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Kutup Kaal: श्राद्ध में कुतुप काल क्या होता है ? इस समय श्राद्ध नहीं किया तो मिलते हैं ये बुरे परिणाम

Kutup Kaal: पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का एक समय निर्धारित किया गया है, इस दौरान ही पितर भोजन ग्रहण कर पाते हैं, श्राद्ध के लिए कुतुप काल सबसे उचित समय माना जाता है. जानें क्या है ये कुतुप काल.

Pitru Paksha 2025 Kutup Kaal: पूर्वजों का ऋण चुकाने के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. श्राद्ध पितरों की आत्मा की शांति होता है और शास्त्रों में इसे करने का एक निश्चित समय बताया गया है. श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप काल सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. क्या है कुतुप काल, इस दौरान श्राद्ध नहीं करने पर क्या होता है आइए जानते हैं.

कुतुप काल क्या है ?

पुराणों के अनसुरा पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध उचित वक्त पर करने से ही फलदायी होते हैं. श्राद्ध के लिए कुतुप काल को सबसे उचित मुहूर्त माना जाता है ये दिन का आठवां मुहूर्त होता है. जो तकरीबन सुबह 11.30 से 12.42 के बीच होता है.

इस दौरान अग्नि के जरिए पितरों को भोग लगाना शुभ होता है क्योंकि मान्यता है कि इस वक्त पितरों का मुख पश्चिम की ओर हो जाता है, पितर अपने वंशजों के जरिए श्रद्धा से लगाए भोग को बिना किसी कठिनाई के ग्रहण कर लेते हैं.

श्राद्ध के लिए दोपहर का समय क्यों है श्रेष्ठ

पुराणों के अनुसार सू्र्य के जरीए ही श्राद्ध हमारे पितरों तक पहुंचता है. इसलिए पुराणों में सूर्य का एक नाम पितर भी बताया गया है. दोपहर के समय सूर्य अपने पूरे प्रभाव में होता है जिससे पितरों को श्राद्ध ग्रहण करने में आसानी होती है. 

कुतुप काल में श्राद्ध नहीं करने पर क्या होता है ?

कहा जाता है कि कुतुप मुहूर्त में पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म ना करने से अनुष्ठान अधूर रह जाता है. साथ ही पितरों की आत्मा बिना तृप्त हुए वापस लौट जाती है और फिर परिवार जन को कष्टों का सामना करना पड़ता है.कुत

सुबह या शाम श्राद्ध क्यों नहीं करना चाहिए ?

धर्म ग्रंथों के अनुसार सुबह का समय देवी-देवताओं की पूजा का होता है, और पितर-देव पूजन एक साथ नहीं किए जाते हैं. वहीं शाम का समय राक्षसों के लिए होता है. यह श्राद्ध कार्यों के लिए निंदित माना जाता है.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

जागृति सोनी बर्सले ने माखनलाल यूनिवर्सिटी भोपाल से पत्रकारिता की पढ़ाई की है. वर्तमान में Abplive.Com में बतौर कंसल्टेंट धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर कार्य कर रही हैं. इन्हें पत्रकारिता में 8 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. जागृति सोनी बर्सले ने डिजिटल पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक भास्कर डॉट कॉम से की. इसके बाद इन्होंने राष्ट्रीय और लाइफस्टाइल खबरों के अलावा वीडियो सेक्शन में बतौर सीनियर प्रोड्यूसर भी लंबे समय तक काम किया है. खाली समय में इन्हें किताबें पढ़ना इन्हें अच्छा लगता है. अध्यात्म में इनकी गहरी रुचि है. लोगों के जीवन को सरल व सुगम बनाने के लिए ये अपने लेखों के माध्यम से प्रेरित करती रहती हैं. इनका मकसद धर्म और ज्योतिष के वैज्ञानिक पहलुओं से लोगों को अवगत कराना ताकि हजारों साल पुराने इस ज्ञान को दैनिक जीवन में अधिक उपयोगी बनाया जा सके. इन्हें संगीत व धार्मिक स्थलों की यात्रा करने का भी शौक है. महिलाओं व बच्चों के विकास के लिए ये जागरुक भी करती रहती हैं.
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