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गुजरात की 3 सीटें ऐसी, जहां NOTA की वजह से हार गए बीजेपी उम्मीदवार; पूर्व मंत्री की विधायकी भी गई

NOTA की चपेट में पूर्व मंत्री दिलीप ठाकोर भी आए. ठाकोर पाटन के चान्समा सीट पर कांग्रेस के दिनेश भाई से करीब 1400 वोटों से हारे. यहां 3293 वोटरों ने NOTA का इस्तेमाल किया. पूरे गुजरात में 5 लाख से ज्यादा वोटरों ने नोटा का इस्तेमाल किया है.

गुजरात विधानसभा चुनाव में सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए बीजेपी ने 156 सीटों पर जीत दर्ज की है. बीजेपी की जीत के साथ ही गुजरात के सियासी गलियारों में सोमनाथ, चान्समा और खैरब्रह्म सीट की भी खूब चर्चा हो रही है. इन तीन सीटों पर बीजेपी कैंडिडेट नोटा(NOTA) की वजह से चुनाव हार गए हैं. 

नोटा की चपेट में पूर्व कैबिनेट मंत्री दिलीप ठाकोर भी आए. ठाकोर रुपाणी सरकार में श्रम विभाग के मंत्री थे. वे पाटन के चान्समा सीट पर कांग्रेस के दिनेश भाई से करीब 1400 वोटों से हारे. यहां 3293 वोटरों ने नोटा का इस्तेमाल किया.

1. सोमनाथ में नोटा को 1530 वोट, हार का अंतर 1000 से भी कम
सोमनाथ सीट पर जीत हासिल करने के लिए बीजेपी ने इस बार पूरी ताकत झोंक दी थी. कैंडिडेट सेलेक्शन से लेकर चुनाव प्रचार तक बीजेपी ने कई प्रयोग किए. कांग्रेस के कानाभाई चुडासमा के मुकाबले तेजतर्रार मान सिंह परमार को बीजेपी ने मैदान में उतारा था.

यहां शाह से लेकर योगी तक की रैली कराई गई थी, लेकिननोटा ने बीजेपी के अरमां पर पानी फेर दिया. कांग्रेस के कानाभाई को 73819 वोट मिले तो बीजेपी के मान सिंह परमार को 72897. सोमनाथ सीट पर जीत का अंतर 1000 वोटों से भी कम रहा. 1530 वोटरों ने यहां नोटा का इस्तेमाल किया.

किसे कितना वोट मिला

भाजपा- 72897

कांग्रेस- 73819

AAP- 32828

NOTA- 1530

2. खैरब्रह्म में नोटा को मिले 7331 वोट, 1664 से बीजेपी हारी
साबरकांठा जिले के खैरब्रह्म सीट पर नोटा को सबसे ज्यादा 7331 वोट मिले हैं. यहां कांग्रेस के तुसार चौधरी ने बीजेपी के अश्विन कोटवाल को 1664 वोटों से हराया है. चौधरी को 67349 वोट और कोटवाल को 65685 वोट मिले हैं. 

खैरब्रह्म सीट बीजेपी की वो 7 सीटों में से हैं, जहां उसके सीटिंग विधायक चुनाव हारे हैं. बीजेपी ने इस बार गुजरात चुनाव में 60 सीटिंग विधायकों का टिकट बरकरार रखा था, जिसमें 53 विधायक फिर से सदन पहुंचने में कामयाब रहे.

किसे कितना वोट मिला

भाजपा- 65685

कांग्रेस- 67349

AAP- 55590

NOTA- 7331

3. फेरबदल में मंत्री पद तो नोटा की वजह से विधायकी गई
2021 में गुजरात में हुए कैबिनेट फेरबदल में दिलीप ठाकोर की मंत्री की कुर्सी छीन गई. हालांकि, हाईकमान ने टिकट वितरण में ठाकोर पर भरोसा जताया और पाटन के चान्समा से उन्हें टिकट दिया. मगर नोटा की वजह से उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. 

इस सीट पर कांग्रेस के दिनेश भाई को 86404 तो ठाकोर को 85002 वोट मिले हैं. वहीं 3293 वोटर्स ने नोटा के पक्ष में मतदान किया. 

किसे कितना वोट मिला

भाजपा- 86406

कांग्रेस- 85002

AAP- 7586

NOTA- 3293

पूरे गुजरात में नोटा के पक्ष में 5 लाख से ज्यादा वोट
चुनाव आयोग के मुताबिक गुजरात विधानसभा के 182 सीटों पर नोटा के पक्ष में 501202 लाख लोगों ने वोट किया. यानी कुल वोटिंग प्रतिशत का 1.57%. आयोग के मुताबिक 2017 के मुकाबले यह थोड़ा कम है. 2017 में 551594 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था. 

2013 चुनाव में पहली बार हुआ था नोटा का प्रयोग
नोटा की फुल फॉर्म होती है None of the Above, मतलब इनमें से कोई नहीं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद साल 2013 के राजस्थान-एमपी समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में नोटा का प्रयोग किया गया था. इन सभी राज्यों में 1.85% लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया 2015 में आयोग ने नोटा का सिंबल जारी किया. 

13 देशों में भी हो रहा है नोटा का प्रयोग
भारत के अलावा 13 अन्य देशों में भी नोटा का प्रयोग हो रहा है. इनमें अमेरिका, कोलंबिया, यूक्रेन, रूस, बांग्लादेश, ब्राजील, फिनलैंड, स्पेन, फ्रांस, चिली, स्वीडन, बेल्जियम, ग्रीस का नाम शामिल हैं. कुछ देश ऐसे भी हैं जहां नोटा को राइट टू रिजेक्ट का अधिकार मिला हुआ है. इसका मतलब है कि अगर नोटा को जीत की मार्जिन से ज्यादा वोट मिलते हैं तो चुनाव रद्द हो जाता है.

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