ABP Cvoter Survey: यूपी चुनाव में सीएम योगी की मजबूती के बावजूद क्यों बढ़ सकती है समाजवादी पार्टी की सीटें? ये है वजह
ABP Cvoter Survey for UP Election 2022: सपा की बात करें तो सर्वे के मुताबिक 2022 के चुनाव में उसके खाते में 30% वोट शेयर जा सकते हैं, जबकि 2017 के चुनाव में उसके खाते में महज 24% वोट शेयर आए.
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. एबीपी न्यूज़ सी-वोटर की तरफ से किए गए सर्वे में जहां 45 फीसदी लोगों ने योगी सरकार के कामकाज को बहुत संतुष्ट करार दिया तो वहीं 44 फीसदी लोगों ने सीएम योगी के काम से खुद को संतुष्ट बताया. सर्वे के मुताबिक, राज्य की कुल 403 सीटों में से 259 से लेकर 267 सीटें बीजेपी को मिलने जा रही है. हालांकि, समाजवादी पार्टी को बढ़त मिल रही है, और वह 109 से 117 के बीच सीटें पाकर दूसरे नंबर पर रह सकती है. बीएसपी के खाते में 12 से 16 सीटें और कांग्रेस के खाते में 3 से 7 सीटें आने का अनुमान सर्वे में लगाया गया है.
बीजेपी के वोट बरकरार, लेकिन सपा को 6% की बढ़त
सबसे खास बात ये है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करीब-करीब उतने ही वोट शेयर मिलते हुए दिखाई दे रहे हैं, जितने उसे 2017 विधानसभा चुनाव में मिले थे. एबीपी न्यूज सी-वोटर सर्वे के मुताबिक, अगले साल होने वाले चुनाव मे बीजेपी को 42 फीसदी वोट हासिल हो सकते हैं जबकि 2017 के चुनाव में उसे 41 फीसदी वोट मिले थे.
दूसरी तरफ, समाजवादी पार्टी की बात करें तो सर्वे के मुताबिक 2022 के चुनाव में उसके खाते में 30 फीसदी वोट शेयर जा सकते हैं, जबकि 2017 के चुनाव में उसके खाते में महज 24 फीसदी वोट शेयर आए थे. यानी यहां पर उसे करीब छह फीसदी वोट शेयर का बढ़त होता हुआ दिख रहा है.
सपा को वोट शेयर में बढ़त क्यों?
दरअसल, राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह की मानें तो उनका कहना है कि इस बार यूपी का चुनाव Bio-Polar (द्विपक्षीय मुकाबला) होने जा रहा है. ऐसे में बीजेपी को तो उसके खाते के सारे वोट हासिल हो रहे हैं. दूसरी तरफ, बीजेपी के विरोधी जितने वोट हैं, वे सारे समाजवादी पार्टी के खाते में जाते हुए दिख रहे हैं. यही वजह है कि यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को ज्यादा सीटें मिलने की पूरी संभावना है.
प्रदीप सिंह ने आगे कहा कि सत्ता विरोधी लहर के बावजूद अगर यूपी में बीजेपी के खाते में उतनी ही सीटें आ रही है, जितनी पहले आई थी, तो यह एक बड़ी बात है. दूसरी तरफ एबीपी न्यूज़ के अभिज्ञान प्रकाश का चूंकि समाजवादी पार्टी इस वक्त मुलायम सिंह यादव के जमाने वाली जैसी पार्टी नहीं रही, नहीं तो उसे इसका और फायदा मिल सकता है. यानी, वह अभी पहले जैसे जनता के बीच सक्रिय पार्टी नहीं रही है.
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