Aap Jaisa Koi Review: माधवन-फातिमा की ये फिल्म है शानदार, कुछ मर्दों के इगो को पहुंचा सकती है तगड़ी ठेस
Aap Jaisa Koi Review: आर माधवन और फातिमा सना शेख स्टारर फिल्म 'आप जैसा कोई' एक ऐसी प्रेम कहानी को दर्शाती है जिसमें बराबरी वाले प्यार पर ज्यादा फोकस किया गया है.
विवेक सोनी
आर माधवन, फातिमा सना शेख, मनीष चौधरी, आयशा रजा मिश्रा, नमित दास, करण वाही
Netflix
क्या ये जरूरी है कि औरत को हर काम के लिए मर्द से पूछना पड़ेगा, बीवी को नौकरी करनी है तो पति की इजाजत लेनी ही होगी,गर्लफ्रेंड को दोस्तों से मिलने जाना है तो बॉयफ्रेंड की परमिशन जरूरी है, क्या मर्द ही ये तय करेगा कि औरत की लिमिट क्या होगी, उसे कब कितनी आजादी देनी है. बहुत से घरों में आज भी ये होता है और ये फिल्म इसपर सवाल उठाती है और सिर्फ सवाल नहीं उठाती औरत को अपनी प्रॉपर्टी समझने वाले मर्दों की इगो को जबरदस्त चोट पहुंचाती है और अपने मकसद में कामयाब होती है. इस फिल्म पर बहस होगी और होनी भी चाहिए क्योंकि मुद्दा सही हो तो बहस से कोई परहेज नहीं करना चाहिए. करण जौहर ने एक बार फिर एक अलग तरह का रोमांस दिखाया है और सोसाइटी के लिए एक ऐसी फिल्म बनाई है जो जरूरी है, आर माधवन और फातिमा सना शेख की ये कमाल की फिल्म नेटफ्लिक्स पर आ चुकी है.
कहानी
ये कहानी है 40 पार कर चुके संस्कृत के टीचर आर माधवन यानि श्रीरेणु त्रिपाठी की, उसकी शादी नहीं हुई है. किसी लड़की से अब तक दोस्ती तक नहीं हुई, वो वर्जिन है. लेकिन घर पर उसने यही देखना है कि मर्दों की ही चलती है और औरत को वही करना होता है जो मर्द चाहते हैं और हर चीज में मर्दों की इजाजत लेनी पड़ती है. अपने दोस्त के कहने पर वो एक डेटिंग ऐप पर आता है एक लड़की से बात करता है और फिर कुछ दिन बाद एक बेहद खूबसूरत लड़की फातिमा सना शेख यानि मधु बोस का रिश्ता उसके लिए आ जाता है. मधु फ्रेंच की टीचर है, बंगाली परिवार से है और कोलकाता में रहती है. दोनों का रिश्ता होता है लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है कि शादी से पहले दोनों का रिश्ता खराब भी हो जाता है. अब ये क्यों होता है, इसके लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी और देखनी चाहिए.
कैसी है फिल्म
ये एक कमाल की फिल्म है, दो घंटे से भी कम की ये फिल्म आपको एंटरटेन करती है. आपको सिखाती है, आपको शायद ठेस भी पहुंचाती है, कुछ लोगों को ये फिल्म देखकर लग सकता है कि ऐसी फिल्में क्यों बनाते हैं ये लोग. इससे तो औरतों का दिमाग खराब होगा और ऐसी सोच वालों को ये ठेस पहुंचनी भी चाहिए. फिल्म कमाल तरीके से रोमांस दिखाती है, और शानदार तरीके से कुछ ऐसे सवाल खड़े करती है जो सवाल खड़े किए जाने चाहिए. फिल्म कहीं खिंची हुई नहीं लगती, कहीं नहीं लगता कि छोटी होती तो और बढ़िया लगती. हर किरदार की कास्टिंग और एक्टिंग कमाल है. कुल मिलाकर ये फिल्म आपको कुछ दे जाती है, आपके साथ ठहर जाती है और ऐसी ठहर जाने वाली फिल्में आजकल कम ही बनती हैं.
एक्टिंग
आर माधवन ने एक बार फिर कमाल कर दिया है. वो इस कदर इस किरदार में घुसे हैं कि वो आपको 41 साल के संस्कृत टीचर श्रीरेणु त्रिपाठी ही लगते हैं. हल्का सा पेट निकला हुआ,गजब की मासूमियत और चार्म ऐसा कि आप उससे बच ही नहीं सकते. माधवन chameleon बन गए हैं जो हर किरदार के हिसाब से रंग बदल लेते हैं. उनके रोमांटिक सीन कमाल के हैं, फातिमा सना शेख ने कमाल काम किया है. उन्हें देखकर आपको मैं हूं ना की सुष्मिता सेन याद आ जाती हैं. वो बहुत खूबसूरत लगी हैं और जिस तरह से उन्होंने इस मजबूत लड़की का किरदार निभाया है उससे काफी लड़कियों को हिम्मत भी मिलेगी और प्रेरणा भी. ऐसे ही किरदार सिनेमा को सिनेमा बनाते हैं. आयशा रजा का काम कमाल का है, उन्हें देखकर खूब सारी औरतें उनसे रिलेट करेंगी. मनीष चौधरी का किरदार काफी अहम है और उन्होंने इसे पूरी शिद्दत से प्ले किया है. नमित दास का काम शानदार है, वो माधवन के दोस्त बने हैं और आपको वो याद रह जाते हैं, इसके अलावा बाकी के एक्टर्स ने भी अच्छा काम किया है.
राइटिंग और डायरेक्शन
इस फिल्म को राधिका आनंद और जेहान हांडा ने लिखा है और विकेक सोनी ने डायरेक्ट किया है, और इन तीनों का काम कमाल है. राइटिंग बहुत अच्छी है, जो बात कहना चाहते थे उसे असरदार तरीके से कहा गया है. कहीं फिल्म ढीली नहीं पड़ती है, डायरेक्शन बढ़िया है. पूरी फिल्म आपको बांधे रखती है, तारीफ करण जौहर की भी करनी होगी कि वो ऐसी कहानियं बना रहे हैं जो सोसाइटी को कुछ देकर जाती हैं.
रेटिंग:-4 स्टार्स
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