आपकी गाड़ी के लिए कौन सा है सबसे अच्छा पेट्रोल, एथेनॉल मिले तेल से क्या खराब हो जाता है इंजन?
भारत सरकार E20 (20% एथेनॉल) पेट्रोल को बढ़ावा दे रही है. लेकिन इससे लोगों की कुछ चिंताएं भी बढ़ गई हैं. ऐसे में आइये जानते हैं कि क्या एथेनॉल मिले तेल से इंजन खराब हो जाता है?

भारत सरकार एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को बढ़ावा देकर ग्रीन फ्यूल पॉलिसी का तेजी से विस्तार कर रही है. सरकार देशभर के पेट्रोल पंपों में E20 (20% एथेनॉल) तक बढ़ाया जा रहा है. यानि ये एक ऐसा मिश्रण है जिसमें पेट्रोल को एथेनॉल के साथ मिलाकर वाहनो में भरा जा रहा है. ऐसे में लोगों की चिंता बढ़ गई है लोगों का कहना है कि एथेनॉल की मात्रा बढ़ाने से वाहनों के माइलेज पर असर पड़ता है खासकर पुराने वाहनों मेंं. ऐसे में आइये जानते हैं कि आपके वाहने के लिए कौन सा पेट्रोल अच्छा होता है और क्या एथेनॉल मिले तेल से गाड़ी का इंजन खराब हो जाता है?
कौन सा फ्यूल बेहतर
गाड़ी के लिए सबसे अच्छा पेट्रोल वह है जो आपके वाहन के इंजन के लिए डिजाइन किया गया हो. सामान्य तौर पर पेट्रोल की क्वालिटी ऑक्टेन रेटिंग पर निर्भर करती है. ज्यादातर गाड़ियों के लिए 91 ऑक्टेन रेटिंग वाला रेग्युलर पेट्रोल ठीक काम करता है. लेकिन अगर आपकी गाड़ी परफॉमेंस ओरिएंटेड कार है तो 93 या उससे अधिक की ऑक्टेन रेटिंग वाला फ्यूल ज्यादा बेहतर होगा.
क्या एथेनॉल मिश्रण से गाड़ियों को होता है नुकसान
अब सवाल यह है कि क्या एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल गाड़ियों के इंजन को नुकसान पहुंचा रहा है तो आपको बता दें कि भारत में कुछ समय पहले तक नॉर्मल पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिलाया जा रहा था लेकिन भारत में सरकार ने पर्यावरण के लिए एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को बढ़ावा दिया है, लेकिन कई लोग इसे लेकर चिंतित हैं. एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल जैसे E10 (10% एथेनॉल और 90% पेट्रोल), ज्यादातर आधुनिक गाड़ियों के लिए सुरक्षित है. लेकिन अब E20 (20% एथेनॉल) मिश्रण लागू किया जा रहा है. जिसपर कुछ वाहन मालिकों ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि इससे उनके वाहनों के इंजन, माइलेज और पर्फॉर्मेंस पर गंभीर असर पड़ सकता है खासकर पुरानी गाड़ियों पर. जिसपर केंद्र सरकार ने जवाब दिया है.
मंत्रालय ने क्या कहा
पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा कि ये चिंताएं वैज्ञानिक आधार से रहित हैं. अंतरराष्ट्रीय और भारतीय संस्थानों द्वारा किए गए टेस्ट से इंजन की परफॉर्मेंस, पावर या माइलेज पर में कोई गंभीर असर नहीं पाया गया है. हालांकि रेगुलर पेट्रोल की तुलना में इथेनॉल की एनर्जी डेंसिटी कम होने के कारण माइलेज में मामूली गिरावट आती है जिसे बेहतर इंजन ट्यूनिंग से ठीक की जा सकती है. बता दें कि एथेनॉल ईको फ्रेंडली है. ये साधारण पेट्रोल की तुलना में कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करता है.
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Source: IOCL
























