Artificial Snow: आर्टिफिशियल रेन के जैसे क्या आर्टिफिशियल स्नो जैसा भी होता है कुछ? जानें क्या होते हैं इसके फायदे
Artificial Snow: दिल्ली में प्रदूषण को मिटाने के लिए बार-बार आर्टिफिशियल रेन कराने को लेकर चर्चा होती है. आइए जानते हैं कि क्या आर्टिफिशियल रेन की तरह आर्टिफिशियल स्नो जैसा भी कुछ होता है या नहीं?

Artificial Snow: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए बार-बार आर्टिफिशियल रेन कराने का प्लान किया जाता है, लेकिन एक यह सवाल यह उठ रहा है कि क्या इसी तरह से आर्टिफिशियल बर्फ भी बनाई जा सकती है? इसका जवाब है हां. आर्टिफिशियल रेन की तरह आर्टिफिशियल स्नो बनाने की भी एक प्रक्रिया होती है. इस तकनीक का इस्तेमाल उन जगहों पर किया जाता है जहां पर प्राकृतिक बर्फबारी अनियमित या फिर काफी कम होती है. आइए जानते हैं कैसे बनाई जाती है आर्टिफिशियल बर्फ?
कैसे बनाई जाती है आर्टिफिशियल बर्फ?
आर्टिफिशियल बर्फ को दो तरीकों से बनाया जा सकता है. पहला तरीका होता है स्नो मेकिंग मशीनों के जरिए और दूसरा तरीका होता है क्लाउड सीडिंग. स्नो मेकिंग मशीनों के जरिए उच्च दबाव वाले नोजल का इस्तेमाल करके हवा में पानी की छोटी-छोटी बूंदें छिड़काई जाती हैं. जब तापमान फ्रीजिंग पॉइंट से नीचे होता है तब यह बूंदें असली बर्फ की तरह बारीक बर्फ के कणों में बदल जाती हैं. अब प्राकृतिक मौसम की स्थिति चाहे जो भी हो लेकिन बर्फ की निरंतर परत को बनाए रखने के लिए स्की रिसॉर्ट में इसी तरीके का इस्तेमाल किया जाता है.
अब आता है दूसरा तरीका जो है क्लाउड सीडिंग. आर्टिफिशियल रेन की तरह ही क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाइड या फिर सूखी बर्फ जैसे पदार्थों को बादलों में फैलाया जाता है. इसके बाद यह बर्फ के क्रिस्टल बनाते हैं. जब तापमान और ह्यूमिडिटी अनुकूल हो जाती है तो आर्टिफिशियल बर्फबारी होती है.
क्या हैं आर्टिफिशियल बर्फ के फायदे?
जिन जगहों में प्राकृतिक बर्फ अनियमित होती है वहां आर्टिफिशियल बर्फ सुनिश्चित करती है की स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग और बर्फ के खेल बिना किसी रूकावट के जारी रह सकें. इसी के साथ बर्फ पर निर्भर गंतव्य अक्सर पूर्वानुमानित बर्फबारी पर निर्भर करते हैं. अब आर्टिफिशियल बर्फ के साथ स्की रिसॉर्ट सूखे के दौरान भी चालू रहते हैं. इससे पर्यटन सीजन लंबा होता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है.
इतना ही नहीं बल्कि लद्दाख जैसी जगहों पर आर्टिफिशियल बर्फ का इस्तेमाल बर्फ के स्तूप बनाने के लिए किया जाता है. यह मानव निर्मित ग्लेशियर सर्दियों के पानी को बर्फ के रूप में संग्रहित करते हैं. गर्मियों में यें धीरे-धीरे पिघलते हैं जिससे फसलों के लिए जरूरी सिंचाई जल उपलब्ध हो पाता है. अब क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम अनियमित हो रहा है और बर्फबारी भी कम हो रही है, इसलिए यह आर्टिफिशियल बर्फ पर्यटन और कृषि को स्थिर करने में काफी मदद कर सकती है.
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Source: IOCL























