैठे इसरो के साइंटिस्टों को भेजी जाएंगी.
रोवर प्रज्ञान कैसे चांद पर छोड़ेगा देश के निशान?
द वीक की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रज्ञान के पहियों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जब यह चांद की सतह पर भ्रमण करेगा तो उसकी सतह पर इसरो और अशोक स्तंभ के निशान छोड़ता जाएगा.
लैंडिंग के ढाई घंटे बाद क्यों बाहर आया रोवर प्रज्ञान?
चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान काफी धूल उड़ने लगी. वहां गुरुत्वाकर्ष्ण पृथ्वी की तुलना में काफी ज्यादा कम है, जिसकी वजह से पृथ्वी की तरह वहां जल्दी धूल नीचे बैठती नहीं है. इसरो के वैज्ञानिकों ने पहले धूल के बैठने का इंतजार किया और फिर रोवर को नीचे उतारा. अगर उसको लैंडिंग के तुरंत बाद ही उतार दिया जाता तो इसके कैमरों पर धूल जमा हो जाती और रोवर में लगे उपकरणों को भी नुकसान हो सकता था. रोवर को मिशन पूरा करने में समस्या हो सकती थी.
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Source: IOCL






















