जालियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल पूरे होने पर एबीपी न्यूज़ कर रहा है शहीदों को नमन
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कुछ दर्दनाक घटनाओं में से एक जालियांवाला बाग हत्याकांड है. एबीपी न्यूज़ आजा़दी के दीवानों और भारत मां के सच्चे सपूतों जिन्होंने जालियांवाला बाग में अपने प्राणों की आहुति दे दी उन्हें नमन करता है. उनको श्रद्धांजलि देता है.

नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़ जालियांवाला बाग हत्याकांड में शहीद हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाहियों को नमन करता है और अपनी तरफ से उनको श्रद्धांजलि देता है. इस घटना में शहीद हुए लोगों की याद में पंजाब के अनेक शहरों में एबीपी न्यूज़ के द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. जालियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कुछ दर्दनाक घटनाओं में से एक है जिसकी याद आते ही लोगों के सीने में आक्रोश की आग धधक उठती है.

13 अप्रैल 1919 को बैसाखी का दिन था. बैसाखी वैसे तो पूरे भारत का एक प्रमुख त्योहार है परंतु विशेषकर पंजाब और हरियाणा के किसान सर्दियों की रबी की फसल काट लेने के बाद नए साल की खुशियां मनाते हैं. इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को दसवें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. इसीलिए बैसाखी पंजाब और आस-पास के प्रदेशों का सबसे बड़ा त्योहार है और सिख इसे सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं. अमृतसर में उस दिन एक मेला सैकड़ों साल से लगता चला आ रहा था जिसमें उस दिन भी हज़ारों लोग दूर-दूर से आए थे.
वहीं स्वर्ण मंदिर के निकट रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अंग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियां चलवा दीं. अंग्रेजों ने हजारों निहत्थे भारतीयों पर गोलियों की बरसात कर दी थी. इस घटना में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक 379 लोग मारे गए थे जबकि 1200 से अधिक लोग घायल हुए थे. समय के चक्र के साथ इस घटना के दो दिन बाद 13 अप्रैल को 100 साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन आज भी फिरंगियों के इस वहशीपन के प्रति लोगों के मन में उतना ही दर्द और गुस्सा है.
13 अप्रैल, 1919 की ये घटना ब्रितानी इतिहास का वो काला धब्बा है जिसे अंग्रेज चाहकर भी मिटा नहीं सकते. हालांकि, कुछ दिनों पहले ही ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने इस घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए इसे शर्मनाक करार दिया है.

भारत सहित दुनिया के मानवतावादी लोग उस घटना को कभी नहीं भूल सकते जब अंग्रेजों ने हजारों निहत्थे भारतीयों पर गोलियों की बरसात कर दी थी. इस घटना में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक 379 लोग मारे गए थे जबकि 1200 से अधिक लोग घायल हुए थे. समय के चक्र के साथ इस घटना के दो दिन बाद 13 अप्रैल को 100 साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन आज भी फिरंगियों के इस वहशीपन के प्रति लोगों के मन में उतना ही दर्द और गुस्सा है.
एबीपी न्यूज़ आजा़दी के दीवानों और भारत मां के सच्चे सपूतों जिन्होंने जालियांवाला में अपने प्राणों की आहुति दे दी उन्हें नमन करता है. उनके सम्मान में श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए एबीपी न्यूज़ ने पंजाब के पटियाला समेत अन्य शहरों मेंनुक्कड़ नाटक, शपथ समारोह, टॉर्च रिले और रोड शो का आयोजन किया.

इस दौरान एबीपी न्यूज़ ने लोगों के लिए एक शपथ समारोह का भी आयोजन किया और उनसे प्रतिज्ञाएं भी दिलवाई गई.
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