करीब 200 साल पहले ही आ गई थी इलेक्ट्रिक कार... उस वक्त इतनी स्पीड से चलती थी ईवी
Electric Car: दरअसल, उन्नीसवीं सदी के शुरुआत से ही दुनिया के कई देशों में अलग-अलग तरह के वाहन बनाये जाने लगे थे. इलैक्ट्रिक कार बनाने के प्रयास भी तभी से शुरू हो चुके थे.

World’s First Electric Car: इन दिनों दुनियाभर में इलैक्ट्रिक कारों के इस्तेमाल पर काफी जोर दिया जा रहा है. ऊर्जा के सीमित भंडार और वातावरण में होने वाला प्रदूषण इसका मुख्य कारण है. ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अपनी कई इलैक्ट्रिक कारें मार्केट में उतार दी हैं. ज्यादातर लोगों को लगता है इलैक्ट्रिक कारों का कॉन्सेप्ट आज के आधुनिक जमाने की देन है. जबकि हकीकत तो यह है कि यह कांसेप्ट काफी पुराना है. इलैक्ट्रिक कार बनाने की कोशिश तो 200 साल पहले ही शुरू हो चुकी थी. जी हां, पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों का इतिहास जितना पुराना है, इलैक्ट्रिक कारों का इतिहास भी उतना ही पुराना है.
दुनिया की पहली इलैक्ट्रिक कार
दरअसल, उन्नीसवीं सदी के शुरुआत से ही दुनिया के कई देशों में अलग-अलग तरह के वाहन बनाये जाने लगे थे. उस दौरान चार पहियों वाली गाड़ी लोगों के लिए कौतुहल का विषय थी और सिर्फ डीजल से चलने वाली गाड़ियां ही बनाई जाती थीं. लेकिन 1832 में स्कॉटलैंड के मैकेनिक राॅबर्ट एंडरसन ने कुछ ऐसा कारनामा किया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
4 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती थी
उन्होंने डीजल से चलने वाली एक पुरानी कार को इलैक्ट्रिक कार में तब्दील कर दिया था. उसने इसके लिए एक सिंगल चार्ज बैटरी का इस्तेमाल किया था, यानी उसे केवल एक बार ही चार्ज किया जा सकता था. जिसके बाद यह इलैक्ट्रिक कार 4 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से करीब 2.5 किलोमीटर चलती थी.
जारी रहा सिलसिला...
इसके 20 सालों बाद आखिरकार रिचार्ज होने वाली बैटरी से चलने वाली इलैक्ट्रिक कार भी तैयार कर ली गई. फ्रांस के एक वैज्ञानिक ने 1865 में पहली बार लेड एसिड बैटरी से इलेक्ट्रिक कार चलाई. इलैक्ट्रिक कारों के विकास का ये सिलसिला आगे बढ़ता रहा और 1891 में पहली बार अमेरिका में इलेक्ट्रिक कार सड़कों पर आई. 8 साल बाद थॉमस एडीसन ने इलेक्ट्रिक कार के लिए ज्यादा देर तक चलने वाली निकिल-अल्कलाइन बैटरी तैयार की.
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Source: IOCL























