क्यों फड़कने लगती हैं आपकी आंखें, ये कोई बीमारी है या शुभ-अशुभ के संकेत?
आंखों के फड़कने को मेडिकल टर्म में मायोकिमिया कहते हैं. पलक की मांसपेशियों में संकुचन के कारण आंख फड़कने लगती है. यह आमतौर पर ऊपरी पलक में होता है, लेकिन निचली पलक भी प्रभावित हो सकती है.

जब भी आंख फड़कती है तो इसे शुभ या अशुभ के संकेत से जोड़कर देखा जाता है. भारत में यह बात बेहद आम है, लेकिन क्या आपको पता है कि आंखों के फड़कने की वजह एक बीमारी है? अगर नहीं तो आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
इन वजहों से फड़कती है आंख
आंखों के फड़कने को मेडिकल टर्म में मायोकिमिया कहते हैं. पलक की मांसपेशियों में संकुचन के कारण आंख फड़कने लगती है. यह आमतौर पर ऊपरी पलक में होता है, लेकिन निचली पलक भी प्रभावित हो सकती है. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक (NINDS) के अनुसार, यह स्थिति ज्यादातर हल्की होती है और कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक रहती है. जब काफी देर तक आंख फड़कती रहे तो इसका ताल्लुक किसी बीमारी से हो सकता है. आइए जानते हैं कि किन-किन वजहों से आंख फड़क सकती है.
तनाव और चिंता: मॉडर्न लाइफस्टाइल में टेंशन बेहद आम समस्या है. 2023 में जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूरोसाइकोलॉजी में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, टेंशन से दिमाग का न्यूरोट्रांसमीटर बैलेंस प्रभावित होता है, जिससे पलक की मांसपेशियों में अनैच्छिक संकुचन हो सकता है. वर्कप्लेस पर प्रेशर, पारिवारिक तनाव या फाइनेंशनल टेंशन के कारण आंख फड़कने की दिक्कत बढ़ सकती है.
नींद की कमी: पर्याप्त नींद न मिलने से भी आंखों में फड़कने की दिक्कत होने लगती है. स्लीप रिसर्च सोसायटी की 2024 की एक स्टडी के मुताबिक, 7-9 घंटे से कम नींद लेने वाले लोगों में मायोकिमिया की दिक्कत 40 फीसदी ज्यादा होती है. दरअसल, नींद की कमी से नर्वस सिस्टम पर प्रेशर बढ़ता है, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन और फड़कन शुरू हो सकती है.
कैफीन और अल्कोहल का ज्यादा सेवन: कॉफी, चाय या एनर्जी ड्रिंक्स में पाया जाने वाला कैफीन और अल्कोहल नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करते हैं, जिससे आंखों की मांसपेशियां संवेदनशील हो सकती हैं. 2023 में फूड साइंस एंड न्यूट्रिशन जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, कैफीन के ज्यादा सेवन से मायोकिमिया का खतरा 30 फीसदी तक बढ़ सकता है.
आंखों पर प्रेशर: काफी देर तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी की स्क्रीन देखने से भी आंखों की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है, जिससे फड़कन शुरू हो सकती है. 2024 में ऑप्थैल्मोलॉजी रिसर्च में पब्लिश एक स्टडी में देखा गया कि डिजिटल स्क्रीन पर 6 घंटे से ज्यादा वक्त बिताने वालों में आंखों के फड़कने की शिकायत 25 फीसदी ज्यादा मिली.
पोषक तत्वों की कमी: विटामिन बी12, मैग्नीशियम और पोटैशियम की कमी से भी नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है, जिससे आंखों का फड़कना शुरू हो सकता है. दरअसल, विटामिन बी12 की कमी मायोकिमिया का प्रमुख कारण हो सकता है. शाकाहारी भोजन करने वालों में यह कमी बेहद आम है.
ड्राई आईज और एलर्जी: 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में ड्राई आईज की समस्या रहती है, जो आंखों के फड़कने का कारण बन सकती है. बता दें कि एलर्जी, खुजली और आंखों को बार-बार रगड़ने से हिस्टामिन रिलीज होता है, जो फड़कन को ट्रिगर कर सकता है.
गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं: कुछ मामलों में आंखों का फड़कना गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं जैसे ब्लेफेरोस्पाज्म या हेमिफेशियल स्पाज्म का सिग्नल हो सकता है. ब्लेफेरोस्पाज्म में दोनों आंखों की पलकें अनैच्छिक रूप से बंद हो सकती हैं, जबकि हेमिफेशियल स्पाज्म में चेहरे का एक हिस्सा प्रभावित होता है. मल्टीपल स्केलेरोसिस या पार्किंसंस रोग जैसी बीमारियां भी आंखों के फड़कने का कारण हो सकती हैं. ऐसे मामलों में तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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Source: IOCL























