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लॉ एंड ऑर्डर का मसला या ध्रुवीकरण… हावड़ा में हर बार क्यों भड़क उठती है सांप्रदायिक हिंसा?

हावड़ा में एक साल के भीतर 3 बड़ी हिंसा हुई है. हावड़ा राजधानी कोलकाता के करीब है और यहां राज्य का मुख्य सचिवालय भी है. इसके बावजूद आखिर क्या वजह है कि हावड़ा हिंसा की आग में हर बार झुलस जाती है?

पश्चिम बंगाल के उद्योग नगरी हावड़ा जिले के शिवपुर में लगातार दूसरे साल रामनवमी पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी. हिंसा में 15 से अधिक लोग घायल हैं. हावड़ा प्रशासन ने धारा 144 लगाते हुए कई इलाकों में इंटरनेट बंद कर दिया है. मुख्यमंत्री ने जांच का जिम्मा सीआईडी को सौंपा है.

हावड़ा हिंसा मामले में पुलिस ने अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार किया है. सीआईडी जांच के बाद सरकार आगे की कार्रवाई करेगी. राज्य सरकार ने सीआईडी से शिवपुर हिंसा रोकने में पुलिस का एक्शन सही था या नहीं, इसकी जांच करने के लिए भी कहा है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एबीपी के बांग्ला चैनल से कहा कि शिवपुर की हिंसा राजनीतिक साजिश है. ममता ने कहा कि बीजेपी ने बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों के जरिए इसे कराया है. बंगाल की मुख्यमंत्री ने कड़ी कार्रवाई करने की बात भी कही है.

यह हिंसा राज्य सचिवालय नवान्न से करीब 3 किमी की दूरी पर हुई है. हावड़ा के शिवपुर में पिछले एक साल में 2 बार पहले भी हिंसा हो चुकी है. हिंसा के बाद बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम ममता सरकार पर सवाल उठा रहे हैं.

राज्य सरकार ने हिंसा की वजह से जिन लोगों का नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई का ऐलान किया है. धारा 144 लागू होने की वजह से 1 अप्रैल को भी इलाके में दुकान नहीं खुले. 

हावड़ा में कैसे भड़की हिंसा?
अंजनी पुत्र सेना नामक एक संगठन ने रामनवमी का जुलूस निकाल रही थी. संगठन के फाउंडर सुरेंद्र वर्मा के मुताबिक जुलूस को रामकृष्ण घाट तक जाना था. वीएचपी ने इलाके में रामनवमी जुलूस निकालने के लिए प्रशासन से परमिशन ली थी. प्रशासन ने जुलूस के साथ पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया था. 

जुलूस शाम के 5.30 मिनट पर जैसे ही शिवपुर के फजीर बाजार पहुंची, वैसे ही उस पर पथराव हो गया. प्रशासन का कहना है कि शोभायात्रा निकालने वालों ने रूट मैप को फॉलो नहीं किया और गलत रूट से यात्राएं निकाली. हालांकि, आयोजन पुलिस के इस दावे को खारिज करते हैं.

वहीं तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि जुलूस में डीजे पर भड़काऊ गाने बजाए जा रहे थे, जिसके बाद यह घटना हुई. अंजनी सेना का आरोप है कि पथराव घरों पर से किया गया और पुलिस उपद्रवियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाई. पथराव की वजह से यात्रा में शामिल कई लोगों के सिर फूट गए.

हिंसा भड़कने के बाद हावड़ा के पुलिस के कमिश्नर प्रवीण त्रिपाठी खुद शिवपुर पहुंचे, जिसके बाद पुलिस ने स्थिति को कंट्रोल किया. हालांकि, दूसरे दिन फिर वहां पथराव शुरू हुआ, जिससे पुलिस की विफलता पर सवाल उठने लगी है. 

हावड़ा में एक साल में 3 बड़ी हिंसा...
1. 10 अप्रैल 2022- हावड़ा में 10 अप्रैल 2022 को रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद हिंसा भड़की थी. इस हिंसा में 10 लोग घायल हुए थे. हिंसा के बाद पुलिस को धारा 144 लागू करना पड़ा था. इस हमले के बाद ममता सरकार की खूब किरकिरी हुई थी. 

2. 11 जून 2022- बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान के खिलाफ हावड़ा में प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने पुलिस की गाड़ी पर पथराव कर दिया. इसके बाद हिंसा भड़की. 200 से अधिक लोगों को पकड़ा गया. हावड़ा हिंसा के बाद बंगाल पुलिस ने नूपुर शर्मा को भी नोटिस भेजा था.

3. 30 मार्च 2023- रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद हिंसा भड़की. हिंसा के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया. 15 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं, जबकि पुलिस ने 36 लोगों को गिरफ्तार किया है. जांच की जिम्मेदारी सीआईडी को सौंपी गई है.

हावड़ा हिंसा पर 3 बयान...

1. अभिषेक बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव- डीजे बजाकर जोर-शोर से भड़काऊ गाने पर जुलूस निकालना हिंदू धर्म में नहीं सिखाया गया है. बीजेपी ने अपराधियों को इस काम में लगाया था. जुलूस में शामिल लोग कार में आग लगा रहे थे. ममता बनर्जी को पहले से इसका भान था.

2. शुभेंदु अधिकारी, नेता प्रतिपक्ष बंगाल- जैसे कश्मीरी पंडितों को भागना पड़ा था, वैसे ही यहां से हिंदुओं को भागना पड़ा. हावड़ा में पिछले साल भी इसी तरह की घटना हुई थी. तृणमूल के गुंडे घटना को अंजाम देते हैं और ममता बनर्जी हिंदुओं को बदनाम करती है. 

3. मोहम्मद सलीम, सीपीएम के राज्य सचिव- ममता बनर्जी कह रही हैं कि उनको हिंसा का आभास था, तो फिर उसे रोका क्यों नहीं गया? बाबरी विध्वंस के वक्त ज्योतिबा बसु ने बंगाल में एक भी जगह हिंसा नहीं होने दिया. हमने उपद्रवियों के खिलाफ हमेशा कार्रवाई की है.

हावड़ा हिंसा में अब तक क्या-क्या हुआ?
- 30 मार्च की शाम जुलूस पर पथराव के बाद पहली बार दो पक्षों के बीच झड़प हुई. हिंसा के बाद मुख्यमंत्री एक्टिव हुई और कमिश्नर को सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया गया. पुलिस ने उपद्रवियों को खदेड़ दिया और कई मोर्चे पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई.

- 31 मार्च की सुबह स्थिति सामान्य लग रही थी, जिसके बाद दुकानदार अपना दुकान खोलने लगे, लेकिन बीच में ही पथराव होने लगा. पथराव के डर से पुलिसकर्मी भाग गए. इसके बाद कमिश्नर को खुद मोर्चा संभालना पड़ा और भीड़ को तितर-बितर किया गया.

- 31 मार्च को हुई हिंसा के बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से बात की. राज्यपाल ने सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा. राजभवन से एक प्रेस रिलीज जारी हुआ, जिसमें कहा गया कि राजभवन पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है. 

- हावड़ा में दूसरे दिन की हिंसा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यपाल से फोन पर बात की और हालात का जायजा लिया. राज्यपाल ने पूरा ब्यौरा गृह मंत्री को दिया और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही.

- घटना की एनआईए से जांच कराने की मांग को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. इधर राज्य सरकार ने सीआईडी को पूरे मामले की जांच सौंपी है.

राजधानी कोलकाता के करीब, फिर क्यों भड़कती है हिंसा?
हावड़ा पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से लगा हुआ है. कोलकाता की तरह हावड़ा में भी कमिश्नर प्रणाली है और यहां अधिकांश बड़े नेताओं का घर है. राज्य का सचिवालय नवान्न भी हावड़ा में ही है. इसके बावजूद हावड़ा में बार-बार हिंसा क्यों भड़क उठती है?

लॉ एंड ऑर्डर कायम करने में हावड़ा पुलिस विफल- अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने खुफिया रिपोर्ट के हवाले से एक खबर प्रकाशित की है. यह रिपोर्ट शिवपुर हिंसा मामले में है, जिसे राज्य के गृह विभाग को भेजा गया है. रिपोर्ट में हावड़ा पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया गया है.

इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने पिछले साल की हिंसा से कोई सबक नहीं लिया. प्रशासन ने जुलूस निकालने का परमिशन तो दे दिया गया, लेकिन उन इलाकों में सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया, जहां मिश्रित आबादी है. 

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पुलिस ने ऊंची इमारतों से किसी अनहोनी को रोकने के लिए किसी भी तरह के इंतजाम नहीं किए गए थे. पुलिस सूत्रों ने अखबार को बताया कि उस इलाके से 2-2 जुलूस निकालने की परमिशन दी गई थी. 

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश भी वजह- पश्चिम बंगाल में इस साल 2000 से ज्यादा जगहों पर रामनवमी के जुलूस निकालने की परमिशन प्रशासन ने दी थी. अधिकांश जगहों पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इसका आयोजन किया था. 

कलकत्ता विश्वविद्यालय में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर किंगशुक चटर्जी द टेलीग्राफ से बात करते हुए कहते हैं- पश्चिम बंगाल में डीजे के साथ शोभायात्रा निकालने की पहले कोई परंपरा नहीं थी. यहां अधिकांश लोग भगवान राम की तुलना में कृष्ण को मानते हैं और इसकी वजह चैतन्य महाप्रभु थे. 

भगवान कृष्ण और नारायण से जुड़े किसी भी आयोजन में हिंसा की खबरें नहीं आती है, लेकिन रामनवमी के जुलूस में हर साल कहीं न कहीं से हिंसा की खबरें आ ही जाती है. अमूमन उन इलाकों से जहां मुसलमान ज्यादा है. इसलिए इसके पैटर्न को समझने की जरूरत है. 

2011 के जनगणना के मुताबिक हावड़ा की आबादी करीब 48 लाख है. इनमें मुसलमानों की आबादी 26 फीसदी से ज्यादा है. पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद, मालदा, दिनाजपुर के बाद हावड़ा में ही मुसलमान सबसे ज्यादा रहते हैं. यहां बंगाली मुसलमान के साथ-साथ हिंदी भाषा मुसलमान भी रहते हैं. 

अवैध निर्माण और संकरी गलियां बनी मुसीबत- राजधानी के करीब होने की वजह से हावड़ा के शिवपुरी में खूब अवैध निर्माण हुआ है. साल 2022 में इसकी शिकायत के लिए एक हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई थी. जनवरी 2022 से लेकर मार्च 2022 तक अवैध निर्माण की 565 शिकायतें आई थी. 

हावड़ा के शिवपुर इलाके में मुख्य सड़क के दोनों ओर बहुमंजिला इमारत बना हुआ है. साथ ही इलाके की गलियां काफी संकरी है. अब तक 3 बार हुई हिंसा में उपद्रवी पहले छत से पत्थर और पेट्रोल बम फेंकते है और फिर दूसरे छत से कूदकर गलियों में भाग जाते हैं. पुलिस भी इन जगहों पर मोर्चाबंदी नहीं कर पाती है.

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