Secularism In Countries: दुनिया का सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष देश कौन-सा, जानें क्या है भारत की स्थिति?
Secularism In Countries: दुनिया में कई देश धर्मनिरपेक्षता नीति का पालन करते हैं. आइए जानते हैं कि सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष देश कौन सा है और भारत की क्या स्थिति है.

Secularism In Countries: धर्मनिरपेक्षता एक ऐसा सिद्धांत है जो व्यक्ति को अपने धर्म को एक निजी मामला मानने की अनुमति देता है और यह भी पक्का करता है कि धर्म समाज के राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं में हस्तक्षेप बिल्कुल ना करे. पिछले कई दशकों से कई देशों ने इस समानता को बढ़ावा देने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए धर्मनिरपेक्ष नीतियों को अपनाया है. आज हम जानेंगे एक ऐसे देश के बारे में जो दुनिया का सबसे धर्मनिरपेक्ष देश है और साथ ही यह भी कि भारत इस मामले में कहां पर है.
कौन सा देश है दुनिया का सबसे धर्मनिरपेक्ष देश?
स्वीडन को दुनिया का सबसे धर्मनिरपेक्ष देश माना जाता है. वैसे तो ज्यादातर स्वीडिश लोग लूथरन चर्च के औपचारिक सदस्य हैं लेकिन इसके बावजूद भी इस देश में धर्म एक मूल पहचान से ज्यादा एक सांस्कृतिक विरासत के रूप में काम करता है. फिर चाहे शिक्षा हो, राजनीति हो या फिर नीति निर्माण सार्वजनिक जीवन काफी ज्यादा धर्मनिरपेक्ष बना हुआ है.
इसी के साथ डेनमार्क की भी लूथरन जड़ें काफी ज्यादा गहरी हैं. लेकिन इसके बावजूद भी डेनिश लोग धार्मिक अनुष्ठानों में विश्वास से ज्यादा परंपरा के लिए भाग लेते हैं. शिक्षा, कानून और सामाजिक जीवन के जरिए धर्मनिरपेक्षता पर खास जोर दिया जाता है. जिस वजह से डेनमार्क दुनिया के सबसे धर्मनिरपेक्ष देश में से एक बन गया है.
आइसलैंड भी धर्मनिरपेक्ष देश
इसी के साथ आइसलैंड भी जनसंख्या में छोटा होने के बावजूद एक मजबूत धर्मनिरपेक्ष देश है. इस राज्य का चर्च लूथरन है लेकिन धार्मिक विश्वास रोजमर्रा के जीवन में काफी कम भूमिका निभाते हैं. आध्यात्मिक वजह के बजाय संस्कृत कर्म से चर्च समारोहों में भाग लेते हैं.
क्या है भारत की स्थिति?
संवैधानिक रूप से धर्मनिरपेक्ष होने के बावजूद भी भारत 77.8 के स्कोर के साथ दुनिया के सबसे धर्मनिरपेक्ष देशों में काफी ज्यादा नीचे है. भारत की स्थिति राज्य और धर्म के बीच सख्त अलगाव बनाए रखने वाले देशों के ठीक उलट है. भारत अपनी विविध आबादी के बीच धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखे हुए है.
स्वीडन, डेनमार्क और आइसलैंड जैसे देशों से यह पता चलता है कि धार्मिक विरासत वाले देश में भी धर्मनिरपेक्षता कैसे आ सकती है. शिक्षा, आर्थिक विकास और प्रगतिशील राजनीतिक नितियों ने ही इन देशों को धर्मनिरपेक्षता की तरफ प्रेरित किया है. भारत के भी धर्मनिरपेक्षता की तरफ यात्रा जारी है. यहां का संविधान भी धर्मनिरपेक्ष शासन की गारंटी देता है मगर सांस्कृतिक परंपराओं की वजह से संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती साबित हो जाती है.
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Source: IOCL
























