किस नस्ल का घोड़ा था चेतक, महाराणा प्रताप ने कितने में खरीदा था उसे?
चेतक मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा था. 16वीं सदी में पश्चिम भारत में मारवाड़ी, काठियावाड़ी और सिंधी नस्ल के घोड़े ज्यादा प्रचलित थे. चेतक मारवाड़ी नस्ल का एक खास और मजबूत घोड़ा था.

राजस्थान के इतिहास में अगर किसी घोड़े का नाम सबसे ज्यादा सम्मान और गर्व के साथ लिया जाता है तो वह महाराणा प्रताप का प्रिय घोड़ा चेतक है. चेतक सिर्फ एक युद्ध का घोड़ा नहीं था बल्कि साहस, वफादारी और बलिदान की मिसाल माना जाता है. हल्दीघाटी के युद्ध से जुड़ी चेतक की कहानी आज भी लोगों को भावुक कर देती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चेतक को महाराणा प्रताप ने कितने में खरीदा था और वह किस नस्ल का घोड़ा था. अगर नहीं जानते तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि महाराणा प्रताप ने चेतक को कितने में खरीदा था और वह किस नस्ल का घोड़ा था.
किस नस्ल का घोड़ा था चेतक?
चेतक मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा था. 16वीं सदी में पश्चिम भारत में मारवाड़ी, काठियावाड़ी और सिंधी नस्ल के घोड़े ज्यादा प्रचलित थे. चेतक मारवाड़ी नस्ल का एक खास और मजबूत घोड़ा था, जिसकी पहचान उसकी मुड़ी हुई कान, लंबा चेहरा, ऊंचा माथा और चमकदार आंखों से होती थी. वहीं मारवाड़ी घोड़े रेगिस्तानी इलाकों और अरावली की कठिन पहाड़ियों में भी आसानी से चलने के लिए जाने जाते हैं. इस वजह से मेवाड़ के शासकों के लिए यह सबसे भरोसेमंद माने जाते थे.
महाराणा प्रताप को कैसे मिला था चेतक?
इतिहासकारों के अनुसार, चेतक को किसी ने महाराणा प्रताप को गिफ्ट नहीं किया था, बल्कि महाराणा प्रताप ने चेतक को उसके दो घोड़े भाई नाटक और अटक के साथ खरीदा था. ये तीनों घोड़े युद्ध के लिए खासतौर पर प्रशिक्षित थे और उनमें ताकत, फुर्ती, सहनशक्ति और संतुलन जैसे सभी गुण मौजूद थे. नाटक को महाराणा प्रताप ने अपने छोटे भाई शक्ति सिंह को दे दिया, जबकि चेतक को अपने पास रख लिया. इसके अलावा पैर में चोट लगने के बाद अटक को देखभाल केंद्र भेज दिया गया था. चेतक को महाराणा प्रताप ने कितने में खरीदा था, इसका कोई पुख्ता ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं मिलता है.
हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक की वीरता
1576 में हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान चेतक ने अपनी जान की परवाह किए बिना महाराणा प्रताप की रक्षा की. वहीं युद्ध में एक हाथी के वार से चेतक का एक पैर गंभीर रूप से घायल हो गया, इसके बावजूद उसने अपने राजा को पीठ पर बैठा कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया था. ऐतिहासिक कहानियां के अनुसार चेतक ने महाराणा प्रताप को बचाने के लिए करीब 25 फीट चौड़े नाले को भी छलांग लगाकर पार किया था. वहीं बताया जाता है कि महाराणा प्रताप के सुरक्षित होने के बाद चेतक वहीं गिर पड़ा था और उसने दम तोड़ दिया था. इसके अलावा चेतक न सिर्फ तेज और फुर्तीला घोड़ा माना जाता था, बल्कि वह बहुत ज्यादा वफादार घोड़ा भी माना जाता था. कहा जाता है कि चेतक इतना आक्रामक था कि उसे सिर्फ महाराणा प्रताप ही संभाल पाते थे.
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