Stress Effects: टेंशन होते ही क्यों बन जाता है प्रेशर, जानें बॉडी के अंदर कैसे होता है केमिकल लोचा
Stress Effects: स्ट्रेस का असर हमारे शरीर पर भी पड़ता है. आइए जानते हैं कि स्ट्रेस के समय प्रेशर क्यों बन जाता है. जानें क्या है इसके पीछे की वजह.

Stress Effects: स्ट्रेस सिर्फ आपके दिमाग पर ही असर नहीं डालता बल्कि यह सीधे आपके शरीर पर भी असर डालता है. काफी लोग स्ट्रेस की स्थिति में पेट में दबाव, भारीपन या फिर टॉयलेट जाने की तेज जरूरत को महसूस करते हैं. यह रिएक्शन काल्पनिक नहीं है बल्कि एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है. मेडिकल साइंस में इस घटना को गट ब्रेन एक्सिस के जरिए समझाया जाता है. आइए जानते हैं पूरी जानकारी.
क्या होती है वजह
जब भी आप स्ट्रेस, बेचैनी या फिर खत्म महसूस करते हैं तो आपका दिमाग इसे खतरा समझता है और शरीर के लड़ो या भागो रिस्पांस को एक्टिवेट कर देता है. ऐसे समय में दिमाग एड्रेनल ग्लैंड को एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करने का सिग्नल देता है. ये हार्मोन दिल की धड़कन को बढ़ाकर, मांसपेशियों को कसकर और अलर्टनेस को बढ़ाकर शरीर को तेजी से रिएक्ट करने के लिए तैयार कर देते हैं.
आंत और दिमाग का जुड़ाव
इंसान की आंत में लाखों न्यूरॉन्स होते हैं. इसे आमतौर पर दूसरा दिमाग या फिर एंटरिक नर्वस सिस्टम कहा जाता है. यह नसों और केमिकल मैसेंजर के जरिए लगातार दिमाग से कम्युनिकेट करता रहता है. स्ट्रेस के दौरान दिमाग सीधे आंत को परेशानी के सिग्नल भेजता है. बस यही वजह होती है कि पेट और आंतों की मांसपेशियां ज्यादा जोर से सिकुड़ने लगती हैं.
स्ट्रेस डाइजेशन से एनर्जी हटा देता है
जब स्ट्रेस हार्मोन शरीर में भर जाते हैं तब एनर्जी डाइजेशन जैसे गैर जरूरी कामों से हटकर मांसपेशियों और सर्वाइवल के लिए जरूरी अंगों की तरफ चली जाती है. छोटी आंत में डाइजेशन धीमा हो जाता है और बड़ी आंत में एक्टिविटी बढ़ जाती है. इससे पेट फूलना, भारीपन और अजीब सा दबाव महसूस होता है.
स्ट्रेस में तितलियों या फिर ऐंठन जैसा क्यों महसूस होता है
पेट में जानी पहचानी तितलियों वाली भावना दरअसल डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में मांसपेशियों के तेजी से सिकुड़ने और खून के बहाव में बदलाव की वजह से होती है. तनाव की वजह से आंतों में खून की आपूर्ति कम हो जाती है और नर्व सेंसटिविटी बढ़ जाती है. इस वजह से हल्की पाचन क्रिया भी असहज या फिर दर्दनाक महसूस होने लगती है. शरीर का लगभग 95% सेरोटोनिन, जो मूड रेगुलेशन के लिए जिम्मेदार एक जरूरी न्यूरोट्रांसमीटर है आंत में बनता है. स्ट्रैस की वजह से सेरोटोनिन का संतुलन बिगड़ जाता है जिस वजह से इमोशनल स्टेबिलिटी और डाइजेस्टिव फंक्शन दोनों पर ही असर पड़ता है.
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