क्या है कार डिप्लोमेसी, जो भारत से लेकर जॉर्डन तक बटोर रही सुर्खियां?
Pm Modi Car Diplomacy: जब राजनयिक मुलाकातें परंपरागत प्रोटोकॉल से आगे बढ़कर कार की सीट तक आती हैं, तो यही बनती है कार डिप्लोमेसी. पीएम मोदी की जॉर्डन और इथियोपिया यात्रा ने इसे नए आयाम तक पहुंचाया.

राजनयिक शिष्टाचार और व्यक्तिगत गर्मजोशी का मिलन कभी-कभी बेहद अनोखे अंदाज में देखने को मिलता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की तीन देशों की यात्रा में जॉर्डन और इथियोपिया में उनका स्वागत इस तरह किया गया कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के इतिहास में इसे खास दर्जा मिल गया. व्यक्तिगत रूप से नेताओं द्वारा कार चलाकर लाना-ले जाना, गले मिलकर विदाई देना और दोस्ताना बातचीत, ये सारे संकेत कार डिप्लोमेसी की नई मिसाल बन गए हैं.
कार डिप्लोमेसी का अनोखा अंदाज
जॉर्डन में क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्लाह द्वितीय ने खुद प्रधानमंत्री मोदी को म्यूजियम तक गाड़ी चलाकर पहुंचाया और कार्यक्रम खत्म होने पर एयरपोर्ट तक भी उन्हें गाड़ी में छोड़ दिया. इस अनोखी पहल ने भारत-जॉर्डन संबंधों की गर्मजोशी को दर्शाया. इथियोपिया में भी पीएम अबी अहमद अली ने एयरपोर्ट पर मोदी का स्वागत करते हुए खुद कार चलाकर होटल तक पहुंचाया. यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत जुड़ाव और सम्मान कभी-कभी औपचारिक रस्मों से भी ज्यादा प्रभावशाली हो जाता है.
वैश्विक नेताओं के साथ मोदी की कार यात्रा
कार डिप्लोमेसी केवल जॉर्डन या इथियोपिया तक सीमित नहीं है. दिसंबर 2014 में जब रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन भारत आए थे, तब उन्होंने अपनी कार में पीएम मोदी को बैठाकर सरकारी आवास तक पहुंचाया था और साथ में करीब 50 मिनट हल्की-फुल्की बातचीत की थी. इसी तरह अमेरिका में राष्ट्रपति ओबामा ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर मेमोरियल के दौरे पर पीएम मोदी के साथ 10-12 मिनट की ड्राइव की. जापान में पीएम मोदी और तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे बुलेट ट्रेन की ड्राइवर सीट में बैठकर रोड शो का अनुभव साझा कर चुके हैं.
व्यक्तिगत संबंध बनाम औपचारिक प्रोटोकॉल
कार डिप्लोमेसी का असली महत्व केवल यात्रा का नहीं, बल्कि उस रिश्ते और आपसी विश्वास का है जो नेताओं के बीच बनता है. यह औपचारिक बैठक, प्रेस कॉन्फ्रेंस या शिखर सम्मेलन की जगह व्यक्तिगत जुड़ाव और भरोसे को उजागर करता है. भारत-यूएई के संबंधों में भी शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने 2015 और 2018 में पीएम मोदी की हर यात्रा पर व्यक्तिगत रूप से उन्हें कार से एयरपोर्ट तक पहुंचाया.
क्यों बन गई कार डिप्लोमेसी चर्चा का विषय
पीएम मोदी की यात्रा में कार डिप्लोमेसी इसलिए सुर्खियों में रही क्योंकि यह पारंपरिक राजनयिक रस्मों से हटकर मानवीय जुड़ाव दिखाती है. औपचारिक स्वागत और समारोह के बजाय व्यक्तिगत तरीके से स्वागत करना, नेताओं के बीच सीधे संवाद और आत्मीयता का संदेश देता है. यही कारण है कि इस तरह की पहल मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर तेजी से वायरल हुई.
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Source: IOCL























