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दिल्ली हिंसाः जनवरी मे ही खरीद ली गई थीं दंगों के लिए गोलियां, बनाई गई थीं शेल कंपनियां, ताहिर हुसैन का भी निकला कनेक्शन
जांज में पता चला है कि दंगो के लिए षंडयंत्र की परतें तीन स्तरों पर बनाई गई थी. ऐसा इसलिए किया गया था कि दंगा करने वालों को यह पता ही नही चल सके कि वो किसके इशारे पर हिंसा कर रहे हैं.

(File-Photo)
नई दिल्लीः दिल्ली दंगों की जांच के दौरान खुलासा हुआ है दिल्ली दंगो मे प्रयोग की जाने वाली गोलियां जनवरी महीने मे ही खरीद ली गई थी और इन दंगो के लिए पैसा शाहीन बाग और ओखला में बनी शेल कंपनियो के जरिए नगद निकाल कर बांटा गया था. दिलचस्प ये कि दंगे मे सफेद पैसे के जरिए काला धंधा किया गया. इनमें से एक कंपनी के निदेशक के तौर पर निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन का नाम भी दर्ज है. इन दंगो के लिए षंडयंत्र की परतें तीन स्तरों पर बनाई गई थी जिससे दंगा करने वालों को यह पता ही नही चल सके कि वो किसके इशारे पर खूनी होली खेल रहे है. फरवरी 2020 के दंगो ने काला इतिहास रचा जिसमें 53 से ज्यादा लोग मारे गए और सैंकड़ों घायल हुए थे इन दंगो की जांच के दौरान अब बड़े खुलासे हो रहे हैं जो साफ तौर पर बता रहे है कि दंगा किसी हिंदू या मुसलमान ने तात्कालिक आवेश मे आकर शुरू नही किया था बल्कि इन दंगो के लिए बाकायदा फिल्मी तर्ज पर पूरी स्क्रिप्ट पहले से ही तैयार की गई थी और बाद मे उसे अमलीजाम पहनाया गया था. दिल्ली पुलिस के दस्तावेजो के मुताबिक मामले की जांच के दौरान पता चला कि आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने जनवरी 2020 में गुलफाम नाम के शख्स से कहा था कि एक बड़े दंगे की तैयारी की गई है और वह इसके लिए गोलियां खरीद लाए. इस काम के लिए ताहिर ने गुलफाम को 15 हजार रुपये भी दिए गुलफान ने इन पैसों से पश्चिमी दिल्ली के बाली नगर से जा कर 100 गोलियां खरीदीं और इन्ही गोलियों का प्रयोग दंगो के दौरान फरवरी महीने मे किया गया. जांच के दस्तावेज बताते है कि इन दंगो के दौरान सफेद पैसों का इस्तेमाल काले धंधे के लिए यानी दंगे के लिए किया गया. पुलिस को जांच के दौरान अनेक कंपनियो के नाम पता चले जो शाहीन बाग और ओखला मे बनी बताई गई थीं इनमें जो कंपनियां कथित तौर पर शामिल बताई गई उनके नाम है संजय ट्रेडर्स (Sanjay Traders) मीनू फेब्रिकेशन (Meenu Fabrication), श्री साईं ट्रेडर्स ( Shri Sai Traders), एसपी फाइनेंशियल ( SP Financial), एसेंस सेलकॉम प्राइवेट लिमिटेड (Essence Cellcom Pvt ltd) और एसेंस ग्लोबल सर्विस प्राइवेट लिमिटेड (Essence Global Services Pvt Ltd) पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि इन कंपनियों मे दंगे के पहले करोड़ों रुपया जमा कराया गया और फिर दंगे के कुछ समय पहले इन कंपनियों से नगदी के तौर पर पैसा निकाला गया जबकि ये पैसा एक मायने मे सफेद पैसा था क्योकि इन कंपनियो मे पैसा विभिन्न जगहों से आया था. पुलिस के मुताबिक इस पैसे को दंगाइयो मे बांटा गया. दिलचस्प बात यह है कि इन कंपनियो के पास कोई काम नही था लेकिन तब भी इन कंपनियो के खातों मे पैसे जमा कराए गए इनमें से एक कंपनी के निदेशक के तौर पर ताहिर हुसैन सैफी का नाम भी दर्ज है. पुलिस को जांच के दौरान पता चला है कि दंगो की साजिश को अंजाम देने के लिए तीन स्तरीय परतें बनाई गई थी और इसके लिए अलग अलग वाटसएप ग्रुप भी बनाए गए थे जिससे दंगा करने वाले दंगाई को यह पता ना चल सके कि वे किसके इशारे पर खून की होली खेल रहे हैं. जांच के दौरान इन तीनों परतों का भेद खुल गया है और उनके आपस के कनेक्शन भी जुड रहे है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक इनमे पहली परत थी पीएफआई. जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी और पिजड़ातोड़ के कर्ताधर्ता, दूसरे स्तर पर ताहिर हुसैन और राजधानी स्कूल के मालिक फैजल जैसे लोग और तीसरे स्तर पर थे दंगाई जिन्हे भड़का कर और पैसों के बल पर खून की होली खिलवाई जा रही थी. इस जांच मे अभी कुछ और अहम लोगों के नाम भी जुड़े हो सकते हैं. कोरोना: दिल्ली में कम्युनिटी स्प्रेड नहीं, लेकिन जुलाई अंत तक 5 लाख से ज्यादा हो सकते हैं मामले
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