Baba Siddique Murder: क्या होता है ऑसिफिकेशन टेस्ट? जिसका बाबा सिद्दीकी हत्याकांड मामले में किया गया इस्तेमाल
ऑसिफिकेशन टेस्ट क्या है? क्यों करवाया जाता है. उन्हें हम विस्तार से इस आर्टिकल में बताएंगे. इसका बाबा सिद्दीकी हत्याकांड मामले में किया गया इस्तेमाल.
एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में मुंबई पुलिस जांच में जुटी हुई है. अब तक इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. तीनों आरोपियों में से एक जिसका नाम धर्मराज है उसे नाबालिग बताया जा रहा था. लेकिन अब एएनआई ने बताया कि धर्मराज ऑसिफिकेशन टेस्ट करवाया गया है. जिसमें पता चला है कि वह नाबालिग नहीं है. टेस्ट के नतीजे के बाद उसे 21 अक्तूबर तक पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है. जिन लोगों को नहीं पता है कि ऑसिफिकेशन टेस्ट क्या है? क्यों करवाया जाता है. उन्हें हम विस्तार से इस आर्टिकल में बताएंगे.
ऑसिफिकेशन टेस्ट क्या है?
ऑसिफिकेशन टेस्ट दरअसल, एक खास तरह का टेस्ट है जिसमें बोन फ्यूजन के आधार पर किसी व्यक्ति के सही उम्र का पता लगाया जाता है. आम बोलचाल की भाषा में कहें तो इस टेस्ट में शरीर के कुछ हड्डियों जैसे कलाई, कोहनी, कॉलरबोन या पेल्विस की हड्डी का एक्स- रे निकाला जाता है. इस टेस्ट में हाथों और कलाइयों की एक्स-रे की तस्वीरें ली जाती है. जिसके आधार पर इसका विश्लेषण किया जाता है. ताकि उनके ग्रोथ प्लेट्स का पता किया जा सके. बच्चे और नौजवानों में इस टेस्ट के जरिए हड्डियों के ग्रोथ का पता लगाया जाता है. कुछ हड्डियां उम्र के हिसाब से सख्त हो जाती है. जो इस टेस्ट में आसानी से पता किया जा सकता है.
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ऑसिफिकेशन बोन टेस्ट करने का तरीका
बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट एक मेडिकल प्रोसीजर है. जिसमें हड्डियों के जरिए सही उम्र का पता लगाया जा सकता है. इस टेस्ट में कॉलर बोन (क्लेविकल), छाती (स्टीरनम), और श्रोणि (पेल्विस) की एक्स-रे ली जाती है. इन एक्सरे में हड्डियों की बनावट के आधार पर उम्र का पता लगाया जाता है. जिससे आप सही उम्र का पता लगा सकते हैं. बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट को एपिफिसियल फ्यूजन टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है. इसमें शरीर की कुछ खास हड्डियां, क्लेविकल, स्टर्नम और पेल्विस की एक्स-रे जांच करके ऑसिफिकेशन जांच की जाती है.
ऑसिफिकेशन हड्डियां बनने की एक खास प्रक्रिया है. यह टेस्ट हड्डी और जोड़ों से जुड़े होते हैं. दरअसल, ये टेस्ट 25 साल के बीच किया जाता है. हालांकि यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उस मामले में जुड़े टेस्ट कैसे करवाए. नाबालिगों से जुड़े मामलों में यह टेस्ट महत्वपूर्ण माने जाते है.
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