सड़क हादसों में बीते 5 साल में कितनों ने गंवाई जान, मरने वालों की उम्र जानकर चौंक जाएंगे आप
भारत में सड़क हादसे एक गंभीर राष्ट्रीय समस्या बन चुके हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, हर साल 1.8 लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं और सबसे ज्यादा प्रभावित युवा वर्ग है.

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में बढ़ते सड़क हादसों पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसे एक बड़ी राष्ट्रीय समस्या बताया. संसद में अपने संबोधन में कहा कि आंकड़ों के अनुसार, भारत में एक साल में लगभग 4.8 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें करीब 1.8 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि सड़क दुर्घटनाओं के मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड हमारे ही देश का है.
गडकरी बताया कि जब भी वे किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने जाते हैं और वहां सड़क दुर्घटनाओं या हादसों से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं, तो वे अपना मुंह छिपाने की कोशिश करते हैं. लेकिन आपके मन में सवाल होगा कि भारत में ऐसे कितने सड़क हादसे होते हैं, जिनके कारण केंद्रीय सड़क मंत्री को यह कहना पड़ रहा है कि उन्हें अपना मुंह छिपाना पड़ता है. तो आइए जानते हैं.
बीते पांच सालों में सड़क हादसों का हाल
भारत में बीते 5 सालों के आंकड़े बताते हैं कि 2018 से 2022 के बीच सड़क हादसों में 7.77 लाख से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जो बेहद खराब रिकॉर्ड है. ये हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. साल 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 1.80 लाख तक पहुंच गया. इसका मतलब है कि हर दिन करीब 485 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं. गडकरी ने खुलेतौर पर स्वीकार किया है कि साल 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उन्होंने सड़क हादसों को 50 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए और सड़क हादसों में कमी की जगह बढ़ोतरी ही हुई है.
सड़क हादसों में युवाओं की सबसे ज्यादा मौत
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क हादसों को देश की एक बड़ी समस्या बताया. उनके अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में सबसे बड़ी संख्या युवाओं की है. उन्होंने कहा कि करीब 60 प्रतिशत मृतकों की उम्र 18 से 34 वर्ष के बीच होती है, यानी वे लोग जो पढ़ाई, नौकरी और परिवार की जिम्मेदारियों के दौर में होते हैं.
अर्थव्यवस्था पर सड़क हादसों का असर
कुछ अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के 66.4 प्रतिशत लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं. गडकरी ने इस पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि यही आयु वर्ग देश की अर्थव्यवस्था, विकास और भविष्य की रीढ़ है. उन्होंने यह भी बताया कि सड़क हादसों की वजह से भारत को हर साल अपनी जीडीपी का लगभग 3 प्रतिशत नुकसान झेलना पड़ता है.
राज्यवार सड़क हादसों के आंकड़े
देश में सड़क हादसों के आंकड़ों के अनुसार 2018 से 2022 के बीच सबसे पहला स्थान उत्तर प्रदेश का है, जहां 1,08,882 लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाई. वहीं दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है, जहां 84,316 लोगों की मौत हुई और तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जहां 66,370 लोगों की जान गई. ये आंकड़े वाकई चौंकाने वाले हैं.
साल दर साल दुर्घटनाओं और मौतों का आंकड़ा
- आंकड़ों की मानें तो 2018 में देश में कुल 4,70,403 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जो इन सभी वर्षों में सबसे ज्यादा थीं. इसी साल 1,57,593 लोगों की मौत हुई. 2019 में दुर्घटनाएं घटकर 4,56,959 रहीं, लेकिन मौतों की संख्या बढ़कर 1,58,984 हो गई.
- 2020 में कोरोना लॉकडाउन की वजह से सड़क पर गाड़ियां कम चलीं, इसलिए दुर्घटनाएं घटकर 3,72,181 और मौतें 1,38,383 रह गईं, जो इन वर्षों में सबसे कम थीं.
- 2021 में हालात सामान्य होने लगे, जिससे दुर्घटनाएं बढ़कर 4,12,432 हो गईं और मौतों की संख्या 1,53,972 तक पहुंच गई.
- 2022 में दुर्घटनाएं 4,61,312 रहीं, लेकिन सबसे चिंताजनक बात यह रही कि इस साल 1,68,491 लोगों की मौत हुई, जो इन सभी वर्षों में सबसे ज्यादा है.
यह भी पढ़ें: Delhi Air Pollution: BS6, BS5 और BS4 गाड़ियों में क्या है अंतर, जानिए कौन फैलाता है ज्यादा प्रदूषण?
Source: IOCL






















