वायु प्रदूषण और सांस की बीमारी में कोई कनेक्शन है? सरकार से संसद में सवाल, ये मिला जवाब
शीतकालीन सत्र के दौरान आज सरकार से सांसद विक्रमजीत सिंह सहनी ने सवाल किया. इस दौरान उन्होंने वायु प्रदूषण और सांंस की बीमारियों को लेकर सवाल किया.

राज्यसभा में आज वायु प्रदूषण और सांस की बीमारियों से जुड़ा सवाल राज्यसभा में सरकार से सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने किया. इस दौरान उन्होंने पूछा कि शहरी इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण और सांस की बीमारियों के बीच कोई जुड़ाव है?
इसके अलावा उन्होंने पूछा कि क्या 2022 से 2025 के बीच मेट्रो शहरों में खासकर दिल्ली में अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी बीमारी में बढ़ोत्तरी हुई है. इसके अलावा फेफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से आउटपेशेंट और हॉस्पिटल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ी है? क्या मंत्रालय सांस की अलग-अलग बीमारियों में एयर पॉवल्यूशन के प्रभावों को जानने के लिए कोई योजना बना रहा है.
'सांस से जुड़े दो लाख से ज्यादा मामले दर्ज'
सरकार की तरफ से हेल्थ एवं फैमिली वेलफेयर मंत्रालय में राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव ने जवाब दिया. सरकार ने बताया है कि साल 2022 से 2024 के बीच दिल्ली के छह सरकारी अस्पतालों में सांस से जुड़ी बीमारियों के दो लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए. राज्यसभा में वायु प्रदूषण से जुड़े सवाल के जवाब में सरकार ने जानकारी दी कि इन तीन सालों में सांस से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित 30 हज़ार से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
दिल्ली और उसके आसपास के इलाक़ों में ज़हरीली हवा हर साल होने वाली समस्या है, ख़ासकर सर्दियों में ये समस्या और बढ़ जाती है. पिछले कई हफ़्ते से दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से निर्धारित सीमा से 20 गुना अधिक रहा है. दिल्ली के छह सरकारी अस्पतालों में साल 2022 में 67,054, साल 2023 में 69,293 और साल 2024 में 68,411 एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस के मामले दर्ज किए गए.
वायु प्रदूषण से बढ़ी इमरजेंसी मरीजों की संख्या
सरकार ने संसद को बताया, "विश्लेषण से पता चलता है कि प्रदूषण के स्तर में वृद्धि इमरजेंसी में आने वाले मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी से जुड़ी है. हालांकि, इस स्टडी डिज़ाइन से इस बात की पुष्टि नहीं होती है कि मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी वायु प्रदूषण के कारण है."
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) 30 राज्यों/UTs में फैले 230 से ज़्यादा सेंटिनल सर्विलांस साइट्स के नेटवर्क के ज़रिए एयर पॉल्यूशन से जुड़ी बीमारियों का सेंटिनल सर्विलांस करता है. एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (ARI) डिजिटल सर्विलांस अगस्त 2023 में इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन पोर्टल (IHIP) के जरिए शुरू किया गया था.
दिल्ली के 6 सेंटिनल साइट्स, चेन्नई के 2 सेंटिनल साइट्स और मुंबई के 1 सेंटिनल साइट का ARI सर्विलांस डेटा एनेक्सर I में है. इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने बताया है कि उसने एयर पॉल्यूशन में बढ़ोतरी के रेस्पिरेटरी मॉर्बिडिटी पर एक्यूट असर को डॉक्यूमेंट करने के लिए एक मल्टीसाइट स्टडी की है. यह 5 साइट्स पर की गई थी.
इमरजेंसी रूम के कुल मरीज़ों में से कुल 33,213 (12.6%) एलिजिबल थे और उन्हें पूरा डेटा कलेक्शन के साथ एनरोल किया गया था. एनालिसिस से पता चलता है कि पॉल्यूशन लेवल में बढ़ोतरी इमरजेंसी रूम में आने वाले मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी से जुड़ी थी. हालांकि, यह स्टडी डिज़ाइन इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि यह संबंध कॉजल है.
सरकार हर साल करती है एडवाइजरी जारी
मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, भारत सरकार हर साल सभी राज्यों/UTs को एयर पॉल्यूशन पर हेल्थ एडवाइजरी जारी करती है ताकि देश भर में हेल्थ केयर फैसिलिटीज़ के सभी लेवल पर ऐसी हेल्थ प्रॉब्लम्स के लिए तैयारी में उनकी मदद की जा सके.
एयर पॉल्यूशन और हेल्थ से जुड़े मामलों जैसे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) रिपोर्ट पर हेल्थ सेक्टर की तैयारी और रिस्पॉन्स मैकेनिज्म राज्यों के साथ तैयारी और रिस्पॉन्स मैकेनिज्म के लिए शेयर किए जाते हैं.
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Source: IOCL























