Patanjali Ghee Controversy: पतंजलि के घी की क्वालिटी पर सवाल! क्या फैसला आने तक इसे बेच नहीं पाएगी कंपनी?
Patanjali Ghee Controversy: पतंजलि कंपनी को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा हो चुका है. दरअसल कंपनी के गाय के घी का सैंपल क्वालिटी टेस्ट में फेल हो चुका है. आइए जानते हैं इस बारे में पूरी जानकारी.

Patanjali Ghee Controversy: पतंजलि एक बार फिर से विवादों में आ चुकी है. दरअसल उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में कंपनी के गाय के घी का सैंपल क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गया. इसके बाद एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कंपनी, डिस्ट्रीब्यूटर और यहां तक कि इसकी बिक्री में शामिल लोकल दुकानदारों पर भी जुर्माना लगा दिया है. पतंजलि पर ₹1.25 लाख और सेलर पर ₹15000 का जुर्माना लगाया है. इसी बीच सवाल यह उठ रहा है कि क्या कंपनी को कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक घी बेचने से रोक दिया जाएगा या नहीं. आइए जानते हैं.
तुरंत कोई बैन नहीं
फिलहाल पतंजलि घी की बिक्री पर कोई भी बैन नहीं है. कंपनी पर जुर्माना डिस्ट्रिक्ट लेवल कोर्ट ने लगाया है और यह अपने आप देशभर में बिक्री पर रोक नहीं लगा सकता. बैन लगाने के लिए एफएसएसएआई जैसी रेगुलेटरी अथॉरिटी या फिर किसी ऊपरी कोर्ट को एक बड़ा ऑर्डर जारी करना होगा. जब तक ऐसा नहीं किया जाता तब तक पतंजलि कानूनी तौर पर प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन जारी रखने के लिए पूरी तरह से आजाद है.
क्या रही पतंजलि की प्रतिक्रिया
पतंजलि ने कोर्ट के नतीजे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. कंपनी का कहना है कि घी की टेस्टिंग में शामिल रेफरल लैबोरेट्री गाय के घी का एनालिसिस करने के लिए एनएबीएल से मान्यता प्राप्त नहीं थी. पतंजलि के मुताबिक यह टेस्ट रिपोर्ट को कानूनी तौर पर ना मंजूर बनता है. कंपनी ने फैसले को बेतुका बताया और यह दावा किया कि बिना मान्यता वाली लैब एक अच्छी क्वालिटी वाले प्रोडक्ट को घटिया घोषित नहीं कर सकती.
आरएम वैल्यू विवाद
दरअसल यह विवाद आरएम वैल्यू को लेकर है. यह एक साइंटिफिक पैरामीटर है जिसका इस्तेमाल प्योरिटी का पता लगाने के लिए किया जाता है. लेकिन इसमें पतंजलि का कहना है कि यह एक नेचुरल उतार चढ़ाव है जो जानवरों के चारे और ज्योग्राफिकल कंडीशन जैसे फैक्टर के आधार पर अलग-अलग हो सकता है. लेकिन कोर्ट ने एक डेविएशन नोट किया है.
पतंजलि ने घोषणा कर दी कि वह इस ऑर्डर के खिलाफ फूड सेफ्टी ट्रिब्यूनल में अपील करेगी. एक बार अपील फाइल हो जाने के बाद पहले का जजमेंट अपने आप प्रोडक्शन या फिर बिक्री को नहीं रोक सकता. भारत में खाने से जुड़े कानूनी मामले अक्सर रिव्यू की कई लेयर से गुजरते हैं. इसी के साथ जब तक ऊपर के अधिकारी कोई रोक लगाने का आर्डर जारी नहीं करते प्रोडक्ट शेल्फ पर उपलब्ध रहते हैं.
ये भी पढ़ें: संचार साथी ऐप से आपकी किन-किन चीजों पर नजर रख सकेगी सरकार? जानें हर बात
Source: IOCL






















