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उरी से पुलवामा तक...दो बड़े हमलों के जवाब में भारत ने की थी ऐसी स्ट्राइक, कांप उठा था पाकिस्तान

India Armed Forces Strikes In Pakistan:साल 2016 में उरी हमला तो साल 2019 में पुलवामा. इन आतंकी हमलों में देश ने 58 जवान खोए थे. लेकिन इसके बाद भारत ने ऐसी दो बड़ी स्ट्राइक कीं जो पाक कभी नहीं भूलेगा.

India Armed Forces Strikes In Pakistan: भारत और पाकिस्तान दो ऐसे देश हैं. जहां की भाषा लगभग समान है. कल्चर लगभग समान है. यह दोनों देश एक इतिहास साझा करते हैं. शायद ही कोई दो ऐसे पड़ोसी देश होंगे जो एक साथ इतने साल रहने के बावजूद भी एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बने हुए हैं. 1947 से शुरू हुई भारत और पाकिस्तान के बीच की दुश्मनी अब तक खत्म नहीं हुई है. पाकिस्तान ने कई बार भारत के खिलाफ साजिश की है. आतंकी हमलों को अंजाम दिया है.

जिनमें बात की जाए तो साल 2008 में हुए 26/11 आतंकी हमले में पकड़े गए जिंदा आतंकियों ने खुद कुबूला था कि उन्हें कैसे ट्रेनिंग दी गई थी. इस दशक में पाकिस्तान ने भारत पर दो बड़े हमले करवाए हैं. जिनमें उरी और पुलवामा शामिल हैं. इन दोनों ही हमले में कई भारतीय जवान शहीद हुए थे. लेकिन इन हमलों के बाद भारत ने खामोशी इख्तियार नहीं की बल्कि ईंट का जवाब पत्थर से दिया. और दो कभी ना भूलने वाली स्ट्राइक की. 

उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक

18 सितंबर साल 2016 को जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर के पास आर्मी हेडक्वार्टर में सुबह 5 बजे सेना के जवान सो रहे थे. तभी चार हथियारबंद आतंकवादियों ने सोते हुए निहत्थे जवानों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाना शुरू कर दिया. आतंकवादी ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की फिराक में आए थे और उनका आखिरी प्लान खुद को खत्म कर लेना था. लेकिन भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए चारों आतंकवादियों को मौके पर ही ढेर कर दिया. इस हमले में भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हो गए. 

लेकिन इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के टुकड़ों पर पल रहे आतंकवादी संगठनों को सबक सिखाने के लिए प्लान तैयार किया. और उरी हमले के ठीक 11 दिन बाद भारतीय सेना के स्पेशल कमांडोज पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक करने पहुंच गए. भारतीय सेना के जवानों ने हेलीकॉप्टर से एलओसी के पास उतर के जमीन के रास्ते घुसकर पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस सर्जिकल स्ट्राइक में छह आतंकवादी कैंप तबाह कर दिए और तकरीबन 35 से 40 आतंकवादियों को मार गिराया गया.

 

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बालाकोट हमले में शहीद हुए 40 जवान

साल 2016 में हुए उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने जब पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया. और आतंकवादी ठिकानों को ठिकाने लगाया. इससे उम्मीद थी कि पाकिस्तान सबक लेगा और अपने नापाक इरादों पर लगाम लगाएगा. लेकिन पाकिस्तान तो ठहरा पाकिस्तान, कुछ साल बाद यानी साल 2019 में 14 फरवरी को सीआरपीएफ का काफिला गुजर रहा था. जिसमें तकरीबन 2500 से ज्यादा जवान मौजूद थे.

इस काफिले में 60 से भी ज्यादा सैन्य वाहन थे. जैसे ही काफिला श्रीनगर नेशनल हाईवे पर अवंतीपोरा के गोरीपोरा में पहुंचा. तभी जैश-ए-मोहम्मद का एक आत्मघाती हमलावर विस्फोटक से भरी कार लेकर सैन्य वाहनों से टकरा गया. और भयंकर विस्फोट हो गया. विस्फोट इतना भयानक था कि इसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनाई दी. इस आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए 

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एयरस्ट्राइक से लिया बदला

पुलवामा हमला उरी हमले से भी ज्यादा बड़ा था. तो इस बार भारत की ओर से बड़ी जवाबी कार्रवाई की उम्मीद की जा रही थी. और हुआ भी ऐसा ही, पिछली बार जहां भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान के आतंकियों को ठिकाने लगाया. तो इस बार भारत ने जवाबी कार्रवाई में एयर स्ट्राइक की गई. बालकोट हमले के ठीक 12 दिन बाद 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना के 12 मिराज 2000 जेट्स ने एलओसी पार करके बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के कई कैंपों को उड़ा दिया. इस एयर स्ट्राइक में 200-300 आतंकवादी मारे गए. यह आज तक की भारत की सबसे बड़ी जवाबी कार्रवाई में से एक मानी जाती है. 

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About the author नीलेश ओझा

नीलेश ओझा पिछले पांच साल से डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हैं. उनकी लेखन शैली में तथ्यों की सटीकता और इंसानी नजरिए की गहराई दोनों साथ-साथ चलती हैं.पत्रकारिता उनके लिए महज़ खबरें इकट्ठा करने या तेजी से लिखने का काम नहीं है. वह मानते हैं कि हर स्टोरी के पीछे एक सोच होनी चाहिए.  

कुछ ऐसा जो पाठक को सिर्फ जानकारी न दे बल्कि सोचने के लिए भी मजबूर करे. यही वजह है कि उनकी स्टोरीज़ में भाषा साफ़ होती है.लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से रहा है. स्कूल की नोटबुक से शुरू हुआ यह सफर धीरे-धीरे पेशेवर लेखन और पत्रकारिता तक पहुंचा. आज भी उनके लिए लेखन सिर्फ पेशा नहीं है यह खुद को समझने और दुनिया से संवाद करने का ज़रिया है.

पत्रकारिता के अलावा वह साहित्य और समकालीन शायरी से भी गहराई से जुड़े हुए हैं. कभी भीड़ में तो कभी अकेले में ख्यालों को शायरी की शक्ल देते रहते हैं. उनका मानना है कि पत्रकारिता का काम सिर्फ घटनाएं गिनाना नहीं है. बल्कि पाठक को उस तस्वीर के उन हिस्सों तक ले जाना है. जो अक्सर नजरों से छूट जाते हैं.

उन्होंने स्पोर्ट्सविकी, क्रिकेट एडिक्टर, इनशॉर्ट्स और जी हिंदुस्तान जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स के साथ काम किया है.

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