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यहां हुई थी दुनिया की सबसे बड़ी लैंडस्लाइडिंग, 22 किलोमीटर का इलाका बन गया था कब्रिस्तान

Largest Volcanic Landslide: जम्मू कश्मीर के माता वैष्णों देवी में हुई लैंडस्लाइड में कई लोगों की मौत हो गई. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कौन सा भूस्खलन धरती का अब तक का सबसे बड़ा भूस्खलन माना जाता है.

जम्मू कश्मीर में माता वैष्णों देवी यात्रा मार्ग पर हुए बड़े भूस्खलन की वजह से करीब 33 लोगों की मौत हो गई है 23 के आसपास लोग घायल हैं. कई जगहों पर भूस्खलन होने की वजह से मलबा जमा हो गया है और पत्थर गिरने के कारण जम्मू-कटरा राजमार्ग बंद हो चुका है. इस भारी बारिश की वजह से वैष्णों देवी की यात्रा कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई है. जम्मू में इस वक्त हालात उत्तराखंड और हिमाचल जैसे हो रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे बड़ी लैंडस्लाइडिंग कौन सी थी, चलिए इस बारे में जानते हैं. 

धरती का सबसे बड़ा लैंडस्लाइड?

धरती पर दर्ज किया गया अब तक का सबसे बड़ा भूस्खलन अमेरिका के वॉशिंगटन राज्य में स्थित माउंट सेंट हेलेंस ज्वालामुखी से हुआ था. यह घटना 18 मई 1980 को हुई थी और इसे आधुनिक भूविज्ञान के इतिहास की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में गिना जाता है. इस भूस्खलन से न सिर्फ ज्वालामुखी की संरचना बदल गई, बल्कि आसपास के बड़े क्षेत्र को भी प्रभावित किया है.

कितना बड़ा था यह भूस्खलन?

माउंट सेंट हेलेंस पर हुआ यह भूस्खलन बहुत खतरनाक था. इसमें लगभग 2.8 क्यूबिक किलोमीटर सामग्री ढहकर नीचे आ गई. यह मलबा करीब 22.5 किलोमीटर तक नॉर्थ फोर्क टाउटल नदी के किनारे बहता चला गया था. इसकी औसत गहराई 46 मीटर थी, जबकि अधिकतम गहराई 182 मीटर तक पहुंच गई थी. सबसे चौंकाने वाली बात यह रही थी कि इसकी स्पीड 112 से 240 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच थी, यानी यह मलबा एक तेज रफ्तार ट्रेन की तरह नीचे गिरा और बहता चला गया.

ज्वालामुखी और भूस्खलन का संबंध

भूस्खलन अक्सर ऊंचे और खड़ी वॉलकेनिक कोन पर देखने को मिलते हैं. इनकी सतह कमजोर चट्टानों और राख की परतों की बनी हुई होती है. जब ज्वालामुखी के अंदर दबाव तेजी से बढ़ता है, तो विस्फोट के साथ-साथ उसकी बाहरी ढलान भी टूटकर ढह सकती है. माउंट सेंट हेलेंस में भी ऐसा ही हुआ था. विस्फोट से पहले उत्तरी ढलान कमजोर हो चुकी थी और अंदर मौजूद गैस और मैग्मा का दबाव इतना ज्यादा था कि पूरा हिस्सा टूटकर एक बड़े से भूस्खलन में बदल गया.

आसपास के भूभाग का बिगड़ गया था नक्शा

इस भूस्खलन ने माउंट सेंट हेलेंस की ऊंचाई को ही बदल दिया था और आसपास के भूभाग का नक्शा तक बिगाड़ दिया था. ज्वालामुखी के टॉप का हिस्सा लगभग समतल हो गया था. इस घटना के बाद वैज्ञानिकों ने समझा कि ज्वालामुखीय विस्फोट और भूस्खलन आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं. इसी के बाद से पूरी दुनिया में ज्वालामुखीय क्षेत्रों की निगरानी और मॉनिटरिंग पर जोर दिया जाने लगा ताकि भविष्य में ऐसे बड़े हादसों से बचा जा सके.

यह भी पढ़ें: तबाही से पहले ये संकेत देती है लैंडस्लाइडिंग, पहचान लिए तो बच सकती है जान

About the author निधि पाल

निधि पाल को पत्रकारिता में छह साल का तजुर्बा है. लखनऊ से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत भी नवाबों के शहर से की थी. लखनऊ में करीब एक साल तक लिखने की कला सीखने के बाद ये हैदराबाद के ईटीवी भारत संस्थान में पहुंचीं, जहां पर दो साल से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद नोएडा के अमर उजाला संस्थान में आ गईं. यहां पर मनोरंजन बीट पर खबरों की खिलाड़ी बनीं. खुद भी फिल्मों की शौकीन होने की वजह से ये अपने पाठकों को नई कहानियों से रूबरू कराती थीं.

अमर उजाला के साथ जुड़े होने के दौरान इनको एक्सचेंज फॉर मीडिया द्वारा 40 अंडर 40 अवॉर्ड भी मिल चुका है. अमर उजाला के बाद इन्होंने ज्वाइन किया न्यूज 24. न्यूज 24 में अपना दमखम दिखाने के बाद अब ये एबीपी न्यूज से जुड़ी हुई हैं. यहां पर वे जीके के सेक्शन में नित नई और हैरान करने वाली जानकारी देते हुए खबरें लिखती हैं. इनको न्यूज, मनोरंजन और जीके की खबरें लिखने का अनुभव है. न्यूज में डेली अपडेट रहने की वजह से ये जीके के लिए अगल एंगल्स की खोज करती हैं और अपने पाठकों को उससे रूबरू कराती हैं.

खबरों में रंग भरने के साथ-साथ निधि को किताबें पढ़ना, घूमना, पेंटिंग और अलग-अलग तरह का खाना बनाना बहुत पसंद है. जब ये कीबोर्ड पर उंगलियां नहीं चला रही होती हैं, तब ज्यादातर समय अपने शौक पूरे करने में ही बिताती हैं. निधि सोशल मीडिया पर भी अपडेट रहती हैं और हर दिन कुछ नया सीखने, जानने की कोशिश में लगी रहती हैं.

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