54 दिनों की कहानी: यूपी में घुसते ही अतीक के पीछे लग गए थे शूटर... वरिष्ठ पत्रकार ने बताया- कितनी बार हुई थी उड़ाने की कोशिश
मनोज रंजन त्रिपाठी ने बताया कि उमेश पाल की हत्या के बाद पंजाब में तय हो गया था कि अतीक मारा जाएगा. वहीं पर पूरी प्लानिंग हुई.

पूर्व सांसद और उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया अतीक अहमद की हत्या का कनेक्शन गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और राठी भाटी गैंग से है. वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मनोज रंजन त्रिपाठी ने 54 दिनों की पूरी कहानी बताई है कि कैसे प्लानिंग हुई, कितनी बार मारने की कोशिश हुई और इस सबके पीछे कौन-कौन था. अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या को लेकर उन्होंने कई खुलासे किए हैं. उनका कहना है कि लॉरेंस के करीबी जितेंद्र गोगी ने तीन लड़कों को जिगाना गन दी, बुंदेलखंड में ट्रेनिंग हुई और तीनों ने उसी तरह सड़क पर उसकी हत्या कर दी, जिस तरह उमेश पाल को खुलेआम मारा गया था. उमेश पाल साल 2005 के राजू पाल हत्यकांड के गवाह थे. राजू पाल को शूटर्स ने मारा था. इस केस में अतीक और अशरफ भी नामजद थे.
15 अप्रैल, 2023 को अतीक और अशरफ की पुलिस हिरासत में तीन लड़कों ने हत्या कर दी थी. ये तीनों मीडिया मैन बनकर आए थे. गोली चलाने के बाद तीनों ने सरेंडर कर दिया था. वरिष्ठ पत्रकार मनोज रंजन त्रिपाठी ने अतीक अहमद पर एक किताब लिखी है- कसारी मसारी. उन्होंने बताया कि अतीक को पहले कोर्ट में मारने की कोशिश की गई, फिर मेडिकल रूम में. जब साबरमती से अतीक को उत्तर प्रदेश लाया जा रहा था और गाड़ी झांसी में घुसती है तो उस वक्त भी शूटर साथ थे और वो कितने दिन से साथ थे. उन्होंने कहा कि ये किताब अतीक अहमद पर नहीं है. ये किताब अतीक के साबरमती से प्रयागराज आने और हत्या तक की 54 दिनों की कहानी है. जब अतीक को साबरमती से लाया गया तो मीडिया गाड़ी के पीछे-पीछे थी, सबको लग रहा था कि उसकी गाड़ी पलट सकती है तो सब कैप्चर करने के लिए पीछे-पीछे थे और ये तीनों लड़के भी हर कदम पर साथ-साथ थे.
मनोज रंजन त्रिपाठी ने बताया कि उमेश पाल की हत्या के बाद ही तय हो गया था कि अतीक को मारा जाएगा. उन्होंने कहा कि ये तय हो गया था कि राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश को अगर अतीक खुलेआम इलाहाबाद की सड़क पर मारेंगे, वर्तमान में बीजेपी के सदस्य फिर भी एक आम आदमी को इस तरह फिल्मी सीन क्रिएट करके मारेंगे तो अतीक का भी वही अंजाम होगा. वो प्लानिंग हो गई, रोहिणी कोर्ट से होते हुए यूपी आती है बुंदेलखंड में ट्रेनिंग होती है, तीन लोग मीडिया के भेष में आते हैं गोली चला देते हैं.
अफगानिस्तान के अहमद शाह की तरह हुई अतीक की हत्या
मनोज रंजन त्रिपाठी ने कहा, 30 साल मैंने जर्नलिज्म में गुजारे हैं, लेकिन कभी लाइव मर्डर नहीं देखा. जब अतीक की हत्या हुई तो वहां से मुझे ख्याल आया, मैंने एक डॉट कनेक्ट किया. ऐसे ही अफगानिस्तान में भी एक हत्या हुई थी, जिसका नाम था अहमद शाह. उन्हें लाइन ऑफ पंजशीर कहते थे क्योंकि तालिबान पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पा रहा था. फिर एक इंग्लिश चैनल ने अहमद शाह का इंटरव्यू मैनेज किया. उनके साथ एक कैमरामैन था, एक क्रू था, रिपोर्टर था और तीनों लोग बैठकर उनका इंटरव्यू कर रहे थे. तीनों ने बैठकर अपने-अपने बटन दबाए और अहमद शाह की किलिंग हो गई. वो सारे सुसाइड बॉम्बर स्क्वाड के लोग थे, जो तालिबान से प्लांड करके लगाए गए थे. वैसा ही मर्डर अतीक अहमद का हुआ, तीन लोग तैयार किए गए और तीनों मीडिया मैन बनकर वहां जाते हैं और उनको मार देते हैं. ये दो घटनाएं मेरे दिमाग में जुड़ीं.'
बुंदेलखंड में हुई ट्रेनिंग
उन्होंने बताया कि जब अतीक की हत्या करने वाले इन तीन लड़कों को ट्रेनिंग दी गई. तो अहमद शाह की किलिंग का वो वीडियो दिखाया गया. पूरी ट्रेनिंग दी दी गई है. मनोज रंजन त्रीपाठी ने कहा कि अगर तीनों लड़कों को गोली चलाते हुए देखेंगे तो गौर कीजिएगा, जब वो पिस्टल चला रहे हैं तो बैडमिंटन की तरह स्टेपिंग कर रहे हैं. वो स्टेपिंग उनको सिखाई गई है. वजह ये है कि कहीं टारगेट उनको ही न पकड़ ले. टारगेट कौन था, अतीक अहमद. बुंदेलखंड में उनकी ट्रेनिंग हुई.
लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने दिए हथियार
मनोज रंजन त्रिपाठी ने बताया कि बुक की रिसर्च के लिए वह पंजाब गए क्योंकि वहीं से हथियार सप्लाई होते हैं. उन्होंने बताया कि पंजाब के लॉरैंस बिश्नोई गैंग के जरिए हथियार सप्लाई किए गए, जो इरफान खुरजेवाला ने सप्लाई किए. जिन लड़कों की जेब में नौ रुपये नहीं थे, उनके हाथ में साढे नौ लाख रुपये की पिस्टल थी, जिसको कहते हैं- जिगाना. उन्होंने बताया कि जिगाना तुर्किए में बनती है, वहां से अजरबैजान आती है, फिर ईरान और वहां से पाकिस्तान आती है. पाकिस्तान से ड्रोन डोपिंग के जरिए पंजाब में गिराई जाती है और फिर इन लड़कों के पास पहुंचाई जाती है.
राठी भाटी गैंग ने तीनों लड़कों को भेजा था लॉरेंस बिश्नोई गैंग के पास
मनोज रंजन त्रिपाठी ने कहा, 'इन लड़कों को सुपारी जितेंद्र गोगी ने दी, जो लॉरेंस बिश्नोई का बहुत करीबी आदमी है. वो तिहाड़ में था. लॉरेंस बिश्नोई से पहले जितेंद्र गोगी का एक करीबी प्रिंस तेवतिया था, जिसकी तिहाड़ में हत्या हो चुकी थी. जितेंद्र गोगी ने कई शूटर्स को इसलिए बुलाया था ताकि टिल्लू तेजपुरिया की हत्या की जा सके. टिल्लू तेजपुरिया ने ही प्रिंस तेवतिया को मरवाया था. इस बीच ये लड़के वहां पहुंचते हैं, इनको दो फोटोग्राफर दी गईं कि इन दो लोगों को आपको मारना है ये फोटोग्राफ अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की थीं.'
उन्होंने बताया कि जितेंद्र गोगी के पास इन लड़कों को राठी और भाटी गैंग ने भेजा था. जिन तीन लड़कों ने अतीक को मारा है उनमें से एक लड़का जेल में था और राठी और भाटी के पैर दबाता था. उन्होंने कहा कि उस लड़के के अंदर पोटेंशियल था कि वो बड़ा क्रिमिनल बन सकता है, उसके बाप ने उसको पढ़ाने की बहुत कोशिश की पर कुछ हुआ नहीं. वहां से वो इस प्लानिंग में शामिल हुआ और उसने अपने साथ दो लोग और जोड़ लिए.
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