महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम है तीन तलाक अध्यादेश, ये ऐतिहासिक है: अमित शाह
स्तावित अध्यादेश के तहत एक बार में तीन तलाक कहकर रिश्ता तोड़ना गैरकानूनी होगा और इसमें तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल तक की कैद की सजा दी जा सकती है.

नई दिल्ली: तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश लाने के सरकार के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को कहा कि यह उन पार्टियों के लिए आत्मनिरीक्षण का भी विषय है जिन्होंने वोट बैंक की राजनीति के लिए इतने दिनों तक मुस्लिम महिलाओं को यह पीड़ा झेलने के लिए बाध्य किया.
अध्यादेश पर कैबिनेट की मुहर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए शाह ने ट्वीट किया कि इस फैसले से मुस्लिम महिलाएं समाज में सम्मान के साथ रह सकेंगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी जो एक बार में तीन तलाक कहकर मुस्लिम महिलाओं से वैवाहिक रिश्ता तोड़ने की प्रथा पर पाबंदी के लिए लाया गया है.
प्रस्तावित अध्यादेश के तहत एक बार में तीन तलाक कहकर रिश्ता तोड़ना गैरकानूनी होगा और इसमें तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल तक की कैद की सजा दी जा सकती है.
मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक की कुप्रथा पर अध्यादेश को कैबिनेट द्वारा मंजूरी देने के ऐतिहासिक निर्णय पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन। इस निर्णय से मोदी सरकार ने देश की मुस्लिम महिलाओं को तीन तालक से मुक्ति देकर समाज में सम्मान से जीने का अधिकार दिया है।
— Amit Shah (@AmitShah) September 19, 2018
वहीं, कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय में इस प्रथा का बचाव किया. उन्होंने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि इतने सालों तक कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए तीन तलाक के मुद्दे पर राजनीति की. कांग्रेस को खुद पर शर्म आनी चाहिए.
बीजेपी ने अध्यादेश लाने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया. पात्रा ने कहा कि यह महिला सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन तलाक की प्रथा को अपराध बनाने वाले एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी.
कैबिनेट के फैसले के बारे में मीडियाकर्मियों को जानकारी दे रहे केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति की वजह से मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण से जुड़े विधेयक के पारित होने में सहयोग नहीं दिया. विधेयक राज्यसभा में लंबित है.
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