कब्र और मजार में क्या है अंतर? जानिए, क्यों मजार पर होती है जियारत!
Mazar and Grave: इस्लाम धर्म में कब्र और मजार में ज्यादातर लोग अंतर नहीं कर पाते हैं और उन्हें एक ही समझ लेते हैं, जबिक दोनों के मतलब काफी अलग हैं. जानिए मजार और कब्र के बीच का अंतर!

Mazar and Grave कब्र उस गड्ढे को कहते हैं जिसमें शव को दफनाया जाता है, जबकि मजार किसी पूजनीय व्यक्ति खासकर किसी शंत या वली की कब्र को कहते हैं, जिसके आसपास अक्सर दरगाह नामक एक इमारत बनाई जाती है, जो अनुयायियों के लिए श्रद्धा स्थल होता है.
इसलिए, एक मजार एक विशेष प्रकार की कब्र है, जो धार्मिक महत्व रखती है और पूजी जाती है, जबकि एक कब्र सामान्य दफन स्थान हो सकता है.
कब्र के बारे में जानें
यह जमीन में खुदा हुआ एक गड्ढा होता है जिसमें किसी व्यक्ति के मृत शरीर को दफन किया जाता है. इसे आम तौर पर "कब्रिस्तान" या "क़ब्रगाह" नामक एक विशेष स्थान पर खोदा जाता है. कब्र को अक्सर एक पत्थर या शिला से चिह्नित किया जाता है जिस पर मृतक का नाम और अन्य जानकारी लिखी होती है.
कब्र के बारे में मुख्य बातें
स्थान
कब्रें कब्रिस्तान या कब्रगाहों में होती हैं, जो शव को दफनाने के लिए एक जगह बने होते हैं.
चिन्हांकन
कब्र को आमतौर पर एक पत्थर (शिला) से चिन्हित किया जाता है, जो विस्तृत भी हो सकता है.
संरचना
यह एक साधारण गड्ढा हो सकता है, जिसके ऊपर कोई खास निर्माण नहीं होता या सिर्फ एक पत्थर का स्लैब होता है.
प्रकार
कब्र एक व्यक्ति या कई व्यक्तियों की हो सकती है. महामारी फैलने पर सामूहिक कब्रों का उपयोग भी किया गया है.
महत्व
यह सिर्फ एक अंतिम संस्कार स्थल है, जहां किसी को दफनाया जाता है.
मजार के बारे में जानें
मजार एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ एक मकबरा या पवित्र स्थान होता है, खासकर किसी संत या महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्ति की मजार को संदर्भित करता है. यह वह जगह होती है जहां लोग जियारत करने, मन्नत मांगने और प्रार्थना करने के लिए जाते हैं, जहां वे अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं.
मजार के बारे में मुख्य बातें
अर्थ
मजार का मतलब एक समाधि या स्मारक होता है, जो अरबी शब्द 'जार' से बना है, जिसका अर्थ है "मिलने जाना" या "भ्रमण किया जाना".
मकबरा या समाधि
मजार वह स्थान है जहां किसी महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्ति या संत को दफनाया जाता है.
उद्देश्य
भक्त इन मजारों पर मन्नतें मांगते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं, यह मानते हुए कि इन संतों के माध्यम से उनकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.
श्रद्धा का प्रतीक
मजार पर चादर चढ़ाना एक प्रतीकात्मक कार्य है, जो भक्त के मन में संत के प्रति श्रद्धा, प्रेम और कृतज्ञता को दर्शाता है.
अन्य नाम
मजार को मकबरा, दरगाह, या रौजा जैसे नामों से भी जाना जाता है, खासकर जब यह किसी संत की कब्र पर बनी हो.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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