'थ्री इडियट्स' वाले सोनम वांगचुक पर क्यों लगे लद्दाख के लड़कों को भड़काने के आरोप? जान लें पूरा मामला
Leh Ladakh Protest: सरकार ने लद्दाख में हो रही हिंसा के लिए एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है. गृह मंत्रालय के अनुसार, वांगचुक ने भड़काऊ देकर युवाओं को प्रदर्शन के लिए उकसाया.

Ladakh Protest: लद्दाख के लेह जिले में हुई हिंसक घटनाओं ने पूरे देश का ध्यान खींचा है. भीड़ ने सरकारी दफ्तरों और बीजेपी कार्यालय पर भी हमला किया. इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और 45 से ज्यादा लोग घायल हुए, जिनमें 22 पुलिसकर्मी शामिल थे. कुछ जगह तो स्थिति इतनी बिगड़ी की प्रशासन को कर्फ्यू लगाने और सुरक्षा बलों को फायरिंग करने तक की नौबत आ गई.
लद्दाख में हो रही इस हिंसा को भड़काने का आरोप थ्री इडियट्स वाले सोनम वांगचुक पर लग रहा है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताएंगे कि 3 ईडियट्स वाले सोनम वांगचुक पर लद्दाख के लड़कों को भड़काने का आरोप क्या लगा है और यह पूरा मामला क्या है...
सोनम वांगचुक पर लगे हैं आरोप
सरकार ने लद्दाख में हो रही हिंसा के लिए एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है. गृह मंत्रालय के अनुसार, वांगचुक ने 10 सितंबर से शुरू हुई भूख हड़ताल के दौरान भड़काऊ बयान दिए और युवाओं को अरब स्प्रिंग और नेपाल में जनरेशन जेड के विरोध प्रदर्शनों का हवाला देकर उकसाया. मंत्रालय ने कहा कि कई नेताओं ने भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया, लेकिन वांगचुक ने आंदोलन जारी रखा और भड़काऊ भाषणों से युवाओं को हिंसा की ओर मोड़ दिया. वहीं सरकार ने वांगचुक पर यह भी आरोप लगाया कि अपने निजी फायदे और वित्तीय मामले से ध्यान हटाने के लिए वांगचुक ने युवाओं इस्तेमाल किया. उनके भड़काऊ भाषणों के बाद भीड़ आंदोलन वाली जगह से निकलकर भाजपा कार्यालय और सीईसी कार्यालय पर हमला करने लगी. भीड़ ने लेह में भाजपा कार्यालय में वाहनों को नुकसान पहुंचाया और पुलिसकर्मियों पर हमला भी किया. वहीं कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं पर भी हिंसा भड़काने के आरोप लगा है माना जा रहा है कि उनके भड़काऊ बयान और प्रदर्शनकारी भीड़ के साथ जुड़े रहने की वीडियो क्लिप सामने आई है.
लद्दाख में हो आंदोलन के पीछे क्या है वजह
लद्दाख में हो रहे आंदोलन के पीछे वहां रहने वाले लोगों की कुछ मांगे हैं. दरअसल, लद्दाख के लोगों की मांग है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए. यह अनुसूची फिलहाल चार पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम की जनजाति के लिए है. इसे लेकर लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस पिछले 4 सालों से आंदोलन कर रहे हैं. लद्दाख में हो रहे आंदोलनों को लेकर सरकार और प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है. वहीं 6 अक्टूबर को फिर गृह मंत्रालय और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता होनी है. लद्दाख में हो रही है इन हिंसाओं की लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कड़ी निंदा की है और कहा कि शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखना बहुत जरूरी है. उन्होंने प्रशासन और कानून व्यवस्था एजेंसियों को निर्देश दिए की हालत पर काबू पाया जाए और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.
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Source: IOCL























