(Source: ECI / CVoter)
राम जन्मभूमि आंदोलन से प्राण प्रतिष्ठा तक, 34 साल का संघर्ष, मंदिर उद्घाटन के 12 दिन बाद आडवाणी के लिए 'भारत रत्न' की घोषणा
LK Advani: केंद्र की मोदी सरकार ने लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया है. राम मंदिर आंदोलन में आडवाणी की भूमिका अहम मानी जाती है.
Bharat Ratna To LK Advani: सरकार ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आडवाणी को बधाई दी है और भारत के विकास में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने उनसे फोन पर बात भी की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी. वह देश के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं."
भारत रत्न की घोषणा के बाद आडवाणी ने कहा, "अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ मैं 'भारत रत्न' स्वीकार करता हूं. यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान है, बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों का भी सम्मान है जिनसे मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा की है."
राम मंदिर आंदोलन में निभाई अहम भूमिका
आडवाणी के लिए भारत रत्न की घोषणा ऐसे समय कई गई है जब हाल में (22 जनवरी को) अयोध्या में राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई. राम मंदिर आंदोलन में आडवाणी की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है. माना जाता है राम मंदिर आंदोलन को आडवाणी ने ही जनता तक पहुंचाया. लालकृष्ण आडवाणी ने ही 1990 में रथ यात्रा निकालकर इस आंदोलन की शुरुआत की थी. हालांकि, अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह में आडवाणी स्वास्थ्य कारणों से शामिल नहीं हो सके थे.
1984 में बीजेपी को मिली 2 सीट पर जीत
आडवाणी बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. गठन के बाद पार्टी को एक बड़े मुद्दे की तलाश थी. 1984 में जब विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस ने राम मंदिर के मुद्दे को छेड़ा तो बीजेपी ने भी इसमें रुचि लेना शुरू कर दिया. हालांकि, 1984 में हुए आम चुनाव में पार्टी कोई कमाल नहीं कर सकी थी और महज 2 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी.
आडवाणी ने लोगों तक पहुंचाया राम मंदिर का मुद्दा
इसके बाद पार्टी ने जोर-शोर से राम मंदिर के मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया. 1989 में हुए लोकसभा में बीजेपी को इसका फायदा भी हुआ और पार्टी ने 11.36 फीसदी वोट हासिल किए. 1981 में 2 सीट जीतने वाली पार्टी इस बार 85 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और लेफ्ट और जनता दल की सरकार बनी. इसके बाद आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली और इस तरह यह मुद्दा लोगों तक पहुंचा.
यह भी पढ़ें- 'हिंसा में मरने वालों की कब्रें हैं सीढ़ियां', आडवाणी को भारत रत्न के ऐलान पर असदुद्दीन ओवैसी का तंज