अगर नाक ने ली छुट्टी…तो Bum करेगा ब्रीदिंग बैकअप की ड्यूटी, इस अंग से कैसे सांस लेगा इंसान?
Take Breath From Bum: जापान के वैज्ञानिकों ने वो कर दिखाया जो साइंस फिक्शन फिल्मों में भी नहीं सोचा गया था, अब इंसान अपने Bum से भी सांस ले सकेगा. सुनने में मजाक लगता है, लेकिन यह सच है.

कभी सोचा है कि अगर नाक बंद हो जाए तो आप कहां से सांस लेंगे? अब जवाब है, सीधे Bum से! जापान के वैज्ञानिकों ने हाल ही में ऐसा ट्रायल किया है कि सुनकर आप हंसेंगे, लेकिन यह पूरी तरह साइंस-फिक्शन नहीं बल्कि असली मेडिकल रिसर्च है. इसका नाम है ‘एंटरल वेंटिलेशन’, यानी, आप अपने पीछे वाले रास्ते से भी सांस ले सकते हैं. इस प्रयोग से साबित हुआ है कि इंसान के शरीर का पिछला हिस्सा सिर्फ बैठने के लिए नहीं, बल्कि सांस लेने के लिए भी काम आ सकता है, वो भी पूरी सुरक्षा के साथ.
कैसे काम करेगी यह तकनीक
इस तकनीक का नाम है ‘एंटरल वेंटिलेशन’. सुनने में जितना जटिल लगता है, उतनी ही दिलचस्प है इसकी प्रक्रिया. इसमें डॉक्टर एक विशेष तरल पदार्थ पर्फ्लोरोकार्बन (Perfluorocarbon) को मरीज के रेक्टम में डालते हैं. इस तरल में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत अधिक होती है. जैसे ही यह पदार्थ अंदर जाता है, ऑक्सीजन आंतों की दीवारों से होकर सीधे खून में पहुंच जाती है. यानी बिना सांस लिए ही शरीर को हवा मिल जाती है.
क्यों फायदेमंद है यह तकनीक
यह तकनीक उन मरीजों के लिए गेमचेंजर हो सकती है, जिनकी सांस की नलियां ब्लॉक हो जाती हैं, जैसे फेफड़ों की गंभीर बीमारी, दम घुटना या चोट लगने की स्थिति में. सोचिए, अगर कभी कोई मरीज नाक और मुंह से सांस नहीं ले पा रहा हो, तो डॉक्टर्स के लिए अब Butt एक नया बैकअप का काम करेगा.
नई नहीं है यह खोज
हालांकि यह विचार नया नहीं है, बल्कि प्रकृति में पहले से मौजूद है. कई जीव-जंतु जैसे कछुए, सूअर और कुछ मछलियां संकट के समय पीछे से ऑक्सीजन ले सकती हैं. वैज्ञानिकों ने इसी विचार को इंसानों के लिए ढालने की कोशिश की है. और अब, यह रिसर्च इंसानों पर पहली बार सफलतापूर्वक आजमाई गई है.
ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रमुख वैज्ञानिक टाकानोरी टेकेबे ने बताया कि यह सिर्फ सुरक्षा परीक्षण था, यानी यह देखा गया कि प्रक्रिया शरीर के लिए हानिकारक तो नहीं. लेकिन नतीजे सकारात्मक रहे, अब अगला कदम यह देखने का होगा कि क्या इससे वाकई ब्लड में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है या नहीं. अगला ट्रायल उन मरीजों पर किया जाएगा, जिन्हें सांस लेने में असली कठिनाई होती है.
इस खोज को किया जा चुका है सम्मानित
दिलचस्प बात यह है कि इस खोज को पिछले साल Ig Nobel Prize in Physiology से सम्मानित किया गया था, यह वही अवॉर्ड है जो मजाकिया, लेकिन महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजों के लिए दिया जाता है. और आप मानिए या नहीं, यह खोज मजाक से कहीं ज्यादा गंभीर है. अगर यह बैकअप रेस्पिरेटरी सिस्टम सफल हुआ, तो आने वाले समय में यह मेडिकल साइंस की दिशा ही बदल सकता है.
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