दिल्ली की बिगड़ी हवा, केजरीवाल सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों को ठहाराया जिम्मेदार
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने कहा कि सेटेलाइट से ली गई तस्वीरें दिखा रही हैं कि ‘खतरनाक’ स्तर पर पराली जलाई जा रही है और इसे तत्काल रोका जाना चाहिए वरना दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत को गंभीर स्वास्थ्य जोखिम से जूझना पड़ेगा.

नई दिल्ली: दिल्ली में वायु की गुणवत्ता इस मौसम में पहली बार ‘बहुत खराब’ श्रेणी की हो गई है और राष्ट्रीय राजधानी के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर गंभीर हो गया है. वायु की गुणवत्ता खराब होने के लिये वाहनों के प्रदूषण, निर्माण गतिविधियों और मौसम संबंधी कारणओं को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के और खराब होने का अंदेशा जताया है.
इस बीच, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने कहा कि सेटेलाइट से ली गई तस्वीरें दिखा रही हैं कि ‘खतरनाक’ स्तर पर पराली जलाई जा रही है और इसे तत्काल रोका जाना चाहिए वरना दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत को गंभीर स्वास्थ्य जोखिम से जूझना पड़ेगा.
Latest satellite images show crop residue burning at dangerous levels
Environment Minister @ImranHussaain releases latest NASA image of North India, Crop residue burning must be immediately halted otherwise entire north India will suffer. pic.twitter.com/vm9snZRXMP — AAP (@AamAadmiParty) October 17, 2018
कुछ दिनों पहले दिल्ली में हवा की गुणवत्ता के ‘खराब’ श्रेणी में पहुंचने के बाद सोमवार को ‘एनवायरमेंट पॉल्यूशन (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) अथॉरिटी’ (ईपीसीए) और ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) लागू कर दिये गए थे. इनके तहत वायु गुणवत्ता को और बिगड़ने से रोकने के लिये कई उपाय अमल में लाए जाते हैं.
ईपीसीए की सदस्य सुनीता नारायण ने कहा, ‘‘हम अधिकारियों को निर्देश देने जा रहे हैं कि वे दिल्ली के मुख्य स्थानों पर सख्त उपायों को लागू करें. हमारे पास वजीरपुर और द्वारका में भी कचरा जलाए जाने के साक्ष्य हैं और यह एक दूसरा मुद्दा है जो हम अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे.’’
ईपीसीए के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में जेनरेटर सेटों पर पाबंदी, पार्किंग शुल्क बढ़ाने और आने वाले दिनों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को और मजबूत करने जैसे उपायों पर विचार कर रहे उन्होंने कहा, ‘‘हमने बेहद खराब वायु गुणवत्ता के लिये कदम उठा लिये हैं लेकिन और सख्त उपायों पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा.’’
अधिकारी ने कहा कि हवा के और खराब होकर ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में जाने पर ट्रकों के प्रवेश को रोकने और निर्माण गतिविधियों को बंद करने जैसे उपायों को अमल में लाया जाएगा. वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और शोध प्रणाली की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली का संपूर्ण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 315 रिकॉर्ड किया गया.
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 और 100 के बीच इसे ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’ माना जाता है, 201 और 300 के बीच इसे ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘काफी खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक आनंद विहार में बुधवार को एक्यूआई 358, द्वारका सेक्टर आठ में एक्यूआई 376, आईटीओ पर 295 और जहांगीरपुरी में एक्यूआई 333 रिकॉर्ड किया गया. रोहिणी में एक्यूआई 330 दर्ज किया गया.
आंकड़े के मुताबिक, दिल्ली में पीएम 10 का स्तर 296 और पीएम 2.5 को 139 मापा गया. इस मौसम में पहली बार वायु की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी के स्तर पर पहुंची है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा उत्तर भारत की नयी तस्वीरें जारी करते हुए हुसैन ने दिल्ली के लोगों से कहा कि वे स्थानीय स्तर पर प्रदूषण कम से कम करें और कहा कि कूड़ा या पराली जलाने की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उन्होंने लोगों से कहा कि धूल के कण उड़ने से रोकने के लिये निर्माण सामग्री को ढक कर रखें. उन्होंने कहा, ‘‘समय आ गया है कि खेतों में पराली जलाए जाने को फौरन बंद किया जाए क्योंकि ऐसा न होने पर समूचे उत्तर भारत में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं आने को तैयार बैठी हैं.’’
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Source: IOCL





















