ताजमहल बनाने में कई टन गुड़ लगा था, जानिए इसमें गुड़ से क्या बना हुआ है?
वर्ल्ड हेरिटेज ताजमहल 366 साल से अपनी खूबसूरती बरकरार रखे हुए है, लेकिन क्या आपको पता है इसे बनाने में गुड़ का भी इस्तेमाल हुआ है.
मोहब्बत की निशानी ताजमहल को जो भी देखता है उसके मुंह से एक ही शब्द निकलता है 'वाह'. 22 सालों में 22 हजार मजदूरों द्वारा बनाए गए ताजमहल की खूबसूरती 366 साल बाद भी जस की तस है. वहीं ताजमहल को देखकर कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर इतने सालों से ये इमारत उतनी ही खूबसूरत कैसे है और इसे बनाया कैसे गया होगा. लेकिन क्या आपको पता है मोहब्बत की इस निशानी को बनाने के लिए मजदूरों ने एक खास टेक्निक का इस्तेमाल किया था. जिसके लिए कई टन गुड़ की जरूरत भी पड़ी थी.
ताज महल में क्यों इस्तेमाल हुआ गुड़?
दरअसल ताज महल के निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत सन् 1631 ईस्वी में हुई थी और ये 1648 में बनकर तैयार हुआ था. इसके निर्माण में 38 खास पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. वहीं इसके निर्माण का सामान ढोने के लिए एक हजार से ज्यादा हाथी दिन-रात मेहनत कर रहे थे. ऐसे में इस इमारत को खास बनाने के लिए इसके निर्माण में एक खास किस्म के लेप का इस्तेमाल भी किया गया था, जो तैयार किया गया था कई टन गुड़ से. जी हां आप सही पढ़ रहे हैं इमारत को मजबूत बनाने के लिए जिस खास लेप का इस्तेमाल किया गया था वो जूट, कंकर, गुड़, दही, बेलगिरी का पानी और उड़द की दाल से तैयार किया गया था. जिसे जरिए पत्थरों को आपस में चिपकाया गया था.
अब आप सोच रहे होंगे कि इस तरह इस इमारत को बनाने में कितना खर्च आया होगा, तो बता दें कि एक आकलन के अनुसार उस समय इसे बनाने में 32 लाख रुपए खर्च हुए थे. जो आज के समय में 52,800 करोड़ रुपए के बराबर है. ताजमहल एक पारसी और इस्लामिक कला का बेहतरीन उदाहरण है. शानदार कलाकारी के लिए इसे साल 1983 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज स्थल के रूप में मान्यता दी थी.