विदेश में मौत की सजा पाने वाले के शव का क्या होता है, कैसे होती है अपने देश में वापसी?
शहजादी को 15 फरवरी को मौत की सजा दी गई थी, लेकिन उसका शव 5 मार्च को दफनाया गया. शहजादी के साथ दफन हुए मोहम्मद रिनाश को भी 28 फरवरी को सजा-ए-मौत मिली थी, लेकिन उसे भी तुरंत नहीं दफन किया गया था.

अबू धाबी की जेल में बंद भारत की शहजादी को 15 फरवरी को मौत की सजा दी गई थी. उसे 5 मार्च को अबू धाबी के ही कब्रिस्तान में दफना दिया गया था. शहजादी पर एक चार महीने के बच्चे की हत्या का आरोप था और वह बीते दो साल से जेल में बंद थी. शहजादी के साथ कब्रिस्तान में एक और भारतीय शख्स को दफन किया गया था. इस शख्स का नाम मोहम्मद रिनाश था, जो केरल का रहने वाला था.
अब सवाल यह है कि अगर किसी व्यक्ति को विदेश में मौत की सजा दी जाए तो उसके शव को भारत कैसे लाया जा सकता है? इसके लिए क्या नियम होते हैं? क्या शहजादी का शव भारत आ सकता था? चलिए जानते हैं...
20 दिन बाद दफनाया गया था शव
बता दें, शहजादी को 15 फरवरी को मौत की सजा दी गई थी, लेकिन उसका शव 5 मार्च को दफनाया गया. शहजादी के साथ दफन हुए मोहम्मद रिनाश को भी 28 फरवरी को सजा-ए-मौत मिली थी, लेकिन उसे भी तुरंत नहीं दफन किया गया था. बल्कि अबू धाबी की सरकार ने दोनों के शवों को कुछ दिन तक मुर्दाघर में रखा था. दरअसल, यूएई के कानून के मुताबिक, सजा-ए-मौत पाए व्यक्तियों की लाश उनके देश वापस नहीं भेजी जाती है. बल्कि वहीं, उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. हालांकि, इससे पहले परिवार को सूचना दी जाती है और उन्हें अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका दिया जाता है.
अलग-अलग देशों में हैं नियम
बता दें, अलग-अलग देशों में विदेशी नागरिकों के सजा-ए-मौत मामले में उनकी लाशों को लेकर नियम बनाए गए हैं. हालांकि, ज्यादातर देश ऐसे मामले में शव का अंतिम संस्कार खुद करते हैं. अंतिम संस्कार से पहले मृतक के परिवार को इसकी सूचना दी जाती है और अंतिम संस्कार में उन्हें शामिल होने का मौका भी दिया जाता है. संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्यों में इसको लेकर नियम भी अलग-अलग हैं. कई राज्यों में मौत की सजा के बाद शव परिवार के हवाले कर दिया जाता है, तो कई जगह परिवार की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार किया जाता है.
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