Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के दौरान माता रानी धरती पर कब आती है? जानिए आगमन का समय!
Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि आश्विन मास में देवी दुर्गा की नौ रातों की पूजा का पर्व है, धार्मिक मान्यता के अनुसार शारदीय नवरात्र में धरती पर मां दुर्गा का आगमन होता है. आइए जानते हैं.

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि एक हिंदू पर्व है, जो आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आता है और देवी दुर्गा की नौ रातों तक चलने वाली पूजा को समर्पित है, जो बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है.
यह पर्व जीवन में शक्ति, साहस और विजय प्राप्त करने के लिए मां दुर्गा की आराधना करने का अवसर है, जिससे व्यक्ति को जीवन में सुख-शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
नवरात्रि में धरती पर मां दुर्गा का आगमन
धार्मिक मान्यता के अनुसार शारदीय नवरात्र में धरती पर मां दुर्गा का आगमन होता है. इस शुभ अवधि के दौरान मां दुर्गा के 09 के रूपों की पूजा-अर्चना करने का विधान है. साथ ही विधिपूर्वक व्रत भी किया जाता है. इससे साधक के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं
किस समय माता रानी धरती पर आती हैं?
नवरात्रि का पावन समय चल रहा हो. हर ओर श्रद्धा और आस्था की गुंज हो मंदिरों में घंटियां लगातार बज रही हो, ढोल नगाड़ों की ध्वनि वातावरण में गूंज रही हो, घर-घर में दीपक जल रहे हो. कलश स्थापित हो रहे हो और भक्त जन पूरी भक्ति भावों से माता रानी की आराधना में लीन हो.
शास्त्रों और पुराणों में वर्णन मिलता है कि, इन नौ दिनों में मां दुर्गा केवल भक्तों की पुकार पर ही नहीं आती है. बल्कि वह स्वयं धरती पर तीन अद्भुत समय पर अवतरित होती है, ये वह तीन क्षण होते हैं जब पूरा वातावरण अचानक बदल जाता है.
आकाश में एक अदृश्य फैल जाती है, हवाओं में सुगंध तैरने लगती है और भक्तों की हृदय में बिना किसी कारण के अलौकिक और शक्ति का संचार होने लगता है.
इस समय मां दुर्गा स्वयं अपने रथ पर सवार होकर धरती पर उतरती है और हर उस भक्त के जीवन को स्पर्श कर रही हो जिसने सच्चे मन से उन्हें पुकारा है. इन पावन समय में मां का आगमन होता है.
सच्चे मन से बुलाने पर माता रानी देती हैं दर्शन
इन पावन समय में मां का आगमन केवल आस्था की परंपरा नहीं है. बल्कि, ये एक गहरा संकेत भी है कि जीवन में कठिनाई कितनी भी हो अगर भक्ति सच्ची है तो मां स्वयं अपने भक्तों की रक्षा करने आती है.
जो साधक इन क्षणों को पहचान कर पूरे मन से माता का ध्यान करते हैं, उनके जीवन की अंधेरी राहे भी प्रकाशमयी बन जाती है. यह वहीं घड़ी होती है, जब धरती और आकाश की दूरी जैसे मिट जाती है.
भक्त अपने साधना और आस्था के बल पर मां की कृपा का सीधा अनुभव करता है. कहा जाता है कि इस समय किया गया ध्यान, जपा गया मंत्र और चढ़ाया गया एक फुल भी कोटि-कोटि पुण्य का फल देता है.
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