स्त्री या पुरुष, आखिर कौन सोता है सबसे ज्यादा; जानिए क्या कहता है विज्ञान?
Sleep Deprivation Effects: किसी के लिए भी नींद सबसे जरूर चीज है. इसका जवाब सिर्फ थकान नहीं, बल्कि दिमाग की जटिलता में छिपा है. नींद के इस खेल में सबसे अहम खिलाड़ी शरीर नहीं, बल्कि दिमाग है.

नींद सिर्फ थकान का इलाज नहीं, दिमाग की मरम्मत का सबसे बड़ा औजार है, लेकिन वैज्ञानिक जब इससे जुड़े आंकड़ों को खंगालते हैं तो एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आती है कि क्या सच में महिलाएं पुरुषों से ज्यादा सोती हैं? और अगर हां, तो आखिर क्यों? यही रहस्य आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
सोते वक्त शरीर में क्या होते हैं?
इंसान का शरीर किसी मशीन की तरह नहीं, बल्कि एक ऐसी जीवित व्यवस्था की तरह काम करता है जो दिन भर के हर तनाव को अपने भीतर समेट लेती है और फिर रात होते ही खुद की मरम्मत में जुट जाती है. नींद हमारे शरीर का वही समय होता है, जब दिमाग कोशिकाओं की सफाई करता है, ग्रोथ हार्मोन अपने चरम पर होते हैं और शरीर अगले दिन की तैयारी करता है. लेकिन इसी नींद के मामले में अब एक बड़ी बहस खड़ी हो गई है कि क्या वाकई महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा नींद की जरूरत होती है?
किसे चाहिए सबसे ज्यादा नींद?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो इस सवाल का जवाब हां है और वजहें केवल थकान नहीं, बल्कि दिमाग के काम करने के तरीके से जुड़ी हुई हैं. आमतौर पर देखा जाता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं दिनभर में ज्यादा मानसिक ऊर्जा खर्च करती हैं. घर, काम, परिवार, मल्टीटास्किंग… ये सभी चीजें लगातार दिमाग को सक्रिय रखती हैं. यही वजह है कि जब नींद का वक्त आता है, तो महिला दिमाग को रिपेयर होने के लिए ज्यादा समय चाहिए होता है.
नेशनल स्लीप फाउंडेशन और ड्यूक यूनिवर्सिटी की एक संयुक्त स्टडी इस बात की पुष्टि करती है कि महिलाएं औसतन पुरुषों की तुलना में अधिक मानसिक बोझ उठाती हैं, इसलिए ब्रेन को रिकवरी के लिए अपेक्षाकृत अधिक घंटे चाहिए. दरअसल, महिलाओं का दिमाग एक समय में कई काम एकसाथ प्रोसेस करता है, जिसका सीधा प्रभाव न्यूरोलॉजिकल थकान पर पड़ता है.
कितने साल की महिलाओं को चाहिए ज्यादा नींद
शोध यह भी बताता है कि 30 से 60 वर्ष की महिलाएं पुरुषों की तुलना में लगभग 30 मिनट ज्यादा वक्त बिस्तर में बिताती हैं. यह सिर्फ नींद का समय नहीं है, बल्कि मानसिक रिकवरी का ‘गोल्डन पीरियड’ है. दिलचस्प बात यह कि यह अंतर उम्र के हर चरण में बराबर नहीं होता, बल्कि जिम्मेदारियों के बढ़ने पर यह अंतर और अधिक स्पष्ट होता जाता है.
पुरुषों पर प्रभाव
महिलाओं की नींद का शरीर पर प्रभाव पुरुषों की तुलना में थोड़ा अलग भी होता है. नींद की कमी महिलाओं में इमोशनल असंतुलन, एंग्जाइटी और हार्मोनल बदलाव को तेजी से प्रभावित करती है. यही कारण है कि महिलाओं में खराब नींद सीधे हेल्थ पर असर डालती है. वहीं पुरुषों में कार्यशैली और दिनचर्या नींद के पैटर्न को प्रभावित करती है, लेकिन उनका दिमाग औसतन कम मल्टीटास्किंग करता है, जिससे रिकवरी की जरूरत भी अपेक्षाकृत कम होती है.
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Source: IOCL
























