गुरूजी पवन सिन्हा की पूजा विधि," इसलिए खुश किया जाता है यमराज और लक्ष्मी जी को"
गुरूजी पवन सिन्हा बता रहे हैं धनतेरस की पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में. धनतेरस के दिन होती है दो तरह की पूजा.
नई दिल्लीः आज धनतेरस है. ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि धनतेरस के दिन कैसे पूजा की जाती है. लेकिन हम आपको सबसे पहले बता रहे हैं कि धनतेरस की पूजा कितनी तरह की होती है और धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है.
गुरूजी पवन सिन्हा बता रहे हैं धनतेरस की पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में.
धनतेरस के दिन दो तरह की पूजा होती है- प्रदोष काल की पूजा और वृषभ काल की पूजा. इन दोनों ही पूजाओं का विशेष महत्व है.
धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त - पूजा का समय- शुभ मुहूर्त- दोपहर 12.6 मिनट से 1.31 मिनट तक. राहुकाल- दोपहर 02.55 से 4.20 तक प्रदोष काल की पूजा का समय है शाम 6.10 से 7.52 तक. वृषभ काल की पूजा का समय है शाम 7.52 से 9.52 तक का.
कैसे करें धनतेरस की पूजा - प्रदोष काल की पूजा- इस पूजा में भगवान शिव का अभिषेक किए बिना उनकी उपासना करनी है. वो चाहे रूद्र मंत्र से करें या महामृत्यनजंय मंत्र से. घर के लोगों को स्वास्थ्य अच्छा करने और अकाल मृत्यु से बचाने के लिए ये पूजा की जाती है.
- प्रदोष काल की पूजा के लिए लोटे या बर्तन में अनाज भरकर अपने घर के बाहर द्वार पर एक दीपक के साथ रखें. अनाज दो-तीन प्रकार का हो सकता है. कुछ मीठा भी रखें. अनाज इतना हो कि कोई गरीब पेट भरकर खा सके.
- कम से कम 5 दीएं जलाएं. 5 दीएं नहीं हैं तो एक बड़ा दीपक जला लें. दीपक आटे का बना हो या फिर उसे घर पर ही बनाएं.
- मिट्टी का दीपक आखिरी विकल्प होना चाहिए.
- बड़ा दीपक एक और चार छोटे दीपक होंगे. सभी में सरसों का तेल डालें. बड़ा दीपक चार बत्तियों वाला होना चाहिए.
- भगवान शिव की पूजा-आराधना करते हुए इस मंत्र का जाप करें- ‘ॐ रुद्राय नमः’. या फिर महामृत्युं जय मंत्र का जाप करें.
वृषभ काल की पूजा- वृषभ काल के दौरान कोई भी शुभ काम शुरू किया जा सकता है. इस समय आप स्वास्थ्य के लिए भी जप कर सकते हैं. घर की खुशहाली के लिए अपने ईष्ट का नाम लीजिए. ईष्ट का जाप करने से सकारात्मकता आती है.
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