स्पेस में अंतरिक्ष यात्रियों का शरीर इसलिए होता है कमजोर, सुनीता और उनके साथी की 2025 तक वापसी संभव
अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी की वापसी 2025 तक संभव है. इस दौरान उनका शरीर लगातार कमजोर होते जा रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर स्पेस में उनका शरीर कमजोर क्यों हो रहा है.

भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स स्पेस में फंसी हुई हैं. लेकिन अब उनकी वापसी एक बार फिर से टल गई है. जानकारी के मुताबिक अब उनकी वापसी मार्च 2025 के बाद हो सकती है. इस दौरान उनका तेजी से वजन कम हो रहा है, जो डॉक्टरों और साइंटिस्ट्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. जून 2024 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंचने के बाद से उनका वजन लगातार कम हो रहा है. अब सवाल ये है कि अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के दौरान शरीर पर कितना असर पड़ता है.
मार्च 2025 तक होगी वापसी?
बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में फंसीं भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की वापसी एक बार फिर टल गई है. अब उनकी वापसी मार्च 2025 तक हो सकती है, हालांकि इसको लेकर अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. गौरतलब है कि जून 2024 में वो अंतरिक्ष में गई थी और बोइंग स्टारलाइनर में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण उनकी वापसी को टाल दिया गया था।
लंबे समय तक स्पेस में रहना मुश्किल
एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी जून 2024 से स्पेस में फंसे हुए हैं. जिस कारण उनका शरीर लगातार कमजोर होता जा रहा है, जो वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के लिए चिंता की बात है. वहीं अंतरिक्ष में समय बिताने वाले एस्ट्रोनॉट के शरीर पर क्या असर पड़ता है, इसको लेकर ओटावा यूनिवर्सिटी ने स्टडी की है. बता दें कि 14 अंतरिक्षयात्रियों पर हुई स्टडी में ब्रिटेन के टिम पेक भी थे, जिन्होंने खुद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 6 महीने बिताए थे. उन्होंने अंतरिक्ष में रहकर अलग-अलग विषयों पर रिसर्च की थी.
शरीर पर कितना असर?
रिसर्च में ये जानने के लिए कि अंतरिक्ष में अंतरिक्षयात्रियों के शरीर पर कितना असर पड़ता है, अंतरिक्षयात्रियों के ब्लड और सांस के सैम्पल लिए गये थे. रिसर्च में सामने आया कि अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद इंसान की रक्त कोशिकाएं ज्यादा नष्ट होने लगती हैं. वहीं पूरे मिशन के दौरान ऐसा होता रहता है. स्पेस में पहुंचने पर इंसान शरीर को हल्का महसूस करता है, क्योंकि वो ग्रेविटी से बाहर हो जाता है. यही वजह है कि जब वो धरती पर वापस लौटते हैं, तो उनका शरीर थका हुआ महसूस करता है. इस दौरान मांसपेशियां कमजोर हो जाती है.
क्या बढ़ती है लंबाई
शोधकर्ता डॉ. ट्रूडल का कहना है कि अंतरिक्षयात्रियों में होने वाला एनीमिया उन्हें एक्सरसाइज करने से भी रोकता है. रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रोनॉट को खाने का ध्यान रखना अनिवार्य होता है, उन्हें आयरन और अधिक कैलोरी लेनी चाहिए. वहीं अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का कहना है, धरती की ग्रेविटी से दूर होने पर इंसान की हड्डियों का वजन घटता है. वहीं नासा के मुताबिक स्पेस में रहते हुए 3 से 4 दिनों के अंदर ही शरीर की लम्बाई में 3 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है.
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Source: IOCL





















