बंटवारे के बाद पाकिस्तान को मिले थे कितने करोड़ रुपये, जानें सबसे पहले कहां हुए थे खर्च?
भारत-पाकिस्तान का जब विभाजन हुआ तो दोनों देशों के बीच सामान से लेकर पैसों का बंटवारा हुआ. आइये जानते हैं कि भारत-पाक बंटवारे में पाकिस्तान को कितने करोड़ रुपये मिले थे.

इस साल 15 अगस्त 2025 को देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. देश जब आजाद हुआ तो आजादी के साथ ही भारतवर्ष के दो टुकडे़ भी हुए. एक भारत बना तो दूसरा पाकिस्तान देश बना. ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान पाकिस्तान को कितनी आर्थिक राशि मिली और उसके शुरुआती खर्च कहां-कहां हुए थे.
दोनों देशों के बीच किन चीजों का हुआ बंटवारा
भारत पाकिस्तान बंटवारे में बंटवारा सिर्फ संपत्ति का नहीं हुआ था सामानों का भी हुआ था जिसमें कुर्सी, मेज, पुस्तक, घड़ी, टेबल लैंप, रायफल, पेपर अलमारी, टाइपराइटर, हाथी, बग्घियों और खजाने में बंद पैसों का भी बंटवारा हुआ था. इसके साथ ही डिक्शनरी पगड़ी, बांसुरी पेन, बल्ब, जैसी छोटी चीजों का भी बंटवारा हुआ था. सैनिकों का विभाजन दो आधार पर हुआ. पहला था धर्म, यानी धर्म के आधार पर सैनिक पाकिस्तान या भारत के बीच बांट दिए गए. वहीं, सैनिकों को यह भी आजादी दी गई कि वे अपनी स्वेच्छा से भारत या पाकिस्तान की फौज में शामिल हो सकते हैं.
पैसों का हुआ बंटवारा
अंग्रेजों ने भारत पर 200 से भी ज्यादा समय तक हुकूमत की थी. 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो यह न केवल जमीन और लोगों का विभाजन था, बल्कि ब्रिटिश भारत की संपत्तियों और देनदारियों का भी बंटवारा किया गया. विभाजन समझौते के तहत, ब्रिटिश भारत की कुल संपत्ति का लगभग 17.5% हिस्सा पाकिस्तान को मिला. उस समय भारत के पास करीब 400 करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जिसमें से पाकिस्तान को 75 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. इसके अलावा पाकिस्तान को प्रशासनिक कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी भी दी गई.
भारत ने क्यों रोक दिया पैसा
हालांकि, इस राशि का भुगतान विवादों से भरा रहा. पहली किश्त के रूप में 15 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपये जारी किए गए. लेकिन शेष 55 करोड़ रुपये का भुगतान कश्मीर मुद्दे के कारण अटक गया. अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान ने भारत पर सैनिक कार्रवाई कर दी जिसकी वजह कश्मीर था. जिसके बाद भारत ने इस राशि को रोक लिया और भारत ने स्पष्ट किया कि जब तक कश्मीर मुद्दा नहीं सुलझता भारत कोई भुगतान नहीं करेगा.
गांधी जी की भूमिका
कहा जाता है कि उस दौरान महात्मा गांधी को ये बात पता चली तो उन्होंने इस राशि को तुरंत देने के लिए दबाव बनाया और इसके लिए अनशन शुरू किया. गांधी जी का कहना था कि समझौते के तहत पाकिस्तान को उसका हक मिलना चाहिए. उनके दबाव के चलते, 15 जनवरी, 1948 को भारत सरकार ने 55 करोड़ रुपये पाकिस्तान को हस्तांतरित कर दिए. बंटवारे के बाद पाकिस्तान को मिली इस राशि का उपयोग मुख्य रूप से नए देश के प्रशासनिक ढांचे को स्थापित करने में किया गया.
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