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Earthquake: आखिर क्यों बार-बार आ जाता है भूकंप? कौन सी जगहों पर होता है सबसे ज्यादा खतरा

धरती की सतह के नीचे की वह जगह, जहां पर चट्टानें आपस में टकराती हैं या टूटती हैं, भूकंप का केंद्र या फोकस कहलाती है. इसे हाइपोसेंटर भी कहते हैं. इनके टूटने से वर्षों की ऊर्जा मुक्त होती है.

How Do Earthquakes Occur: दुनियाभर के अलग-अलग इलाकों में हर साल छोटे-बड़े भूकंप (Earthquake) आते ही रहते हैं. जानकारों का कहना है कि दुनियाभर में हर साल लगभग 20 हजार से ज्यादा बार भूकंप आते हैं. इनमें कुछ तो इतने मामूली होते हैं कि वो सिस्मोग्राफ पर दर्ज भी नही हो पाते हैं. वहीं, कुछ इतने शक्तिशाली होते हैं कि भयंकर तबाही मचा देते हैं. भूकंप आने का कारण धरती के भीतर की उथल-पुथल बताई जाती है. एक तथ्य ये भी है कि ये भूकंप के झटके लाखों की संख्या में होते हैं, लेकिन ज्यादातर झटके हल्के होने के कारण उनका पता नही लग पता है. अब आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर भूकंप आते कैसे हैं. आइए इसके पीछे का साइंस समझने की कोशिश करते हैं.

ऊपर से सामान्य और शांत दिखने वाली पृथ्वी की सतह के नीचे या यूं कहें कि धरती के अंदर हमेशा उथल-पुथल मची रहती है. धरती के अंदर मौजूद प्लेटें लगातार आपस में टकराती या दूर खिसक रही होती हैं. इसी के चलते हर साल भूकंप आते रहते हैं. भूकंप को समझने से पहले हमें धरती के नीचे मौजूद प्लेटों की संरचना को समझना पड़ेगा. भू-विज्ञान की जानकारी रखने वाली और एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में शिक्षक डाॅ गुंजन राय बताती हैं कि धरती में 12 टैक्टोनिक प्लेटें होती हैं. इन प्लेटों के आपस में टकराने पर जो ऊर्जा निकलती है, उसे ही भूकंप कहा जाता है. ये प्लेटें बहुत धीमी रफ्तार से घूमती रहती हैं. डॉ राय के अनुसार ये प्लेटें हर साल अपनी जगह से 4 से 5 मिमी तक खिसक जाती हैं. ऐसे में कोई प्लेट किसी से दूर हो जाती है तो कोई किसी के नीचे से खिसक जाती है. इसी प्रक्रिया के दौरान प्लेटों के टकराने से भूकंप आता है.

क्या होता है भूकंप का केंद्र?

धरती की सतह के नीचे की वह जगह, जहां पर चट्टानें आपस में टकराती हैंं या टूटती हैं, भूकंप का केंद्र या फोकस कहलाता है. इसे हाइपोसेंटर भी कहते हैं. इस केंद्र से ही ऊर्जा तरंगों के रूप में बतौर कंपन फैलती है और भूकंप आता है. यह कंपन एकदम उसी तरह होता है, जैसे शांत तालाब में पत्थर फेंकने पर तरंगें फैलती हैं.

विज्ञान की भाषा में समझें तो धरती के केंद्र और भूकंप के केंद्र को आपस में जोड़ने वाली रेखा जिस स्थान पर धरती की सतह को काटती है, उस जगह को ही भूकंप का अभिकेंद्र या एपिक सेंटर कहा जाता है. विज्ञान के नियमों के हिसाब से धरती की सतह का यह स्थान भूकंप के केंद्र से सबसे पास होता है.

क्यों टूटती हैं चट्टानें?

धरती सात भूखंडों से मिलकर बनी हुई है. ये भूखंड प्रशांत महासागरीय भूखंड, भारतीय-आस्ट्रेलियाई भूखंड, उत्तर अमेरिकी भूखंड, दक्षिण अमेरिकी भूखंड, अफ्रीकी भूखंड, अन्टार्कटिक भूखंड और यूरेशियाई भूखंड हैं. धरती के नीचे चट्टानें दबाव की स्थिति में रहती हैं. जब यह दबाव एक सीमा से अधिक हो जाता है तो चट्टानें अचानक से टूटने लगती हैं. इस बदलाव के कारण वर्षों से मौजूद ऊर्जा मुक्त हो जाती है. इस ऊर्जा से चट्टानें किसी कमजोर सतह की तरह टूट जाती हैं.

यहां आते हैं ज्यादा भूकंप

दुनिया में सबसे अधिक भूकंप इं‍डो‍नेशिया में आते हैं. यह देश रिंग ऑफ फायर में स्थित है, जिस कारण यहां ज्यादा भूकंप आते हैं. इसके अलावा जावा और सुमात्रा भी इसी क्षेत्र में आते हैं. प्रशांत महासागर के पास स्थित यह क्षेत्र दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग कहा जाता है.

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