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जनवरी से सितंबर तक दिल्ली में सबसे ज्यादा मिले मलेरिया के केस, यहां ज्यादा क्यों काट रहे मच्छर?

दिल्ली के अंदर मलेरिया के केस काफी तेजी से साथ बढ़े हैं. खासकर जनवरी से सितंबर के महीने में. चलिए आपको बताते हैं कि यहां मच्छर ज्यादा क्यों काट रहे हैं.

दिल्ली में इस साल मलेरिया के मामलों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है. 6 सितंबर तक राजधानी में कुल 264 मलेरिया केस दर्ज किए गए, जो पिछले पांच वर्षों में जनवरी से सितंबर तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है. पिछले साल इसी सीजन के दौरान 237 केस दर्ज हुए थे, जबकि 2023 में 138, 2022 में 34 और 2021 में 37 केस दर्ज किए गए थे. पिछले पांच सालों में कुल मलेरिया मामलों की तुलना करें तो 2024 में 792, 2023 में 426, 2022 में 263 और 2021 में 167 मामले दर्ज हुए हैं. इन वर्षों में सिर्फ दो मौतें हुईं एक 2022 में और एक 2023 में.

मलेरिया मामलों में वृद्धि के कारण

सीनियर MCD अधिकारियों के अनुसार, इस साल केस बढ़ने का एक बड़ा कारण ज्यादा टेस्टिंग और निगरानी है. पहले सिर्फ ब्लड स्लाइड टेस्ट होता था और कई अस्पतालों, डिस्पेंसरी और लैब्स में टेस्ट करने की सुविधा नहीं थी. अब रैपिड डायग्नोस्टिक किट्स के जरिए व्यापक स्तर पर टेस्टिंग की जा रही है. हालांकि, सभी मामलों को दिल्ली का स्थानीय मलेरिया नहीं माना जा सकता. कुछ माइग्रेटरी केस होते हैं, यानी जब आसपास के इलाकों से लोग दिल्ली के अस्पतालों में आते हैं या कोई दिल्ली में किसी रिश्तेदार के पास आता है और संक्रमित हो जाता है, तो उसके केस दिल्ली के आंकड़ों में जोड़ दिए जाते हैं. इस साल दिल्ली में कुल 54 माइग्रेटरी केस दर्ज किए गए.

मलेरिया दोबारा होने के मामले

कुछ मरीज दवा पूरा नहीं करते, जिससे मलेरिया दोबारा हो सकता है. जब मरीज पूरी दवा नहीं लेते, तो लक्षण तो गायब हो जाते हैं लेकिन परजीवी शरीर में रहते हैं और फिर से बढ़ सकते हैं. इसके अलावा, मच्छर इंफेक्टेड व्यक्ति को काटकर दूसरों में मलेरिया फैला सकता है. डॉ. जुगाल किशोर, वरधमान मेडिकल कॉलेज और पूर्व प्रमुख, समुदाय चिकित्सा विभाग, सफदरजंग अस्पताल के अनुसार, कई बार स्थानीय डॉक्टर बिना सही डायग्नोसिस के दवा लिख देते हैं. मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं क्लोरोक्वीन और प्रिमाक्वीन 15 दिन तक लेनी चाहिए, लेकिन अक्सर ऐसा नहीं होता.

मच्छर क्यों बढ़ रहे हैं?

खुले नाले, भीड़भाड़ और गंदगी मच्छरों के लिए आदर्श वातावरण बनाती है. MCD का कहना है कि अब स्टाफ की कमी नहीं है और ट्रांसफर रोक दिए गए हैं ताकि मॉनसून के बाद मलेरिया फैलने के समय पर्याप्त निगरानी हो सके.

बचाव और इलाज

अपोलो अस्पताल के मलेरिया विशेषज्ञ डॉ. जे.एम. दुआ के अनुसार, मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है, जो एनोफिलिस मच्छरों के काटने से फैलता है. मलेरिया के लक्षण मच्छर काटने के 9-14 दिन बाद दिखते हैं और इसमें तेज बुखार, सिर दर्द, ठंड लगना, उल्टी और गंभीर मामलों में बेहोशी शामिल हो सकती है. लोगों को सलाह दी जाती है कि अगर लक्षण दिखें तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं और दवा पूरी लें. मच्छरों के प्रजनन स्थल नष्ट करें, टैंक, ड्रम और बर्तन ढक्कन से बंद रखें और साफ-सफाई बनाए रखें.

केंद्र सरकार ने National Strategic Plan: Malaria Elimination 2023-27 तैयार किया है, जिसका उद्देश्य 2027 तक शून्य स्थानीय मलेरिया केस और 2030 तक मलेरिया पूरी तरह खत्म करना है. योजना में जिलेवार योजना, निगरानी और इलाज के उपाय शामिल हैं.

इस भी पढ़ें- कितने ट्रायल और टेस्ट के बाद मार्केट में आती है कोई वैक्सीन, रूस की कैंसर वैक्सीन के लिए अभी कितना और इंतजार?

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