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Makar Sankranti 2024: 4 शुभ योग में मनाई जाएगी मकर संक्रांति, दान का मिलेगा विशेष पुण्य
Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का पर्व आने वाला है. इस दिन दान का विशेष महत्व बताया गया है. पंचांग के अनुसार जनवरी 2024 में संक्रांति का पर्व किस डेट को होगा, एस्ट्रोलॉजर से जानते हैं.
Makar Sankranti 2024: यूं तो हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. क्योंकि सूर्यदेव का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी 2024 की रात 2 बजकर 44 मिनट पर होगा इसलिए उदयातिथि के अनुसार 15 जनवरी 2024 को मकर संक्राति मनाई जाएगी. सूर्य का उत्तरायण प्रवेष अत्यन्त शुभ माना गया है. क्योंकि इस दिन से पूरे मलमास से रूके हुए विवाह, गृह प्रवेष, यज्ञोपवित संस्कार जैसे मांगलिक व शुभ कार्य पुनः शुरू हो जाते है.
मकर संक्रांति कब है?
मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल और महापुण्यकाल में स्नान-दान बेहद फलदायी माना जाता हैं इस बार पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी 2024 को सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगां वहीं महापुण्य काल दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से शाम 06 बजे तक रहेगा.
शश योग, वरियान योग, वाशी योग, सुनफा योग में मनेगी संक्रांति
इस दिन सूर्य मकर राशि में रहेंगे. साथ ही शतभिषा व पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, शश योग, वरियान योग, वाशी योग, सुनफा योग बनेगा. इन योगों में शुभ कार्य, दान, पुण्य, तीर्थ यात्रा, भागवत महापुराण का पाठ करना किस्मत के बंद दरवाजे खोल सकता है.
वहीं कुंभ राशि के चंद्रमा में मकर संक्रांति का पुण्य काल होगा, जो कि बेहद शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस दिन सूर्य पूजन तथा भगवान शिव का अभिषेक विशेष रुप से करना चाहिए.
मकर संक्राति पर दान की इतनी महिमा क्यों है?
लाखों लोग इस पर्व पर दान करते है, कहते हैं कि इसकी महिमा को जानने के लिए यक्ष ने धर्मराज युधिष्ठर से प्रश्न किया कि मृत्यु के समय सब यहीं छूट जाता है, सगे-संबंधी, मित्र कोई साथ नहीं दें पाते तब उसका साथी कौन होता है? इस पर युधिष्ठर ने कहा-मृत्यु प्राप्त करने वाले का मित्र दान हैं, वही उसका साथ दे पाता हैं. सुपात्र को या सही व्यक्ति को दिया जाए जो प्राप्त दान को श्रेष्ठ कार्य में लगा सकें, उसी को दिया गया दान श्रेष्ठ होता है. वही पुण्य फल देने में समर्थ होता है.
अथर्ववेद में बताया गया है इस दिन का महत्व
इसी प्रकार अथर्ववेद में कहा गया है कि-सैकड़ों हाथों से कमाओं और हजारों हाथों से बांट दो. दान कई प्रकार का हो सकता है-अर्थ दान, विद्या दान, श्रम दान, ज्ञान दान, अंग दान, रक्त दान आदि, इनमें से हर एक की अपनी महत्वता है.
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