पोलिंग एजेंट और काउंटिंग एजेंट में क्या अंतर है?
चुनाव परिणाम जारी करते समय मतगणना बूथ पर पोलिंग एजेंट और काउंटिंग एजेंट को हायर किया जाता है, ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इन दोनों में अंतर क्या होता है? चलिए जान लेते हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों में कुछ ही समय बाकी है. 7 चरणों में हुए मतदान का परिणाम 4 जून, मगंलवार को जारी किया जाएगा. इस दौरान अलग-अलग क्षेत्रों के लिए मतगणना केंद्र बनाए गए हैं. बता दें कि एक क्षेत्र में एक ही मतगणना केंद्र बनाया जाता है. ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि किसी मतगणना केंद्र में पोलिंग एजेंट और काउंटिंग एजेंट को हायर किया जाता है, लेकिन दोनों में अंतर क्या होता है? चलिए जान लेते हैं.
कौन होता है पोलिंग एजेंट?
मतदान के दौरान चुनाव अधिकारियों के अलावा पोलिंग बूथ पर कुछ और लोग भी बैठे होते हैं, जो वोटर पर्ची का मिलान कर रहे होते हैं. इन्हीं को पोलिंग एजेंट कहा जाता है. बता दें कि, पोलिंग एजेंट हर बूथ पर होते हैं, ये अलग-अलग पार्टियों के होते हैं जिन्हें उम्मीदवार की तरफ से नियुक्त किया जाता है.
उम्मीदवार पोलिंग बूथ के पीठासीन अधिकारी को पहले ही जानकारी दे देता है कि उसका पोलिंग एजेंट कौन होने वाला है, इसके लिए एक फॉर्म जमा कराया जाता है. उम्मीदवार की तरफ से फॉर्म और नाम दिए जाने के बाद चुनाव अधिकारी पोलिंग एजेंट को एक पहचान पत्र जारी करते हैं, जिसके बाद वो उस कमरे में बैठने के लिए अधिकृत होता है, जहां वोटिंग होती है. पोलिंग एजेंट आमतौर पर उसी पोलिंग बूथ का वोटर होता है. यदि एक समान बूथ का वोटर नहीं मिलता है तो उसी विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र का कोई व्यक्ति एजेंट बनाया जा सकता है.
कौन होता है काउंटिंग एजेंट?
निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि मतों की गिनती सभी प्रत्याशियों और मतगणना एजेंटों के रूप में उनके एजेंटों की उपस्थिति में ही की जाएगी. ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि मतगणना एक साथ एक से अधिक स्थानों पर एक ही समय में की जाती है.
इसलिए सभी प्रत्याशियों के लिए एक ही समय पर सभी स्थानों पर मौजूद रहना संभव नहीं हो पाता है. यही वजह है कि मतगणना स्थान पर उनके एजेंटों को नियुक्त किया जाता है. इसमें बताया गया है कि कानून इस बात की अनुमति देता है कि मतगणना के दौरान एजेंट सभी मतगणना स्थानों या मतगणना टेबल पर मौजूद रहें और अपने प्रत्याशी के हितों पर ध्यान दें. इन्हीं दिशानिर्देशों में बताया गया है कि मतगणना स्थल पर निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त सुरक्षाकर्मियों के इतर दूसरे किसी भी सुरक्षाकर्मियों का जाना मना है, इसलिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार के वर्तमान मंत्री, सांसद, राज्य विधान मंडल के सदस्यों को मतगणना एजेंट नहीं बनाया जा सकता.
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