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Asaduddin Owaisi On CAA: CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे असदुद्दीन ओवैसी, याचिका दाखिल कर बोले- तुरंत लगे रोक
lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का नोटिफिकेशन जारी करने के बाद इसका विरोध हो रहा है.
![Asaduddin Owaisi On CAA: CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे असदुद्दीन ओवैसी, याचिका दाखिल कर बोले- तुरंत लगे रोक AIMIM chief Asaduddin Owaisi approaches the Supreme Court against the notification of CAA Before Lok Sabha Elections 2024 Asaduddin Owaisi On CAA: CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे असदुद्दीन ओवैसी, याचिका दाखिल कर बोले- तुरंत लगे रोक](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/16/9688eca20dc98c7789823cd8f211f0dc1710569894853426_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Asaduddin Owaisi Reaches SC Against CAA: केंद्र सरकार ने साल 2019 में पास हुए कानून नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू कर दिया है. इसको लेकर विरोध भी देखने को मिल रहा है और आलोचक सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच रहे हैं. इसी क्रम में एआईएमआईएम के चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
इसके साथ ही ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एनआरसी का मुद्दा भी उठाया है. उन्होंने अदालत में याचिका दायर करके अपील की है कि सीएए के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाए. एआईएमआईएम चीफ ने कोर्ट से कहा कि सीएए के बाद देश में एनआरसी आ रहा है और ये दोनों का अपवित्र गठजोड़ है. एनआरसी के जरिए भारतीय मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की योजना है.
असदुद्दीन ओवैसी ने याचिका में क्या कहा?
असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि सीएए से उत्पन्न बुराई केवल नागरिकता प्रदान करने को कम करने में से एक नहीं है, बल्कि नागरिकता से इनकार करने के परिणामस्वरूप उनके खिलाफ चुनिंदा कार्रवाई करने के लिए एक अल्पसंख्यक समुदाय को अलग-थलग करना है. उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि निर्देश जारी करें कि इन कार्यवाहियों के लंबित रहने के दौरान, किसी भी व्यक्ति को नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 2(1)(बी) के प्रावधानों का सहारा लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी (क्योंकि यह नागरिकता द्वारा संशोधित है).
‘संशोधित कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ’
उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि संशोधित कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. यह आर्टिकल 14, 25 और 21 का उल्लंघन करता है. ऐसे में जब तक इस मामले की सुनवाई होती है तब तक इस कानून के लागू होने पर रोक लगा देनी चाहिए. इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने सीएए के नोटिफिकेशन जारी होने को लेकर कहा था कि धर्म के आधार पर किसी कानून को नहीं बनाया जा सकता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले भी हैं.
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