क्या है भारत की मिल्क लाइन, किस राज्य के लोग हजम कर लेते हैं दूध और कहां के नहीं?
दुनिया में सबसे अधिक दूध की खपत करने के बावजूद भी भारत में कई लैक्टोज इनटोलरेंट लोग पाए जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या हैं मिल्क लाइन ऑफ इंडिया.

भारत दुनिया की सबसे बड़ी मिल्क प्रोड्यूसिंग कंट्री है. साथ ही यह सबसे अधिक दूध के उत्पादन के साथ साथ सबसे अधिक दूध की खपत भी की जाती है. भारत के गुजरात राज्य में सबसे अधिक दूध का उत्पादन होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कई लैक्टोज इनटोलरेंट लोग भी पाए जाते हैं. लैक्टोज इंटॉलरेंट यानी वे लोग जिन्हें दूध पछता नहीं है. ये लोग अक्सर दक्षिण और पूर्वी भारत में पाए जाते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि क्या है मिल्क लाइन ऑफ इंडिया जो भारत के दूध की अधिक खपत करने वाले और काफी कम खपत वाले राज्यों को अलग करती है. तो आइए जानते है इस बारे में.
क्या है भारत की मिल्क लाइन?
दरअसल, मिल्क लाइन ऑफ इंडिया एक तरह की इमैजिनेटिव लाइन है जो भारत को दो हिस्सों में बांट देती हैं - एक हिस्सा जहां लोग एसेंस दूध हजम कर लेते हैं और दूसरा वो जहां लोगों को दूध हजम करने में दिक्कत होती है.आसान भाषा में इन्हें लैक्टोज टॉलरेंट और लैक्टोज इंटॉलरेंट कहते हैं.
कौन-से राज्य हैं लैक्टोज टॉलरेंट?
बात अगर लैक्टोज टॉलरेंट लोगों की करे तो ये सबसे अधिक उत्तर भारत और पश्चिम भारत में पाए जाते हैं. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के लोग आसानी से दूध पचा लेते हैं. इसलिए इन इलाकों में लोगों गाय भैंस का दूध, दही, घी, मक्खन और पनीर ज्यादा खाते हैं.
कौन-से राज्य हैं लैक्टोज इंटॉलरेंट?
दूसरी ओर लैक्टोज इंटॉलरेंट लोगों की संख्या सबसे अधिक दक्षिण और पूर्वी भारत में देखने को मिलती है. तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और ईस्टर्न स्टेट्स के लोग आसानी से दूध नहीं पचा पाते हैं. इसलिए यह के खानपान और खाने की चीजों में दूध या उससे बनी चीज बेहद कम नजर आती हैं. ऐसे में यहां के लोगों को अक्सर दूध का सेवन करने पर गैस, एसिडिटी या पीट दर्द होने लगता है.
क्यों है यह फर्क?
मिल्क लाइन ऑफ इंडिया जिन राज्यों को अलग करती है उनमें से एक जगह लोग आसानी से दूध पचा लेते है तो दूसरी जगह दूध पीने से लोगों कई दिक्कतें होने लगती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ये फर्क आखिर है क्यों? तो आपको बता दें कि यह फर्क जेनेटिक और खानपान की आदतों के कारण देखने को मिलता है. उत्तर और पश्चिम भारत में शुरुआत से ही पशुपालन जीवन का हिस्सा रहा है और उनसे मिलने वाली चीजों को इंसानों ने अपने खानपान में शामिल किया है. जबकि दक्षिण और पूर्वी भारत में ये चलन कम रहा है जिसके चलते ये फर्क देखने को मिलता है.
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Source: IOCL






















