जब जनता चुनती है ईरान का राष्ट्रपति तो सुप्रीम लीडर क्यों चलाता है इस मुस्लिम देश की सत्ता, यहां आखिर किसकी चलती है?
Iran Supreme Leader And President: ईरान इस समय इजराइल के साथ युद्ध को लेकर चर्चा में बना है. लेकिन ईरान का राजनीतिक ढांचा बड़ा जटिल है. यहां पर राष्ट्रपति होने के बाद भी सर्वोच्च नेता की चलती है.

ईरान इस वक्त इजराइल के साथ युद्ध को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है. हालात ऐसे हैं कि इजराइल, ईरान पर भारी पड़ रहा है, क्योंकि ईरान के पास वही पुराने घिसे-पिटे हथियार हैं और इजराइल इस वक्त अत्याधुनिक तकनीक से लैस हथियारों के जरिए उससे लड़ रहा है. खैर इसके बीच आज हम ईरान के बारे में यह जानेंगे कि यहां पर राष्ट्रपति होने के बाद भी सुप्रीम लीडर इस देश की सत्ता को क्यों चलाता है. आखिर इसकी क्या वजह है.
ईरान के राजनीतिक ढांचे को समझना काफी जटिल विषय है. यहां पर एक ओर सर्वोच्च नेता से नियंत्रित अनिर्वाचित संस्थाएं हैं तो वहीं दूसरी ओर मतदाताओं की ओर से चुनी गई संसद और राष्ट्रपति हैं. यहां पर दोनों ही एकसाथ मिलकर काम करते हैं. आखिर इसमें सत्ता की चाबी किसके पास होती है.
ईरान में सर्वोच्च नेता क्यों है ताकतवर
ईरान में सर्वोच्च नेता का पद सबसे ताकतवर माना जाता है. यहां पर साल 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद अब तक सिर्फ दो ही लोग ऐसे हैं जो कि सर्वोच्च नेता के पद तक पहुंच पाए हैं. इसमें सबसे पहले थे अयातुल्लाह रुहोल्ला खुमैनी, जो कि ईरानी गणतंत्र के संस्थापक थे. वहीं दूसरे थे उनके उत्तराधिकारी जो कि वर्तमान में हैं अयातोल्लाह अली खामेनेई. अयातुल्लाह रुहोल्ला खुमैनी ने शाह मोहम्मद रजा पहेलवी के शासन का तख्तापलट होने के बाद इस पद को ईरान के राजनीतिक ढांचे में सर्वोच्च पद पर जगह दी थी.
सर्वोच्च नेता ईरान की सशस्त्र सेनाओं का प्रधान सेनापति होता है. सुरक्षा बलों का नियंत्रण उनके हाथों में होता है. सर्वोच्च नेता की अरबों डॉलर वाली दान संस्थाएं ईरान की अर्थव्यवस्था के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करती हैं.
दूसरा ताकतवर शख्स होता है राष्ट्रपति
ईरान के राष्ट्रपति की बात करें तो यहां पर राष्ट्रपति पद के लिए हर दो साल में चुनाव होता है. जो चुनाव जीतता है वो एक बार में अधिकतम दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति बन सकता है. ईरान के संविधान के अनुसार यहां राष्ट्रपति दूसरा सबसे ताकतवर शख्स होता है. वह कार्यकारिणी का प्रमुख होता है और उसका दायित्व संविधान का पालन कराना है. आंतरिक नीतियों से विदेश नीति तक राष्ट्रपति अच्छा खासा दखल देता है, लेकिन राष्ट्र के मामलों पर आखिरी फैसला सर्वोच्च नेता का होता है.
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