जीएसटी घटने के बाद कितनी कम हो जाएगी सरकार की कमाई, जान लीजिए पूरा गुणा-गणित
GST में बदलाव से आम आदमी को एक तरफ जहां बड़ी राहत मिलेगी तो वहीं दूसरी तरफ सरकार को कुछ राजस्व नुकसान झेलना पड़ सकता है. चलिए जानते हैं कि कितनी कम हो जाएगी सरकार की कमाई.

भारत सरकार आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए जीएसटी की दरों में बड़ी कटौती करने जा रही है. जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया की जीएसटी काउंसिल ने टैक्स स्लैब को सरल बनाने का फैसला लिया है. बता दें मौजूदा समय में जीएसटी की चार मुख्य दरें हैं 5%, 12%, 18%, और 28%, साथ में कुछ खास सामान पर अतिरिक्त सेस भी लगता है. लेकिन अब सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि इन दरों को घटाकर सिर्फ दो मुख्य स्लैब 5% और 18% में लाया जाए. जीएसटी काउंसिल के सभी फैसले 22 सितंबर से लागू किये जाएंगे.
रोजमर्रा की चीजें होंगी सस्ती
15 अगस्त 2025 को अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी में बड़े सुधार की घोषणा की थी. उन्होंने इसे 'दिवाली बोनांजा' बताया था. जिसके बाद वित्त मंत्रालय ने टैक्स स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव काउंसिल के सामने रखा था. जीएसटी स्लैब में बदलाव के बाद आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली कई चीजें अब सस्ती होंगी.
क्या-क्या चीजें होंगी सस्ती
नए बदलाव के मुताबिक उपभोक्ता के रोजमर्रा के इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं जैसे टूथपेस्ट, साबुन, शैंपू, छोटी कारें और सीमेंट जैसी चीजें सस्ती हो सकती हैं. फ्रीज, टीवी, वॉशिंग मशीन और 1200 सीसी तक की कारें अब 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में रखी जाएंगी जो पहले 28 प्रतिशत स्लैब में आती थीं. जिसका मतलब है कि वाहनों की कीमतों में भी कमी आएगी.
किन वस्तुओं पर नहीं लगेगा टैक्स
सरकार ने रोटी, पराठा, डेयरी प्रोडक्ट्स और निजी बीमा पर जीएसटी हटाने का फैसला किया है जबकि तंबाकू, गुटखा, सिगरेट और शराब जैसे सिन गुड्स पर अब 40 प्रतिशत तक टैक्स लगाया जाएगा इसका मकसद इन वस्तुओं की खपत को नियंत्रित करने के साथ सरकारी राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा.
सरकार की कमाई पर असर
एक अनुमान के मुताबिक, मौजूदा जीएसटी ढांचे में 18% स्लैब से 65% राजस्व आता है, 28% स्लैब से 11%, 12% स्लैब से 5%, और 5% स्लैब से 7% राजस्व मिलता है. अगर 12% और 28% स्लैब के ज्यादातर सामान को 5% और 18% स्लैब में लाया जाता है, तो सरकार को हर साल करीब 1.1 से 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. लेकिन ये भी है कि टैक्स कम होने से सामान सस्ता होगा, जिससे लोग ज्यादा खरीदारी करेंगे. इससे खपत बढ़ेगी और टैक्स का दायरा भी बढ़ेगा, क्योंकि ज्यादा लोग और व्यवसाय जीएसटी के दायरे में आएंगे. इससे सरकार की कमाई में होने वाला नुकसान कुछ हद तक पूरा हो सकता है. साथ ही, सिन गुड्स पर 40% की नई दर से भी कुछ अतिरिक्त राजस्व आएगा.
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Source: IOCL























