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दुनिया के ये तीन लोग किसी भी देश में बिना पासपोर्ट के जा सकते हैं... जानिए ये लोग कौन हैं?

1920 में लीग ऑफ नेशंस ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया और पूरी दुनिया में पासपोर्ट व्यवस्था लागू करने के लिए कोशिशें शुरू कर दीं. इसकी अगुवाई अमेरिका कर रहा था.

विदेश में अपने आप को किसी देश का वैध नागरिक सिद्ध करने के लिए आपको पासपोर्ट की जरूरत पड़ती है. अगर आप अपने देश से बाहर किसी भी देश में जानना चाहते हैं तो आपके पास पासपोर्ट होना अनिवार्य है. इसे सरकार जारी करती है और यह एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जो पूरी दुनिया में आपकी पहचान बताता है. यानी आप इसके बगैर विदेश जाने की सोच भी नहीं सकते. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दुनिया में तीन ऐसे लोग हैं जो किसी भी देश में बिना पासपोर्ट के जा सकते हैं और उन्हें कोई रोकेगा नहीं टोकेगा नहीं. तो चलिए आज इस आर्टिकल में आपको दुनिया के उन तीन बड़े लोगों के बारे में बताते हैं.

पहला नाम ब्रिटेन के किंग चार्ल्स का है

इन 3 खास लोगों में पहला नाम ब्रिटेन के किंग चार्ल्स का है. जब महारानी एलिजाबेथ की मौत हुई तो उसके बाद ब्रिटेन के राजा बने चार्ल्स और उनके राजा बनते ही चार्ल्स के सेक्रेटरी ने अपने देश समेत दुनिया भर के विदेश मंत्रालयों को यह सूचित कर दिया कि अब दस्तावेजी तौर पर चार्ल्स ब्रिटेन के किंग हो गए हैं, इसलिए उनके पूरे प्रोटोकॉल का सभी को ध्यान रखना होगा और उन्हें कहीं भी बिना किसी रोक-टोक के जाने की अनुमति दी जाएगी.

दूसरा नाम है जापान के सम्राट और उनकी पत्नी

जापान के सम्राट और उनकी पत्नी को यह विशेषाधिकार है कि वह किसी भी देश में बिना पासपोर्ट के आ जा सकते हैं. सवाल उठता है कि आखिरकार इन्हें यह विशेषाधिकार क्यों मिला है. दरअसल, जापान के डिप्लोमेटिक रिकॉर्ड बताते हैं कि उनके विदेश मंत्रालय ने अपने सम्राट और उनकी पत्नी के लिए यह खास व्यवस्था साल 1971 से शुरू की थी और यह तब से ही जारी है. होता ये है कि जापान के सम्राट और उनकी पत्नी जब भी किसी देश में जाना चाहते हैं तो उससे पहले उस देश के विदेश मंत्रालय को जापान के विदेश मंत्रालय द्वारा एक लेटर भेजा जाता है और उसमें लिखा होता है कि इस लेटर को जापान के सम्राट और उनकी पत्नी का पासपोर्ट माना जाए और इसी के आधार पर उन्हें उस देश में सम्मान पूर्वक एंट्री दी जाए.

तीसरे हैं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति

दरअसल, जब भी किसी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति किसी अन्य देश के दौरे पर होते हैं तो वह अपने साथ एक डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखते हैं, लेकिन इसके बावजूद मेजबान देश उन्हें पूरी छूट देता है कि वह बिना अपना पासपोर्ट दिखाए इस देश में दाखिल हो सकते हैं और प्रोटोकॉल के तहत सभी कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते हैं. इस दौरान उनसे मेजबान देश का कोई भी अधिकारी पासपोर्ट नहीं मांगेगा. भारत में यह दर्जा प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को भी हासिल है.

पासपोर्ट का इतिहास समझिए

दुनिया में पासपोर्ट सिस्टम शुरू हुए लगभग 100 साल से ज्यादा हो गए. 20वीं सदी की शुरुआत में जब एक देश से दूसरे देश लोग चोरी-छिपे जाने की कोशिश करने लगे तो कई तरह के बड़ी समस्याएं खड़ी हो गईं और इन पर ही लगाम लगाने के लिए दुनिया भर के देशों के बीच एक ऐसा समझौता हुआ जिसमें एक देश का नागरिक अगर दूसरे देश जाता है तो उसके पास कुछ पुख्ता डॉक्यूमेंट होंगे. उस दौरान दुनिया भर में पहला विश्वयुद्ध भी चल रहा था तो ऐसे में सभी देशों को समझ में आया कि पासपोर्ट जैसा कोई सिस्टम होना बहुत जरूरी है. फिर दौर आता है 1920 का जब लीग ऑफ नेशंस ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया और पूरी दुनिया में पासपोर्ट व्यवस्था लागू करने के लिए कोशिशें शुरू कर दीं. इसकी अगुवाई अमेरिका कर रहा था, देखते ही देखते साल 1924 में अमेरिका ने अपनी नई पासपोर्ट प्रणाली जारी कर दी. इसी के बाद यह व्यवस्था धीरे-धीरे पूरी दुनिया में लागू हो गई.

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