मंत्र जाप के लिए क्यों किया जाता है माला का प्रयोग, जानें नियम और सावधानियां
धार्मिक मान्यता है कि मंत्रों में बहुत शक्ति होती है. हर मंत्र से अलग तरह का प्रभाव और शक्ति उत्पन्न होती है.

हिंदू धर्म में मंत्रों का बहुत महत्व दिया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि मंत्रों में बहुत शक्ति होती है. मना जाता है कि हर मंत्र से अलग तरह का प्रभाव और शक्ति उत्पन्न होती है. मंत्र का जाप करने के लिए माला का प्रयोग किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है.
माला का प्रयोग इसलिए किया जाता है कि मंत्र जप की संख्या में कोई गलती न हो जाए. माला के दानों को मनका कहा जाता है. सामान्यतः माला में 108 मनके होते हैं हालांकि इसमें 27 अथवा 54 मनके भी होते हैं. अलग-अलग मंत्र के जाप के लिए माला भी अलग-अलग प्रयोग की जाती है.
माला के प्रयोग के नियम -माला के हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए. माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए, दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
-मंत्र जाप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो.
-मंत्र जप के समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं होना चाहिए साथ ही सुमेरु का उल्लंघन भी नहीं होना चाहिए.
-मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए. यह याद रखना चाहिए जिस माला से मंत्र जाप करते हैं, उसे धारण नहीं करें.
रुद्राक्ष की माला: अधिकांश मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं. महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र केवल रुद्राक्ष पर ही जप सकते हैं.
स्फटिक की माला: मां सरस्वती और मां लक्ष्मी के मन्त्र इस माला से जपना उत्तम होता है
हल्दी की माला: बृहस्पति देव और मां बगलामुखी के मन्त्रों के लिए हल्दी की माला का प्रयोग होता है. ज्ञान और संतान प्राप्ति के मन्त्रों का जाप भी कर सकते हैं.
चन्दन की माला: दो तरह की चंदन की माला का प्रयोग किया जाता है. लाल चन्दन और श्वेत चन्दन. देवी के मन्त्रों का जाप लाल चन्दन की माला से किया जाता है. भगवान् कृष्ण के मन्त्रों के लिए सफ़ेद चन्दन की माला का प्रयोग किया जाता है.
तुलसी की माला: भगवान् विष्णु और उनके अवतारों के मन्त्रों का जाप तुलसी की माला से किया जाता है. यह माला धारण करने पर वैष्णव परंपरा का पालन करना चाहिए. तुलसी की माला पर कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए.
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Source: IOCL





















