Explained: पंजाब-हरियाणा के हाथ से निकला चंडीगढ़! बीजेपी 'आर्टिकल 240' लागू करने पर क्यों तुली, दो राज्यों की एक राजधानी का क्या होगा?
ABP Explainer: चंडीगढ़ को अपना बताते हुए पंजाब का एक मशहूर स्लोगन है, 'खिड़िया फूल गुलाब दा, चंडीगढ़ पंजाब दा'. लेकिन अब शायद यह गलत हो जाएगा, क्योंकि केंद्र सरकार चंडीगढ़ को UT बनाएगी. लेकिन क्यों?

लोकसभा और राज्यसभा के 21 नवंबर के बुलेटिन के मुताबिक, केंद्र सरकार 1 दिसंबर 2025 से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में 131वां संशोधन विधेयक 2025 पेश करेगी. लेकिन इससे पहले ही पंजाब में सियासी हंगामा मच गया है. पंजाब सरकार और कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. नतीजतन सरकार को कहना पड़ा कि विधेयक पर सिर्फ विचार किया जा रहा है. चंडीगढ़ को लेकर पहले से पंजाब और हरियाणा में खींचतान है, ऊपर से केंद्र भी इसमें कूद पड़ा है. ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि आर्टिकल 240 होता क्या है, बीजेपी चंडीगढ़ पर कंट्रोल क्यों चाहती है और कैसे दो राज्यों की एक राजधानी हो सकती है...
सवाल 1- भारत के संविधान में आर्टिकल 240 क्या है?
जवाब- भारतीय संविधान का आर्टिकल 240 देश के राष्ट्रपति को खासकर केंद्र शासित प्रदेशों में शांति, विकास और व्यवस्था बनाने का अधिकार देता है. यानी वह केंद्र सरकार के जरिए केंद्र शासित प्रदेशों यानि UTs के लिए नियम और कानून बना सकते हैं. आर्टिकल 240 उन UTs के लिए है जिनके पास अपनी विधानसभा नहीं है. यह अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव के साथ ही पुडुचेरी जैसे बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होता है.
चंडीगढ़ का प्रशासन फिलहाल पंजाब के राज्यपाल के अधीन है. राज्यपाल राज्य के मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करते हैं तो इस तरह से चंडीगढ़ से जुड़े मामलों पर पंजाब सरकार का परोक्ष दखल होता है. अभी चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा की राजधानी है. यहां SSP पंजाब से और DC हरियाणा कैडर से लगाया जाता है. लेकिन अगर आर्टिकल 240 लागू हुआ तो यह भी लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) के अधीन हो जाएगा.
आर्टिकल 240 के बाद राष्ट्रपति चंडीगढ़ के प्रशासन, पुलिस, जमीन, शिक्षा और नगर निगम संस्थानों आदि पर सीधे नियम बना सकते हैं. बिल के बाद सभी नियुक्ति सीधे केंद्र सरकार करेगी. केंद्र के पास कानून बनाने की सीधी शक्ति होगी.
सवाल 2- आर्टिकल 240 के खिलाफ विरोधी माहौल क्या और क्यों है?
जवाब- पंजाब के नेताओं का कहना है कि आर्टिकल 240 के बाद चंडीगढ़ पर पंजाब का प्रशासनिक और राजनीतिक कंट्रोल खत्म हो जाएगा. इसके जरिए चंडीगढ़ को हरियाणा को सौंपने के लिए रास्ता बनाया जा रहा है. पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा, 'हम इस बिल का विरोध करते हैं. यह पंजाब के हितों के खिलाफ है. हम केंद्र की साजिश कामयाब नहीं होने देंगे. पंजाब के गांवों को उजाड़कर बने चंडीगढ़ पर सिर्फ पंजाब का हक है. अपना हक यूं ही नहीं जाने देंगे.'
पंजाब सरकार और विपक्ष को लगता है कि आर्टिकल 240 लागू होने के बाद-
1. संवैधानिक और प्रशासनिक अधिकार छिन जाएंगे: अभी चंडीगढ़ का प्रशासक पंजाब का राज्यपाल होता है, जो राज्य को अप्रत्यक्ष कंट्रोल देता है. आर्टिकल 240 से राष्ट्रपति को सीधे कानून बनाने का अधिकार मिलेगा और चंडीगढ़ को अलग LG मिल जाएगा, जो पंजाब से नहीं होगा. इससे पंजाब का चंडीगढ़ पर कोई हक नहीं बचेगा.

2. केंद्र का एंटी-पंजाब एजेंडा: पंजाबी दल इसे केंद्र की साजिश मानते हैं, जो पहले नदी जल विवाद, पंजाब यूनिवर्सिटी को केंद्रीय बनाने जैसे मुद्दों पर पंजाब को कमजोर कर चुकी है. अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा, 'यह विधेयक पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला है और संघवाद के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगें और इस कदम का पुरजोर विरोध करेंगे.'
3. संघीय ढांचे को खतरा: यह कदम राज्यों के अधिकारों को कमजोर कर केंद्र को ज्यादा ताकत देगा, जो भारत के संघवाद (फेडरल स्ट्रक्चर) के खिलाफ है. इससे चंडीगढ़ हरियाणा को ज्यादा फायदा पहुंचा सकता है. सुखबीर बादल ने फिर कहा, 'यह विधेयक पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला है और संघवाद के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.'
वहीं, पंजाब विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सभी राजनीतिक दलों के बीच एकता का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि BJP के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार चंडीगढ़ के संबंध में एक अत्यंत संवेदनशील संशोधन पेश करने की तैयारी कर रही है. यह 'पंजाब पर एक और हमला' है.
सवाल 3- आखिर बीजेपी चंडीगढ़ को UT बनाने पर क्यों तुली हुई है?
जवाब- आर्टिकल 240 के विरोध की वजह से 23 नवंबर को गृह मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा, 'केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए सिर्फ केंद्र सरकार के कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल करने का प्रस्ताव अभी विचाराधीन है. इस प्रस्ताव पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. इसमें किसी भी तरह से चंडीगढ़ की शासन-प्रशासन की व्यवस्था या चंडीगढ़ के साथ पंजाब या हरियाणा के परंपरागत संबंधों को बदलने की कोई बात नहीं है.'
बीजेपी का दावा है कि-
- चंडीगढ़ का विकास तेज होगा: चंडीगढ़ को UT का दर्जा मिलने से विकास को बढ़ावा मिलेगा. केंद्र फंडिंग और प्रोजेक्ट्स को ज्यादा कुशलता से लागू कर सकेगा, जैसे अंडमान-निकोबार या लक्षद्वीप में होता है.
- अन्य UT के साथ एकरूपता लाना: चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के तहत लाकर इसे अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली जैसे बिना विधानसभा वाले UT के बराबर बनाना है. इससे प्रशासनिक संरचना सरल हो जाएगी, जहां राष्ट्रपति सीधे नियम बना सकेंगे.
- प्रशासनिक स्वतंत्रता बढ़ाना: वर्तमान व्यवस्था में पंजाब राज्यपाल चंडीगढ़ का प्रशासक होता है, लेकिन आर्टिकल 240 से अलग LG नियुक्त हो सकेगा, जो केंद्र के सीधे नियंत्रण में होगा.
लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके पीछे बीजेपी की कोई बड़ी मंशा जरूर है. वैसे भी सबकुछ राज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार के हाथों में है, लेकिन आर्टिकल 240 पंजाब के लोगों की भावनाएं आहत करती है. वह लोग इस पर अपना अधिकार नहीं छोड़ना चाहते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री ने BBC को बताया, 'ये मौजूदा सरकार का SOP है कि पहले वो देखते हैं लोग किसी मुद्दे पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जिस मुद्दे को 5-6 आयोग बनने के बाद नहीं सुलझाया जा सका है, वो कितना अहम हो सकता है, इसका सरकार को अंदाजा नहीं है.'
सवाल 4- चंडीगढ़ का इतिहास क्या है और यह भावनात्मक रूप से कैसे जुड़ा है?
जवाब- चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच जो खींचतान चल रही है, वह भारत के सबसे पुराने और सबसे भावनात्मक राजनीतिक विवादों में से एक है. यह सिर्फ एक शहर का सवाल नहीं है, बल्कि दोनों राज्यों की पहचान, गौरव और इतिहास का सवाल है...
1947 में जब देश बंटा तो पुराना अविभाजित पंजाब दो हिस्सों में टूट गया. उस समय पंजाब की राजधानी लाहौर थी, जो पाकिस्तान के पास चली गई. पंजाब के पास कोई बड़ी राजधानी नहीं बची. कुछ साल तक शिमला को अस्थायी राजधानी बनाया गया, लेकिन वह बहुत दूर था और स्थायी हल नहीं था.
1950 के दशक में जवाहरलाल नेहरू और पंजाब के तत्कालीन सीएम भिमसेन सच्चर ने फैसला किया कि एक बिल्कुल नया, आधुनिक और प्लान्ड शहर बनाया जाए. जगह चुनी गई पंजाब के तरण तारन, रोपड़ और अंबाला के पास की पहाड़ियों की तलहटी. मशहूर फ्रांसिसी आर्किटेक्ट ले कोर्बुजियर को डिजाइन का जिम्मा सौंपा गया. 1952 में नींव पड़ी और 1960 तक शहर लगभग तैयार हो गया. चंडी माता के मंदिर के नाम पर शहर का नाम रखा गया- चंडीगढ़.
1970 के दशक में चंडीगढ़ को अपना बताते हुए पंजाब में एक स्लोगन बहुत मशहूर था, 'खिड़िया फूल गुलाब दा, चंडीगढ़ पंजाब दा.'
सवाल 5- तो फिर चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा के बीच कैसे बंट गया?
जवाब- 1966 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं. उस समय पंजाबी सूबा आंदोलन अपने चरम पर था. संत फतेह सिंह और मास्टर तारा सिंह के नेतृत्व में पंजाबी भाषा के आधार पर अलग राज्य की मांग हो रही थी. आखिरकार 1 नवंबर 1966 को पंजाब को दो हिस्सों में बांट दिया गया. एक पंजाब और दूसरा हरियाणा.
दोनों नए राज्यों के पास अपनी अलग राजधानी नहीं थी. इस वजह से चंडीगढ़ को दोनों की संयुक्त राजधानी बनाया गया और इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया. इसी पुनर्गठन के समय केंद्र सरकार ने साफ-साफ लिखित वादा किया था, 'चंडीगढ़ को 26 जनवरी 1970 तक पंजाब को सौंप दिया जाएगा. बदले में पंजाब हरियाणा को फाजिल्का और अबोहर इलाके के लगभग 100 हिंदी भाषी गांव देगा. हरियाणा को अलग राजधानी बनाने के लिए केंद्र 150 करोड़ रुपये देगा.'
यह वादा पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 में लिखा हुआ है. पंजाब को लगा कि कुछ साल बाद उसकी अपनी राजधानी वापस आ जाएगी. लेकिन 1970 में 26 जनवरी की तारीख आई और चली गई. केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ पंजाब को नहीं दिया. हरियाणा ने भी गांव देने से इनकार कर दिया. मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. पंजाब में गुस्सा भड़क गया और दोनों राज्यों में रस्साकशी शुरू हुई.
राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने तक दोनों राज्यों में झगड़ा बहुत बढ़ गया था. 24 जुलाई 1985 को राजीव गांधी और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष हरचंद सिंह लोंगोवाल ने ऐतिहासिक समझौता किया, जो पंजाब में शांति लाने की सबसे बड़ी कोशिश थी. इसमें साफ लिखा था, 'चंडीगढ़ को 26 जनवरी 1986 तक पूरी तरह पंजाब को सौंप दिया जाएगा. बदले में पंजाब हरियाणा को हिंदी भाषी इलाका (लगभग 70,000 एकड़ जमीन) देगा. यह फैसला एक स्वतंत्र कमीशन करेगा. हरियाणा को अलग राजधानी बनाने के लिए केंद्र पैसा देगा.'
लेकिन समझौते के ठीक एक महीने बाद ही 28 अगस्त 1985 को आतंकवादियों ने हरचंद सिंह लोंगोवाल की हत्या कर दी. 26 जनवरी 1986 आई और चली गई. लेकिन चंडीगढ़ फिर भी नहीं मिला. तब से लेकर आज तक राजीव-लोंगोवाल समझौता भी कागजों में ही दबा पड़ा है.
- चंडीगढ़ आज भी केंद्र शासित प्रदेश है.
- इसका प्रशासक पंजाब का राज्यपाल ही होता है, इसलिए पंजाब को थोड़ा फायदा मिलता है. जैसे सरकारी नौकरियां, जमीन आदि.
- पंजाब के पास चंडीगढ़ में करीब 60% से ज्यादा जमीन है, 70-75% सरकारी कर्मचारी पंजाब के हैं.
- हरियाणा ने अपनी अलग राजधानी के लिए पंचकूला बना लिया है, लेकिन चंडीगढ़ पर दावा नहीं छोड़ता.
- पंजाब का स्टैंड: दो-दो लिखित समझौते हुए, जिसमें चंडीगढ़ हमें मिलना था. हमें धोखा दिया गया.
- हरियाणा का स्टैंड: हमने भी चंडीगढ़ के निर्माण में पैसा लगाया. हमारा भी बराबर हक है.
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