8 दिनों तक नहीं कर सकेंगे कोई भी शुभ कार्य, जानें कब से शुरू हो रहा है 'होलाष्टक'
3 मार्च से होलाष्टक लगने वाला है. मान्यता है कि होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. होलाष्टक 9 मार्च तक रहेगा.

होलाष्टक : किसी शुभ कार्य करने की योजना बना रहे हैं तो आपके पास 1 और 2 मार्च का ही दिन शेष है, क्योंकि इसके बाद यानि 3 मार्च से होलाष्टक लगने वाला है. होलाष्टक आठ दिनों तक रहेगा इस दौरान शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं. आइए जानते हैं होलाष्टक के बारे में...
8 दिन का होता है होलाष्टक
होलाष्टक दो शब्दों को मिलाकर बना है. पहला होला और दूसरा अष्टक. इसे मिला देने से होलाष्टक शब्द बनता है. इसका अर्थ होली से पूर्व के 8 दिन. इन 8 दिनों को ही होलाष्टक माना गया है. हिंदू धर्म में इसका बहुत महत्व है. मान्यता है कि होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
9 और 10 मार्च को है होली का पर्व
होली का पर्व इस बार 9 और 10 मार्च को है. जिसमें होलिका दहन 9 मार्च को रंगों की होली 10 मार्च 2020 को है. होली को फाल्गुनी भी कहते हैं क्योंकि होली का पर्व फाल्गुन मास में मनाया जाता है. इस वर्ष होलाष्टक का समय 3 मार्च 2020 से 9 मार्च 2020 तक रहेगा. यानि फाल्गुण शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन यानि पूर्णिमा तक होलाष्टक रहेगा.
इन कार्यों को नहीं करना चाहिए
होलाष्टक में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण और विद्यारंभ जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. वहीं घर में किसी भी नइ वस्तु को नहीं लाना चाहिए. इसके अतिरिक्त वाहन, भवन, सोना, रत्न की खरीदारी से भी बचना चाहिए. होलाष्टक में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य को करना वर्जित माना गया है.
होलाष्टक कथा
जब प्रेम बाण चलाकर कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या को भंग कर दिया तो. वे क्रोधित हो गए और अपना तीसरा नेत्र खोल दिया. तीसरे नेत्र से निकली अग्नि से कामदेव भस्म हो गए. कामदेव के भस्म होते ही सृष्टि में शोक फैल गया. अपने पति को जीवित करने के लिए रति ने भगवान शिव से प्रार्थना की. इससे भगवान शिव प्रसन्न हो गए और कामदेव को पुर्नजीवित कर दिया. एक अन्य कथा के अनुसार भक्त प्रह्लाद की भक्ति से नाराज होकर हिरण्यकश्यप ने होली से पहले के आठ दिनों में प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के कष्ट और यातनाएं दीं. तभी से इन आठ दिनों को हिन्दू धर्म में अशुभ माना गया है.
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